TRENDING TAGS :
बूचड़खाने पर तो खूब बोले योगी, बच्चों के 'कत्लखाने' पर पलटी क्यों मारी?
वहीं, जिन बच्चों की मौत हुई उनके तीमारदारों का कहना था, कि वो अपने बच्चों को ऑक्सीजन की कमी से तड़पता और मौत के मुंह में जाता देखते रहे लेकिन विवश थे।
Vinod Kapoor
लखनऊ: गोरखपुर के बाबा राघवदास मेडिकल कॉलेज में बच्चों की ऑक्सीजन की कमी से हुई मौत किसी भी सरकार के लिए एक बदनुमा दाग है। कोई भी जिम्मेदार सरकार ऐसे मामलों को गंभीरता से लेती है और अपनी गलती स्वीकार करती है लेकिन सालों बाद यूपी की सत्ता में आई बीजेपी सरकार ऐसा करने को तैयार नहीं है।
सभी तरह से यह साफ हो गया कि अस्पताल में ऑक्सीजन की कमी से बच्चों की सांसे उखड़ गई लेकिन सरकार ने इस मामले में लीपापोती शुरू कर दी है। सरकार ये मानने को तैयार नहीं, कि दो दिन में 48 बच्चों की मौत ऑक्सीजन की कमी से हुई है। बच्चों की उखड़ी सांसों पर सरकार ने आकंड़ों से बता दिया कि अगस्त के महीने में औसतन हर रोज 10 से 11 बच्चे मरते हैं। हद तो तब हो गयी जब प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी मौतों की वजह गंदगी को बताया।
हाल के सालों में नहीं हुई ऐसी घटना
सरकार ने अपनी लापरवाही और नादानी से विपक्ष को भी बड़ा मौका दे दिया है। हाल के सालों में किसी सरकारी अस्पताल में ऐसी घटना नहीं हुई कि ऑक्सीजन की कमी से बच्चे मर जाएं।
संसद में खूब गरजने वाले योगी अब चुप क्यों?
दरअसल, जापानी या दिमागी बुखार को लेकर गोरखपुर पिछले 30 साल से चर्चा में है। हर साल इस बीमारी से पीड़ित बच्चे यहां आते हैं। बिहार और नेपाल के बच्चों को भी यहीं आना पड़ता है। सीएम आदित्यनाथ जब तक गोरखपुर के सांसद रहे बच्चों के दिमागी बुखार के बारे में लगातार बयान देते रहे थे। यहां तक कि लोकसभा में भी उनके ज्यादातर सवाल अपने इलाके की इस समस्या को लेकर ही रहते थे, लेकिन क्या सीएम बनने के बाद यह बीमारी उनकी प्राथमिकता से हट गई है?
आगे की स्लाइड में पढ़ें पूरी खबर ...
अपना दामन पाक साफ करना चाहती है सरकार
यूपी की योगी आदित्यनाथ सरकार गोरखपुर की दर्दनाक घटना के बाद मामले की लीपापोती में जुटी है और अपना दामन पाक साफ करना चाहती है। यूपी के स्वास्थ्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने शनिवार (12 अगस्त) को प्रेस कांफ्रेंस कर कहा, कि 'हमारी सरकार संवेदनशील है हर पहलू को बारीकी से देखा और उसको समझने का प्रयास किया गया है। सीएम योगी ने 9 जुलाई को बीआरडी मेडिकल कॉलेज आए थे सबसे विस्तार से चर्चा की थी लेकिन गैस सप्लाई का विषय किसी ने सामने नहीं रखा था।' बता दें, कि बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बिहार नेपाल सहित अन्य जगहों से मरीज आते हैं। हमारी सरकार संवेदनशील है। सरकार ने बीआरडी कॉलेज के प्रिंसिपल को निलंबित कर दिया है।
विपक्ष को मिला बड़ा मुद्दा
बच्चों के मौत की खबरें शुक्रवार शाम से आना शुरू हो गई थीं। पहले यह संख्या 7 बताई गई, जो रात होते-होते 30 और शनिवार की सुबह तक 48 तक पहुंच गई। कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद अपने दल-बल के साथ मेडिकल कॉलेज में मास्क लगाकर आए। उनके साथ अस्पताल आए सभी लोगों ने मास्क लगाए थे मानों कोई छूत की बीमारी लग जाएगी या किसी तरह का इंफेक्शन हो जाएगा। राजनीतिक जांच कहें सा बयानबाजी को लेकर सबसे पहले कांग्रेस के नेता ही गोरखपुर के मेडिकल कॉलेज आए। उसके बाद आया समाजवादी पार्टी का दल जिसका नेतृत्व विधानसभा में विपक्ष के नेता राम गोविंद चौधरी कर रहे थे।
सत्यार्थी की टिप्पणी महत्वपूर्ण
राजनीतिक लोगों के बयान तो आते ही रहते हैं लेकिन इनमें सबसे महत्वपूर्ण टिप्पणी नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी की थी। उन्होंने कहा ‘क्या बच्चों के लिए भारत की आजादी के 70 सालों का मतलब यही है?’ उन्होंने कहा कि मेडिकल के क्षेत्र में दशकों से चल रहे भ्रष्टाचार को खत्म किया जाना चाहिए। सत्यार्थी ने लिखा, ’30 बच्चों की मौत कोई ‘हादसा’ नहीं बल्कि ‘सामूहिक हत्याकांड’ है।’ पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने कहा, कि यदि ये दुर्भागयपूर्ण घटना उनके कार्यकाल में हुई होती तो बीजेपी तूफान खड़ा कर देती। बीजेपी सरकार अब भी सच नहीं बता रही है।
विवश होकर बस देखता रहा
वहीं, जिन बच्चों की मौत हुई उनके तीमारदारों का कहना था, कि वो अपने बच्चों को ऑक्सीजन की कमी से तड़पता और मौत के मुंह में जाता देखते रहे लेकिन विवश थे। कुछ भी उनके हाथ में नहीं था और न उनकी कोई सुनने वाला था। कहते भी किससे, कोई सुनने वाला नहीं था। बच्चों की मौत के बाद भी शव नहीं दिया जा रहा था।
ये ठीक है कि राज्य में गैरकानूनी बूचड़खाने बंद किए जाएं, लेकिन सरकारी अस्पताल जो बच्चों के कत्लखाने बने हुए हैं। उन पर सरकार का ध्यान क्यों नहीं गया। सरकार किसी की हो अपनी जिम्मेवारी से बच नहीं सकती। खासकर उस पार्टी के लिए जो खुद को सबसे ज्यादा देशभक्त और संवेदनशील बताती हो।