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अप्रैल तक खत्म हो जाएगा कोरोना

हांगकांग यूनीवर्सिटी के एक दल का कहना है कि सार्स का प्रकोप गर्म और ह्य मिड दक्षिण एशियायी देशों में ज्यादा नहीं हुआ था। लेकिन हांगकांग और सिंगापुर में इसका असर हुआ जिसकी वजह इन देशों में एयरकंडीशनिंग का व्यापक इस्तेमाल है।

Shivakant Shukla
Published on: 13 Feb 2020 8:21 AM GMT
अप्रैल तक खत्म हो जाएगा कोरोना
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नीलमणि लाल

महामारियों के विशेषज्ञों का अनुमान है कि अप्रैल तक कोरोना वायरस का संकट खत्म हो जाना चाहिए। कोरोना पर चीन के प्रमुख चिकित्सा सलाहकार जोंग नानशान (83) ने बताया है कि चीन के कई हिस्सों में नए संक्रमण के मामले धीरे धीरे कम होने लगे हैं। फरवरी महीने में यह महामारी अपने चरम तक पहुंचेगी और उसके बाद धीरे धीरे खत्म होने लगेगी। यह संक्रमण अप्रैल तक जाते जाते खत्म हो जाएगा। जोंग ने 2003 में फैली सार्स महामारी का मुकाबला करने में अहम भूमिका निभाई थी।

सिंगापुर के चिकित्सक डॉ. ज्योति सोमानी और प्रोफेसर पॉल अनंत के अनुसार मौसम गर्म होने के साथ साथ वायरस का प्रकोप खत्म होने लगेगा। चीन और अमेरिका जैसे देशों में फ्लू का सत्र आमतौर पर दिसम्बर में शुरू होता है और जनवरी या फरवरी में चरम पर पहुंचने के बाद नीचे आने लगता है। 2003 में सार्स वायरस का प्रकोप गर्मियों में खत्म हो गया था।

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इंसानों में फ्लू का वायरस सर्दियों में ज्यादा फैलता है क्योंकि लोग ज्यादा समय घरों या इमारतों के भीतर ही बिताते हैं और इस तरह आपस में नजदीकी संपर्क ज्यादा होता है। शोध से पता चलता है कि जब हवा ठंडी और खुश्क होती है तब खांसी या जुखाम के जरिए वायरस ज्यादा आसानी से फैलता है।

गर्म मौसम और ज्यादा आद्रता है बचाव

कई वर्ष पहले किए गए अध्ययन से पता चला है कि सामान्य सर्दी-जुखाम वाला रेगुलर कोरोना वायरस ६ डिग्री सेल्सियस वाले तापमान में किसी सतह पर 30 गुना ज्यादा समय तक जीवित रह सकता है। 20 डिग्री या उससे ज्यादा के तापमान में ये वायरस ज्यादा समय तक नहीं बच पाता।

सार्स वायरस जब फैला था तो पता चला था कि वह कम तापमान और कम आद्रता में ज्यादा समय तक जीवित रहता है जबकि ऊंचे तापमान व ज्यादा आद्रता में यह टिक नहीं पाता।

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एसी का इस्तेमाल वायरस को बुलावा

हांगकांग यूनीवर्सिटी के एक दल का कहना है कि सार्स का प्रकोप गर्म और ह्य मिड दक्षिण एशियायी देशों में ज्यादा नहीं हुआ था। लेकिन हांगकांग और सिंगापुर में इसका असर हुआ जिसकी वजह इन देशों में एयरकंडीशनिंग का व्यापक इस्तेमाल है।

Shivakant Shukla

Shivakant Shukla

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