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अखिलेश यादव के सपने और वायदे!

सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने यह भी कहा कि योगी सरकार ने कुछ काम नहीं किया। वह पूरी तरह फेल हो चुकी है और उसे पास कराने के लिये दिल्ली से आ रहे लोग चुनाव में कामयाब नहीं होंगे।

K Vikram Rao
Written By K Vikram RaoPublished By Deepak Kumar
Published on: 11 March 2022 7:42 PM IST
UP Election 2022:
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अखिलेश यादव 

Akhilesh Yadav: अपने चुनाव अभियान के दौरान गत तीन महीनों में अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने यादगार, तीखे, व्यंगात्मक और नुकीले बयान दिये थे। इसे संकलित कर किसी प्रकाशक को पुस्तक के रुप में छापना चाहिये। एक दस्तावेज होगा। यह पूर्व मुख्यमंत्री अपरिमित आत्मविश्वास से आप्लावित थे, जब वे बोले थे (25 नवम्बर 2021) कि : ''भाजपा अपनी ऐतिहासिक पराजय की साक्षी बनने जा रही है।'' मगर अब बनारसी (मोदी के) वोटर भोजपुरी में कह रहे हैं कि : ''खेला हो गइल बा !'' मोदी के लोकसभा क्षेत्र में ममता बनर्जी ने घोषणा की थी, ''खेला होबे'' और फुटबाल फेंका था सभा में। मगर गोल मोदी ने मार दिया। योगी ने भी। अखिलेश को एक और आशा थी। उन्होंने सांसद मोदी को धार्मिक आचार का बोध भी कराया (14 दिसम्बर 2021) कि मनुष्य अपने अंतिम दिवस काशी में बिताना चाहता। यह सुझाव मोदी के काशी प्रेम की बावत था।

अपने नामांकन पत्र के साथ योगी ने जो लेखाजोखा दर्ज कराया था कि उनके पास मोटर कार नहीं है। सांसद की पेंशन से ही खर्च चलता है। उनकी संपत्ति में गत पांच वर्षों में 61 प्रतिशत वृद्धि हुR है। मोबाइल, हथियार तथा कुंडल वही पुराने है। जबकि अखिलेश की कुल संप​त्ति चालीस करोड़ और चार लाख है। इनोवा तथा फार्चुनर मोटरे हैं। वे पांच साल बिना किसी पगार के रहे। अपनी अयोध्या यात्रा (5 दिसम्बर 2021 ) पर अखिलेश ने कहा था : ''मेरे घर में भगवान राम का मंदिर है, वहां मैं दर्शन करता हूं। जब अयोध्या में ​मंदिर बन जाएगा, तो वहां भी जाउंगा और दक्षिणा भी दूंगा।'' अखिलेश ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा था कि, ''ये चंदा मांगने की जो व्यवस्था है वह हिन्दू धर्म में नहीं थी। ऊपर से उस चंदे में भी लोगों ने चोरी कर ली।''

हालांकि यह लोहियावादी नेता लोहिया के जन्मस्थान के निकट अयोध्या गया। चुनावी रैली भी की। हनुमानगढ़ी में भी गया। गदा लहरायी। किन्तु जन्मभूमि के दर्शन करने नहीं गये। इतने नजदीक फिर भी कितने दूर ? वहां कभी जहीरुद्दीन बाबर की मस्जिद थी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा न्यायिक निर्णय के बाद विवाद खत्म हो गया था। धन्नीपुर में नयी मस्जिद बन रही है। सरकारी कोष से भूभाग तथा राशि दी जा चुकी है। फिर भी वोट बैंक के फिसलने की आशंका से रामलला की जन्मभूमि को नहीं देखा। इतने सेक्युलर ? पर चाचा रामगोपाल यादव ने कहा था (3 जनवरी 2022) कि सपा सरकार बेहतर राममंदिर बनवायेगी।

अखिलेश का रहा दावा

अखिलेश का दावा रहा कि अयोध्या और मथुरा के विधानसभा क्षेत्रों से प्रत्याशी नामित करने के बजाये भाजपा ने योगी को उनके मठ गोरखपुर क्षेत्र को भेजा (16 जनवरी 2022)। व्यंग था कि ''योगी को घर में बैठा दिया।'' अपने पूर्वज मथुरावासी श्रीकृष्ण पर अखिलेश ने कहा था (3 जनवरी 2022) ''मेरे सपने में श्रीकृष्णजी आते हैं। कल भी आये थे। रोज आते हैं। वह कहते हैं कि तुम्हारी सरकार बनने जा रही है। मगर कृष्णभक्त लोहिया के इस चेले ने यह नहीं बताया कि कृष्ण ने उनसे सपने में शर्त रखी थी कि : ''मुख्यमंत्री बनते ही औरंगजेबी मस्जिद की जगह मेरा भव्य मंदिर बनवा देना।''

योगी अब मठ में गुल्ली-डंडा खेलेंगे: रामगोपाल यादव

अखिलेश अपनी विभिन्न चुनावी रैलियों में पुकार—पुकार कर कहते रहे कि चुनाव हारने के बाद ''बाबा अपने ''बुल और डॉग से खेलेंगे,'' (4 फरवरी 2022)। रामगोपाल यादव ने तो शुद्ध देसी टिप्पणी की थी : ''योगी अब मठ में गुल्ली—डंडा खेलेंगे।'' उनका कथन था कि स्थलों के नाम बदलने वालों को जनता ही बदल देगी'' (26 नवम्बर 2021)।

योगी सरकार ने कुछ काम नहीं किया: अखिलेश

अखिलेश ने यह भी कहा कि योगी सरकार ने कुछ काम नहीं किया। वह पूरी तरह फेल हो चुकी है और उसे पास कराने के लिये दिल्ली से आ रहे लोग चुनाव में कामयाब नहीं होंगे। विजय के प्रति पूर्णतया आश्वस्त अखिलेश ने क्रमश: कहा था : '' मतदान के दो चरणों के बाद (19 फरवरी 2022) सपा गठबंधन के विजयी (विधायक) प्रत्याशियों की संख्या का पार्टी सैकड़ा लगा देगी। चौथे चरण तक दोहरा शतक होगा।'' (19 फरवरी 2022) हालांकि 10 मार्च को सपा सिर्फ 111 पर ही जम गयी।

भाजपा कार्यालय में विशाल भीड़ ने खेली होली

अखिलेश को यकीन था कि चुनावी हार के पश्चात अलीगढ़ी ताला भाजपा कार्यालय में लग जायेगा। मगर भाजपा कार्यालय में विशाल भीड़ ने होली खेली। उधर करहल विधानसभा क्षेत्र में अखिलेश के डेढ़ लाख वोटरों से विजय अपेक्षित थी । पर केवल आधे से ही जीते। मगर उधर योगी की जीत गोरखपुर से ​सवा लाख वोटों से भी अधिक रही। जब पत्रकार समूह लिख रहे थे कि मुफ्त राशन तथा सुशासन के कारण भाजपा बहुमत पायेगी तो अखिलेश ने भी घोषणा कर दी थी कि उनकी सरकार पांच वर्षों तक पांच किलो मुफ्त राशन तथा बिजली देगी (1 मार्च 2021)। खैर इसकी नौबत ही नहीं आयी। तो आखिर सपा हारी क्यों ? अगर नरेन्द्र मोदी की माने (22 फरवरी 2022) तो अखिलेश ने मुस्लिम बेटी और महिलाओं पर ध्यान नहीं दिया। तलाक, हलाला और बुर्का से पीड़ित स्त्रियों को मोदी ने खुली सांस दिलायी। निजात भी।

माना कि मुसलमानों ने एक मुश्त वोट साइकिल को दिये। मगर यादवों ने एक तबके ने कमल खिलवाया। अतिपिछड़ी जातियां भाजपाइयों के साथ आ गयीं। अर्थात MY वाला नियम भाजपा पर लागू हुआ M अर्थात मोदी तथा Y मतलब योगी। जो कसर बाकी थी वह अखिलेश ने मोहम्मद अली जिन्ना तथा सरदार पटेल को एक साथ स्वाधीनता सेनानी वर्णित कर डाला, (1 नवम्बर 2021)। भारत के खूनी विभाजन तथा लाखों निर्दोष हिन्दुओं का संहार करने वाले जिन्ना को हर भारतीय हेय दृष्टि से देखता है। वोटरों ने शायद इसीलिये अखिलेश को भी देख लिया।

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Deepak Kumar

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