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RJD की बैठक में नहीं हुआ कोई बड़ा फैसला, नीतीश बिगाड़ सकते हैं गठबंधन की 'तबियत'

aman
By aman
Published on: 10 July 2017 1:37 PM IST
RJD की बैठक में नहीं हुआ कोई बड़ा फैसला, नीतीश बिगाड़ सकते हैं गठबंधन की तबियत
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Vinod Kapoor

लखनऊ: संभावना तो थी, कि लालू प्रसाद के राष्ट्रीय जनता दल (राजद) विधायकों की 10 जुलाई की बैठक में कोई बड़ा फैसला होगा लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। बैठक में न तो लालू प्रसाद के परिवार पर लगे आरोपों और सीबीआई की प्राथमिकी पर चर्चा हुई और न बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर।

दरअसल, नीतीश कुमार ने रविवार की शाम एक बयान देकर लालू प्रसाद यादव को रक्षात्मक कर दिया। नीतीश कुमार ने रविवार शाम कहा कि उनकी तबीयत अभी ठीक नहीं लिहाजा मंगलवार को होने वाली विधायकों की बैठक अब नहीं होगी।

आपात बैठक की जरूरत ही क्या थी?

राजद विधायकों की बैठक में इसी लिहाज से औपचारिकता का निर्वाह किया गया और कहा गया, कि '27 अगस्त को होने वाली विपक्षी दलों की रैली के बारे में विचार विमर्श किया गया।' अब सवाल ये है कि अगर चर्चा रैली पर ही होनी थी तो आपात बैठक बुलाने की क्या आवश्यकता थी?

तेजस्वी के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल नहीं

बैठक के बाद राजद के सांसद जयप्रकाश यादव ने कहा, कि 'चर्चा रैली और उसकी तैयारी को लेकर हुई। सीबीआई की प्राथमिकी के बावजूद तेजस्वी अपने पद से इस्तीफा नहीं देंगे। सीबीआई ने प्राथमिकी दर्ज की है कोई आरोप पत्र नहीं दाखिल किया है।'

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सबने पूछा हाल, सिवाय नीतीश के

कांग्रेस तो पहले से ही सीबीआई के छापे को लेकर लालू प्रसाद यादव के साथ खड़ी है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने छापे के बाद लालू प्रसाद यादव से बात की थी। लेकिन नीतीश कुमार या उनकी पार्टी के किसी नेता ने लालू प्रसाद यादव से न तो फोन पर बात की और न कोई बयान ही दिया।

'सरकार' बीमार

नीतीश की चुप्पी लगातार लालू की परेशानी का सबब रही है। नीतीश को सोमवार को अपने सरकारी आवास पर लोक संवाद भी करना था लेकिन उनकी बीमारी के कारण इसे रद्द कर दिया गया है। नीतीश अब जब ठीक हो जाएंगे तब विधायकों की बैठक की तारीख तय होगी।

शरद एक बार फिर लालू के साथ

लालू यादव की परेशानी को देखते हुए जनतादल यू (जेडीयू) के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव उनके साथ आए और कल कहा, कि 'सीबीआई का छापा गठबंधन सरकार को परेशान करने के लिए है।' बता दें कि शरद यादव, लालू के समर्थक रहे हैं। साल 1990 में लालू को सीएम बनाने में उनकी बड़ी भूमिका थी। उस वक्त ज्यादातर विधायकों का समर्थन राम सुंदर दास के साथ था जो दलित थे। लेकिन शरद यादव के कारण विधायकों के हुए चुनाव में लालू प्रसाद यादव जीत गए और राम सुंदर दास को हार का सामना करना पड़ा।

अकारण नहीं है लालू का रक्षात्मक होना

विधायकों की बैठक में लालू प्रसाद का रक्षात्मक होना अकारण नहीं है। वो फैसले की गेंद नीतीश के पाले में रखना चाहते हैं। दरअसल, तेजस्वी के इस्तीफे को लेकर बीजेपी काफी आक्रामक है। वह लगातार नीतीश पर इसका दबाब बना रही है। बीजेपी का दबाब और नीतीश की चुप्पी लगातार लालू प्रसाद को परेशान कर रही है। राजनीति के माहिर खिलाड़ी नीतीश अब अपनी बीमारी के बहाने चुप हैं।

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अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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