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राहुल के एक महीने की कमाई, बड़बोले नेताओं ने एक बयान में गंवाई

aman
By aman
Published on: 5 Oct 2016 1:59 PM IST
राहुल के एक महीने की कमाई, बड़बोले नेताओं ने एक बयान में गंवाई
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vinod kapoor vinod kapoor

लखनऊ: कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी इधर यूपी में अच्छी खासी कमाई कर रहे थे। अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में वोटों की लहलहाई फसल देख वो खुश थे। उनके साथ सत्ता की आस में अधेड़ से बूढ़े होने और युवा से अधेड़ होने की ओर बढ़ रहे कांग्रेसियों में एक उम्मीद बंध रही थी लेकिन पीओके में सेना के सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठा उनकी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने राहुल के किए कराए पर पानी फेर दिया।

यदि ये सवाल छोटे नेताओं की ओर से उठाए जाते तो इसे नकारा या अनदेखा किया जा सकता था लेकिन सवाल उठे पी. चिदंबरम, दिग्विजय सिंह और संजय निरुपम जैसे सीनियर नेताओं की ओर से।

सवाल सरकार पर नहीं थे बल्कि सेना की कार्रवाई पर थे, जो शर्मनाक कहा जा सकता है। सेना और सरकार से इसके सबूत मांगे गए। कहा गया कि सरकार और सेना वाहवाही लूटने का प्रयास कर रही है। इन नेताओं ने तो यहां तक कह दिया कि यदि सच में सर्जिकल ऑपरेशन हुआ है तो उसके सबूत दिए जाने चाहिए। मसलन सीडी जारी की जानी चाहिए। ऐसे बयान देते समय इन नेताओं को अपनी पार्टी की अध्यक्ष सोनिया गांधी और उपाध्यक्ष राहुल गांधी का भी ध्यान नहीं रहा जिन्होंने ढाई साल के शासन में पहली बार पीएम की तारीफ की थी।

'धर्म' और 'देशभक्ति' दो ऐसे इश्यू हैं जहां कोई तर्क नहीं चलता। जनता दोनों मामले में तर्क सुनने को तैयार नहीं होती। इन नेताओं के बयान के बाद कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला को सामने आना पड़ा। उन्होंने कहा, 'ऐसे मामलों में कांग्रेस हमेशा सरकार और सेना के साथ है।'

राहुल गांधी ने 6 सितंबर को यूपी के देवरिया से अपनी किसान या यों कहें खाट पंचायत शुरू की थी। उन्होंने बुंदेलखंड छोड़ पूरा यूपी छान मारा। सब जगह उन्होंने किसानों की बदहाली के सवाल उठाए। किसानों के कर्ज माफ करने के साथ जनता से बिजली बिल आधा कर देने का वायदा किया। उन्होंने अपनी पूरी यात्रा में ये साबित करने का प्रयास किया कि दिल्ली में बैठी सरकार किसानों नहीं बल्कि उद्योगपतियों की हितैषी है। उधोगपतियों के लाखों करोड़ रुपए के कर्ज तो केंद्र सरकार माफ कर देती है लेकिन किसानों के हजारों के कर्ज नहीं माफ करती। जिससे किसान आत्महत्या करने को मजबूर होता है।

राहुल की किसान यात्रा कल 6 अक्तूबर को दिल्ली में महात्मा गांधी की समाधि राजघाट पर खत्म होगी। पूरे 3500 किलोमीटर की यात्रा में उन्होंने पूर्वी, मध्य और पश्चिमी यूपी की खाक छानी। किसानों के घर गए, गांव में किसी छोटे से ढाबे पर टूटी कुर्सी पर चाय नाश्ता किया। किसानों से शपथ पत्र भरवाए गए।

स्थानीय कांग्रेस नेता का दावा है कि 75 लाख किसानों ने शपथ पत्र भरे हैं जो संख्या बढ़कर दो करोड तक हो जाएगी। सभी किसानों के पूरे नाम पते पार्टी के पास हैं। पार्टी इनके संपर्क में हमेशा रहेगी।

ये और बात है कि इस यात्रा में राहुल की खाट लुटी तो उन पर जूते फेंके गए। राहुल आलू की 'फैक्ट्री' लगाने की बात भी कह गए। ऐसे बयानों पर वो लोगों के मजाक के पात्र भी बने। इन सब बातों के बावजूद वो लोगों की नजरों में आए और उन्हें गंभीरता से सुना गया।

यूपी में कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने सर्जिकल स्ट्राइक पर चिदंबरम, दिग्विजय और निरुपम के बयान पर सवाल उठाया कि क्या इनमें साधारण समझ भी नहीं है। ऐसे समय जब देश संकट के दौर से गुजर रहा है और पडोसी देश वार के लिए उतावला दिख रहा है, क्या ऐसी बातें जरूरी थीं। इन नेताओं को क्या ये समझ नहीं कि इससे पार्टी का नुकसान होगा। क्या इन नेताओं ने अपने एक बयान से राहुल गांधी की एक महीने की मेहनत पर पानी नहीं फेर दिया है।

स्थानीय नेता ने कहा कि सर्जिकल स्ट्राइक कोई क्रिकेट मैच नहीं जिसकी सीडी बनाई जाए और उसे टीवी पर दिखाया जाए। सेना पर सवाल उठाना पूरी तरह से गैर जिम्मेदाराना बात है। अमरीका ने ओसामा बिन लादेन को मारने के बाद उसकी सीडी नहीं जारी की। यहां तक की प्रेसिडेंट बराक ओबामा को तो उन कमांडो के अभी तक नाम भी नहीं बताए गए जो उस ऑपरेशन में शामिल थे।

क्या ऐसे सवाल उठाकर ये नेता बीजेपी को फायदा नहीं पहुंचा रहे हैं। सर्जिकल स्ट्राइक के बाद तो बीजेपी को ऐसे ही माइलेज मिल गया है। ऐसे बयान तो आसानी से उसे यूपी की कुर्सी तक ले जाएंगे। चुनाव में क्या होगा ये भविष्य के गर्भ में लेकिन राहुल की एक महीने की मेहनत पर पानी फिरता तो साफ दिख रहा है।



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Content Writer

अमन कुमार - बिहार से हूं। दिल्ली में पत्रकारिता की पढ़ाई और आकशवाणी से शुरू हुआ सफर जारी है। राजनीति, अर्थव्यवस्था और कोर्ट की ख़बरों में बेहद रुचि। दिल्ली के रास्ते लखनऊ में कदम आज भी बढ़ रहे। बिहार, यूपी, दिल्ली, हरियाणा सहित कई राज्यों के लिए डेस्क का अनुभव। प्रिंट, रेडियो, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया चारों प्लेटफॉर्म पर काम। फिल्म और फीचर लेखन के साथ फोटोग्राफी का शौक।

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