करते हैं ऐसा स्नान तो होगा विनाश, जानिए क्या कहता है शास्त्र
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निर्वस्त्र स्नान करने से शरीर में नकारात्मक ऊर्जा प्रवेश करती है।इससे मानसिकता नकारात्मक हो सकती है।
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बिना कपड़ा स्नान से माता लक्ष्मी नाराज हो सकती हैं, वरुण देवता का अपमान माना जाता है।
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गरुड़ पुराण के अनुसार, इससे पितृ दोष लग सकता है। निर्वस्त्र स्नान करने से पूर्वजों की आत्मा को शांति नहीं मिलती।
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हिन्दू धर्म की परंपराओं और नियमों का उल्लंघन है,वरुण देवता के रुष्ट होने से जीवन में संकट आ सकते हैं।
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स्नान केवल तन की सफाई नहीं, बल्कि सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने का माध्यम है।निर्वस्त्र स्नान जल देवता का अनादर समझा जाता है।
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यह व्यक्ति की गरिमा और आत्म-सम्मान को प्रभावित करता है।पद्मपुराण के अनुसार, स्नान का जल पितरों के हिस्से में जाता है।निर्वस्त्र स्नान से आध्यात्मिक ऊर्जा कमजोर हो सकती है।
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यह समाज और संस्कृति के नियमों का उल्लंघन है।यह धार्मिक दृष्टि से पुण्य नाश का कारण बनता है। परंपराओं के अनुसार, स्नान करते समय वस्त्र धारण करना अनिवार्य है।
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निर्वस्त्र स्नान करने से शुभता कम हो सकती है।यह संस्कार और मर्यादा का पालन करने का संदेश देता है।
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निर्वस्त्र नहाने से वरुण देवता रुष्ट होते हैं और पाप लग सकता है। जिससे आपको संकटों का सामना भी करना पड़ सकता है।
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कृष्ण ने कहा है कि कभी भी निर्वस्त्र नहीं नहाना चाहिए। इससे जल देवता का अपमान होता है।
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ये जानकारियां धार्मिक आस्था और मान्यताओं पर आधारित हैं। Newstrack.com इसकी पुष्टि नहीं करता है।इसे सामान्य रुचि को ध्यान में रखकर लिखा गया है
निर्वस्त्र स्नान से स्नान की पवित्रता खत्म हो जाती है।वस्त्र पहनकर स्नान करने से आत्मा को शांति और संतोष मिलता है।