चैत्र नवरात्रि के पहले दिन पूजी जाएंगी शैलपुत्री, जानें पूजा विधि और मंत्र

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सनातन धर्म में चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व है. 9 अप्रैल से नवरात्रि की शुरुआत हो जाएगी. नवरात्रि में नौ देवियों की पूजा का विधान है.
नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री की उपासना की जाती है. मां शैलपुत्री के पूजन से व्यक्ति निरोगी रहता है, आपदा मुक्त रहता है, व्यक्ति के मान सम्मान में वृद्धि होती है.
मां शैलपुत्री हिमालयराज की पुत्री हैं. यह वृषभ पर सवार होती हैं. ये दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का पुष्प धारण करती हैं.
मान्यता है कि इनके पूजन से सुख-समृद्धि की वृद्धि होती है. इनकी उपासना चंद्रमा के बुरे प्रभाव को दूर करती है.
आइए जानते हैं पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा विधि और मंत्रों के बारे में
मां के पूजन में बेलपत्र का विशेष महत्व है. इसके अलावा धूप, दीप, अक्षत, सफेद पुष्प, फल आदि से माता को प्रसन्न किया जा सकता है.
सब से पहले मंत्र उच्चारण के साथ मां का आह्वान करें. पुष्प अक्षत, वस्त्र अर्पित करें और कथा पढ़ें. दूध, घी सहित गाय के दूध से बने भोग लगाएं. मां को कंदमूल का फल भी अत्यंत प्रिय है.
मां शैलपुत्री की दीप और कपूर से आरती करें. आरती पूर्ण होने के बाद अनजाने में हुई संपूर्ण गलतियों के लिए हाथ जोड़ कर क्षमा मांगें और मां से आशीर्वाद की कामना करें.
पूजा में इस मंत्र को शामिल करें- हे नगजाये नमः हे शिवा प्रियाये नमः मूल रुपाये नमः