क्या होता है कालसर्प दोष,इससे ऐसे बचें

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कालसर्प योग जिस किसी की कुंडली में प्रवेश कर जाता है, उसे उसके जीवन में ना केवल विपदाएं घेर लेती हैं, बल्कि उसकी प्रगति के रास्ते भी बंद हो जाते हैं।
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कुंडली में बनने वाला कालसर्प दोष, -केतु के अलग-अलग भावों में स्थित होने के आधार पर बनता है। राहु-केतु के मध्य शेष सात ग्रह आने पर कालसर्प दोष बनता है
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कालसर्प दोषों का समाधान-द्वादश ज्योर्तिलिंगों पर रूद्धाभिषेक करने से दोष का परिहार होता है।
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इस दोष से बचने के लिए त्रयम्बकेश्वर मंदिर में इस दोष के परिहार की पूजा भी कराई जाती है।
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इससे बचने के लिए चांदी का सर्प शुभ काल एवं शुभ शिव-वास में नदी में प्रवाहित कर दोष को कम किया जा सकता है।
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बटुक भैरव की पूजा ऐसे जातक को सदैव करनी चाहिए।
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महामृत्युंजय के मंत्र की जाप प्रत्येक दिन करनी चाहिए।नागपंचमी के दिन भी इसकी विशेष पूजा का विधान है।
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मास शिवरात्रि पर गौरी-शंकर एवं श्री नन्दी: गणेश, कार्तिकेय की पूजा कर चांदी का सर्प जल में प्रवाहित करें। ऐसा 11 मास करने पर भी दोष परिहार होता है।
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