मिर्जापुर के विंध्याचल धाम से खाली हाथ नहीं लौटेंगे, तस्वीरों में जानें खासियत

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मिर्जापुर में गंगा नदी के तट पर विन्ध्य पर्वत पर विराजमान आदिशक्ति माता विंध्यवासिनी मां काली और माता अष्टभुजा के त्रिकोण दर्शन से भक्तों के सारे कष्ट मिट जाते हैं।
इस मंदिर में आने से भक्तों को लौकिक और अलौकिक दोनों लोकों का सुख मिल जाता हैं।
आदिशक्ति माता विंध्यवासिनी अपने भक्तों को मां लक्ष्मी के रूप में दर्शन देती हैं।
विन्ध्य क्षेत्र में अलग-अलग कोणों पर रक्तासुर का वध करने वाली माता काली और कंस के हाथ से छूटकर महामाया अष्टभुजा माता सरस्वती के रूप में त्रिकोण पथ पर विराजमान हैं।
मां विंध्यवासिनी को तामसी, राजसी, सात्विक तीनों मार्ग से प्रसन्न किया जा सकता है।
काली स्वरूप महाकाली, महालक्ष्मी स्वरूप मां विंध्यवासिनी और महासरस्वती के रूप में मां अष्टभुजा विंध्य पर्वत पर विराजमान होकर भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी करती हैं।
सिद्धपीठ विन्ध्याचल में तीन रूपों के साथ विराजमान माता विंध्यवासिनी के धाम में दर्शन करने से जो भी भक्तों की कामना होती है उन्हें वह सबकुछ मिल जाता है।
माता विंध्यवासिनी विन्ध्य पर्वत के ऐशान्य कोण में महालक्ष्मी के रूप में विराजमान हैं। दक्षिण में माता काली और पश्चिम दिशा में मां सरस्वती माता अष्टभुजा के रूप में विद्यमान हैं।
शक्ति पीठ विन्ध्याचल धाम में नवरात्र के दौरान माता के दर पर हाजिरी लगाने वालों की तादात प्रतिदिन लाखों में पहुच जाती हैं।
त्रिकोण पथ पर निकले भक्तों को माता के दरबार में आदिशक्ति के तीनों रूपों का दर्शन एक ही परिक्रमा में मिल जाता है।