जलेषु मां रक्षतु मत्स्यमूर्तिर्यादोगणेभ्यो वरूणस्य पाशात् ।स्थलेषु मायावटुवामनोsव्यात्त्रिविक्रमः खेऽवतु विश्वरूपः ॥२॥ अर्थ: मत्स्यमूर्ति भगवान् जल के भीतर जलजंतुओं से और वरूण के पाश से मेरी रक्षा करें
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दुर्गेष्वटव्याजिमुखादिषु प्रभुः पायान्नृसिंहोऽसुरुयूथपारिः ।विमुञ्चतो यस्य महाट्टहासं दिशो विनेदुर्न्यपतंश्च गर्भाः ॥३॥ अर्थ: भगवान् नृसिंह किले, जंगल, रणभूमि आदि विकट स्थानों में मेरी रक्षा करें ॥३॥
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श्री नारायण कवच का पाठ करने से असफलता दूर होती है। विपत्तियों से छुटकारा मिल जाता है। वैष्णवी विद्या प्राप्त होती है।श्री नारायण कवच का पाठ करने से मृत्यु के बाद पिशाच योनी नहीं मिलती है।
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नारायण कवच का पाठ करने से बल और साहस का संचार होता है।श्री नारायण कवच का पाठ करने से व्यक्ति का विवेक जागता है।श्री नारायण कवच का पाठ करने से व्यक्ति भय मुक्त हो जाता है।