श्राद्ध पक्ष का आरंभ 18 सितंबर से पिंडदान, ब्राह्मण भोजन, तर्पण, दान आदि हो जायेगा। पितृ पक्ष 18 सितंबर से 2 अक्टूबर तक यह चलेगा।
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पितृपक्ष में पितरों की पूजा के लिए सबसे उत्तम समय 11:30 से 12:30 बजे तक बताया जाता है।
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17 सितंबर 2024, मंगलवार- पूर्णिमा का श्राद्ध, 18 सितंबर 2024, बुधवार- प्रतिपदा का श्राद्ध, 19 सितंबर 2024, गुरुवार- द्वितीय का श्राद्ध, 20 सितंबर 2024, शुक्रवार- तृतीया का श्राद्ध
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21 सितंबर 2024, शनिवार- चतुर्थी का श्राद्ध,23 सितंबर 2024, सोमवार- सप्तमी का श्राद्ध,24 सितंबर 2024, मंगलवार- अष्टमी का श्राद्ध,25 सितंबर 2024, बुधवार- नवमी का श्राद्ध
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26 सितंबर 2024, गुरुवार- दशमी का श्राद्ध,27 सितंबर 2024, शुक्रवार- एकादशी का श्राद्ध, 29 सितंबर 2024, रविवार- द्वादशी का श्राद्ध,29 सितंबर 2024, रविवार- माघ श्राद्ध
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30 सितंबर 2024, सोमवार- त्रयोदशी श्राद्ध,1 अक्टूबर 2024, मंगलवार- चतुर्दशी का श्राद्ध,2 अक्टूबर 2024, बुधवार- सर्वपितृ अमावस्या इससे पितरों की आत्मा तृप्त होती है
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पितृ पक्ष में तिल को देवान्न यानी देवताओं का अन्न कहा गया है और जल को मुक्ति के साधन के समान बताया गया है।
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पितृ पक्ष पर काली तिल का दान करने से बत्तीस सेर स्वर्ण तिलों के बराबर होता है।
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पितृ पक्ष में तर्पण और पिंडदान करने से पितर प्रसन्न होते है और सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।