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अमित शाह की लंच डिप्लोमेसी से यादवकुल में सेंधमारी, निशाने पर शिवपाल !
लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी जिस रास्ते पर चल पड़ी है, उससे कुछ भी चमत्कार हो जाए पर वह खुद के पार्टी विद डिफरेंस होने का दावा नहीं कर सकती। जोड़-तोड़ की राजनीति में उसने तो कांग्रेस को भी पीछे छोड़ दिया है। वह जातीय नेता भी तोड़ रही है, और पार्टियों में भी सेंधमारी कर रही है। वह सांप्रदायिक आधार पर तुष्टीकरण भले न करती दिखे पर उसका जातीय आधारित तुष्टीकरण तो साफ साफ नजर आने लगा है।
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लखनऊ में बड़ी जुगौली के अपने बूथ अध्यक्ष सोनू यादव के घर भोजन करने का उसका मकसद अपने इसी संदेश को पहुंचाने की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, कि पार्टी यादवों को भी अपने साथ जोड़कर रखना चाहती है। उसके लिए यादव भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं, जैसे दूसरी पिछड़ी जातियां। और तो और वह सपा में गहरी सेंधमारी की फिराक में है। यादवकुल को ही तोड़कर एक धड़ा अपने साथ जोड़ने में जुटी है।
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पिछड़ों की राजनीति करते हुए भाजपा ने पहले केशव प्रसाद मौर्य को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर कुशवाहा, मौर्य, शाक्य जैसी पिछड़ी जातियां करीब से जोड़ी, अपना दल के जरिए कुर्मियों को पाले में बनाए रखा। लेकिन इसके नेताओं को महसूस हो रहा है, कि जब तक यादवों का भरोसा न जीता जाए, तब तक पिछड़ों की राजनीति नहीं मानी जा सकती। क्योंकि मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव को करारा झटका देना है तो यादवों को भरोसे के साथ जोड़ना जरूरी है। सोनू यादव के घर दोपहर भोज इसी रणनीति का एक हिस्सा माना जा रहा है।
रविवार की दोपहर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री व प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य, उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और यूपी प्रभारी ओम माथुर आदि के साथ अमित शाह गोमती नगर के बड़ी जुगौली गांव सोनू यादव के घर पहुंचे। भाजपा नेताओं ने सोनू के घर में बना सादा खाना खाया और परिवार के लोगों से मिले। पूरा सरकारी तामझाम था। डीएम कौशलराज शर्मा और एसएसपी दीपक कुमार भी थे। इससे सोनू का भौकाल तो बन ही गया, ‘यादव मिशन’ का नया संदेश देने में भी भाजपा कामयाब हो गई।
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दूसरी ओर एक और गंभीर चर्चा है। वह है सपा नेता शिवपाल सिंह यादव के भाजपा में आने की। सूत्र बताते हैं कि शिवपाल को सीधे जोड़ने में भाजपा नफा-नुकसान का गुणा-गणित लगा रही है। भाजपा नेता मान रहे हैं कि अगर शरद यादव और नीतीश कुमार की पार्टी जद (यू) के रास्ते शिवपाल आएंगे तो रणनीति ज्यादा सही होगी। वह समाजवादी भी बने रहेंगे और बिहार की तरह भाजपा के साथ उत्तर प्रदेश में गठबंधन भी हो जाएगा। भाजपा यादवकुल में सेंधमारी का यह बड़ा दांव लगाने की फिराक में है। रणनीति जल्द ही कारगर होगी।
सूत्र मानते हैं, कि कुछ इसी रणनीति के तहत शिवपाल दिल्ली में मौजूद हैं। वह भी अपने सलाहकारों से भाजपा के साथ जुडने पर होने वाले नफा-नुकसान का आंकलन कर रहे हैं। सूत्रों तो यहां तक बताते हैं कि शिवपाल को उत्तर प्रदेश नीति आयोग के उपाध्यक्ष का ओहदा देने की भी बात कह दी गई है। इतना ही नहीं, बताते हैं कि उनका सोमवार की रात को अमित शाह से मिलने का कार्यक्रम भी फिक्स कराया जा रहा है।