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उत्तर प्रदेश में नीतीश की रैली के मायने: किसको नुकसान और किसको फायद

Newstrack
Published on: 19 Jun 2016 12:10 PM GMT
उत्तर प्रदेश में नीतीश की रैली के मायने: किसको नुकसान और किसको फायद
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लखनऊ: वाराणसी के बाद मिर्जापुर के चुनार इलाके के शिव शंकरी धाम में जनता दल यूनाइटेड का राजनीतिक सम्मेलन और रैली हुई। इसमें प्रदेश भर से तकरीबन 10 हजार से ज्यादा कार्यकर्ता और समर्थक जुटे। जाहिर है नीतीश कुमार उत्तर प्रदेश में 2017 मे होने वाले विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी की मौजूदगी के लिए जमीन तलाशने की कोशिश में है। उनकी अपनी बिरादरी के ज्यादातर लोग पूर्वांचल में हैं और अपना दल घरेलू झगड़े में फंसा है। लिहाजा उन्हें पूर्वांचल की जमीन ज्याद मुफीद नजर आ रही है। इसलिए अपनी पार्टी के जनाधार बढ़ाने के लिए जोर दे रहे हैं। लेकिन बड़ी बात यह है कि उत्तर प्रदेश में उनकी पार्टी है नहीं और अपना दल से मायूस लोग अगर उनसे जुड़ते हैं तो अकेले कोई सीट जीत नहीं सकते ऐसे में ये वोट किसका नुकसान और किसको फायदा पहुंचाएंगे ये बड़ा सवाल है।

नीतीश कुमार अपनी हर रैली में अब एक नया नारा दे रहे हैं कि वो ‘संघ मुक्त भारत, शराब मुक्त समाज’ बनाने निकले हैं। कई दफे बोल चुके अपने इसी नारे के साथ उत्तर प्रदेश की जमीन पर नीतीश कुमार अपनी पार्टी की फसल लहलहाना चाहते हैं। फसल उपजाऊ हो इसके लिए खाद पानी के रूप में बिहार में किए गए अपने काम का इस्तेमाल कर रहे हैं। इसमें महिलाओं का 50 फीसदी आरक्षण और शराबबंदी को सबसे बड़ा मुद्दा बना रहे हैं। नीतीश इसी मुद्दे पर दूसरी पार्टियों को घेरते भी हैं और इसी मुद्दे पर खुद यूपी में अपना जनमत भी मांगते हैं। नीतीश कुमार कहते हैं कि हमने शराबबंद की इससे बड़ा फायदा है समाज का लेकिन उत्तर प्रदेश और केंद्र की मोदी सरकार इस विषय पर चुप्पी साधे हुए है। लोग कहते हैं कि शराब से राजस्व का नुकसान है हमने उसका भी रास्ता सुझा दिया सुझाया ही नहीं बिहार में कर के भी दिखा दिया फिर भी ये लोग नहीं सुन रहे अगर "सत्ता में बैठे लोग नहीं करते है और अगर वो नहीं सुन रहे है तो आप हमे ताकत दीजिये हम करेंगे।

जदयू की उत्तर प्रदेश में कोई जमीन नहीं है बावजूद इसके उनके इस तरह के राजनीतिक सम्मेलन में तकरीबन 10 हजार की संख्या में लोग जुटे। उनकी सभा में आए लोगों खासकर महिलाओं को नीतीश की शराबबंदी अपने तरफ खींच रही है। मिर्जापुर की सभा में आए नारायण सिंह कहते हैं, "हम लोग नीतीश को चुनेंगे इनकी शराबबंदी से हमें कई फायदा है। हमारा धन बचेगा बच्चे पढेंगे। हमें उनकी पार्टी से मतलब है जो भी आएगा हम उनको वोट देंगे। नारायण सिंह की तरह अनिता सिंह भी हमे समझाते हुए कहती हैं "नीतीश जी बिहार में शराब बंदी किए हैं बिजली पानी बहुत अच्छी व्यवस्था किए हैं। हमारे प्रदेश में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है। महिलाएं यहां बहुत पीछे हैं। पुरुष शराब पीकर बहुत प्रताड़ित करते हैं।''0

उत्तर प्रदेश में नीतीश कुमार कुर्मी वोट पर निगाह लगाए हुए हैं। कुर्मी वोट अपना दल के पास था पर इन दिनों उसमे आपसी घमासान छिड़ा हुआ है। जिसका फायदा वो लेना चाहते हैं। ये बात उनकी नेता भी कह रहे हैं। केसी त्यागी ने मंच से कहा " अब अपना दल पराया हो गया अब जनता दल ही आपका अपना दल होगा।''

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में कुर्मियों का 4 % वोट बैंक हैं। पूर्वांचल के बनारस, चंदौली, मिर्जापुर, सोनभद्र, इलाहाबाद, कानपुर, कानपुर देहात की सीटों पर इनके वोटो का प्रभाव है। 2012 के विधानसभा में इसे सिर्फ एक सीट मिल पाई थी। लेकिन 2014 के लोकसभा चुनाव में जब इनका बीजेपी से गठबंधन हुआ तो ये लोकसभा की 2 सीट मिर्जापुर और प्रतापगढ़ जीत गई। राजनीति की समझ रखने वाले कहते हैं ये उत्तर प्रदेश अपनी उपस्थिति से समाजवादी पार्टी से बिहार गठबंधन तोड़ने का बदला भर लेंगे।

बहरहाल वाराणसी की रैली में शरद यादव ने कहा था कि उत्तर प्रदेश राह दिखता है दिल्ली की और अगर इसमे बिहार जुड़ जाए तो मुल्क बदल जाता है। पर मुल्क बदलने से कही ज्यादा मुल्क की गद्दी पर कब्जा करने का उनका मंसूबा दिखता है। लेकिन बड़ा सवाल ये है कि उत्तर प्रदेश की राजनीति में हाशिए पर भी मौजूदगी दर्ज न कराने वाली उनकी पार्टी क्या किसी एक बिरादरी के वोट से इस मंसूबे में कामयाब नहीं हो सकती है। और अगर नहीं तो साफ है कि वो सिर्फ किसी को नुकसान और किसी को न चाहते हुए भी फायदा ही पहुंचाएं।

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