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काशी में मातमी धुनों के बीच निकलेगी अटल बिहारी की अस्थि कलश यात्रा, बिस्मिल्लाह खां का परिवार बजाएगा शहनाई 

sudhanshu
Published on: 23 Aug 2018 2:23 PM GMT
काशी में मातमी धुनों के बीच निकलेगी अटल बिहारी की अस्थि कलश यात्रा, बिस्मिल्लाह खां का परिवार बजाएगा शहनाई 
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वाराणसी: भारतीय जनता पार्टी शासित राज्यों में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की अस्थि कलश यात्रा निकाली जा रही है। जिस शहर में पूर्व पीएम का अस्थि कलश पहुंच रहा है, भावनाओं का ज्वार उमड़ पड़ रहा है। अपनी प्रिय नेता से जुड़ी अंतिम निशानी को देखने के लिए लोग सड़कों पर निकल रहे हैं। मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी अस्थि कलश को लेकर तैयारियां जोरों पर है। अस्थि कलश यात्रा शनिवार को वाराणसी में प्रवेश करेगी। काशी में अस्थि कलश को लेकर रोडमैप तैयार कर लिया गया है। फूलपुर से लेकर राजेंद्र प्रसाद घाट तक कुल 32 जगहों पर काशीवासी अपने नेता के अस्थि का दर्शन कर सकेंगे।

मातमी धुन पेश करेगा बिस्मिल्लाह खां का परिवार

बीजेपी इस मौके को बड़े इंवेंट में तब्दील करने के मूड में दिख रही है। अस्थि कलश यात्रा को यादगार बनाने के लिए पार्टी ने बिस्मिल्लाह खां के परिवार से संपर्क किया है। पार्टी से जुड़े नेता ये चाहते हैं कि अस्थि कलश यात्रा के दौरान उस्ताद का परिवार मातमी धुन पेश करे। इसे लेकर बिस्मिल्लाह खां के परिजनों से हरी झंडी भी मिल गई है। हालांकि अभी तक स्थान का चयन नहीं हो पाया है। काशी क्षेत्र के उपाध्यक्ष धर्मेंद्र सिंह के मुताबिक राजेंद्र प्रसाद घाट या नदेसर स्थित विवेकानंद की प्रतिमा के सामने शहनाई वादन की तैयारी की जा रही है। बताया जा रहा है कि बिस्मिल्लाह खां का परिवार रामनामी व मातमी धुन के जरिए अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि पेश करेगा।

उस्ताद और अटल बिहारी का रहा है खास नाता

कवि, लेखक, पत्रकार और राजनीतिज्ञ होने के साथ-साथ ही अटल बिहारी वाजपेयी को संगीन से बेहद लगाव था। खासतौर से उन्हें शास्त्रीय संगीन बेहद पंसद था। यही कारण रहा जब केंद्र में बीजेपी की सरकार बनी तो उन्होंने संगीत से जुड़ी दो बड़ी हस्तियों को भारत रत्न देने का फैसला किया था। शहनाई सम्राट उस्ताद बिस्मिल्लाह खां और अटल बिहारी के बीच बेहद मुधर रिश्ते रहे। उनके ही कार्यकाल में साल 2002 में बिस्मिल्लाह खां को भारत रत्न से नवाजा गया था। बताते हैं कि भारत रत्न की जानकारी खुद अटल बिहारी वाजपेयी ने उस्ताद को दी थी।

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