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अटल जी का नवाबों के शहर लखनऊ से था खास लगाव

Shivakant Shukla
Published on: 16 Aug 2018 8:33 AM GMT
अटल जी का नवाबों के शहर लखनऊ से था खास लगाव
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लखनऊ: धूल और धुएँ की बस्ती में पले एक साधारण अध्यापक के पुत्र अटल बिहारी वाजपेयी दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के प्रधानमंत्री बने। उनका जन्म 25 दिसंबर 1925 को हुआ। अपनी प्रतिभा, नेतृत्व क्षमता और लोकप्रियता के कारण वे चार दशकों से भी अधिक समय तक सांसद रहे।

मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की संकल्पशक्ति, श्रीकृष्ण की राजनीतिक कुशलता और आचार्य चाणक्य की निश्चयात्मक बुद्धि के धनी अटल ने जीवन का क्षण-क्षण और शरीर का कण-कण राष्ट्रसेवा के यज्ञ में अर्पित कर दिया। उनका तो उद्घोष ही था- हम जिएँगे तो देश के लिए, मरेंगे तो देश के लिए। इस पावन धरती का कंकर-कंकर शंकर है, बिन्दु-बिन्दु गंगाजल है। भारत के लिए हँसते-हँसते प्राण न्योछावर करने में गौरव और गर्व का अनुभव करूँगा।’

लखनऊ से था खास लगाव

अटल जी के संसदीय क्षेत्र लखनऊ में उनके द्बारा लोकार्पित और शिलान्यास की गयी योजनाओं की पड़ताल करने पर जो तथ्य हाथ लगे वह बताते हैं कि तकरीबन 17 करोड़ की लागत से अटल बिहारी वाजपेयी ने लखनऊ के गोमती नगर में एक नया रेल टर्मिनल बनाने का सपना देखा था।

22 अगस्त 2001 को सांसद निधि के सहारे मेडिकल कालेज के पास एक अत्याधुनिक साइंटिफिक कन्वेंशन सेंटर भी उन्होंने ही बनवाया। कन्वेंशन सेंटर में 1400, 400 और 200 सीटों वाला आडिटोरियम का निर्माण होना शिलान्यास के समय इसकी लागत तकरीबन 15 करोड़ रुपये थी। नई रिंग रोड की परिकल्पना की गयी थी। सीतापुर रोड से फैजाबाद रोड तक फोर लेन बनाने की योजना रखी। राज्य की बिजली समस्य से निजात के लिए कूड़े से बिजली बनाने की परियोजना 88 करोड़ रुपये की रखी। एशिया बायो एनर्जी लिमिटेड ने यह परियोजना उनके प्रधानमंत्रित्व काल में ही पूरी कर दी थी। यह बात दूसरी है कि अब 20 दिसंबर 2004 से भरावन खुर्द दुबग्गा में बिजली बनाने के लिए बनाये गये इस संयंत्र में ताला लटक रहा है। इस योजना का उद्घाटन वाजपेयी जी ने 26 नवंबर 1998 को किया था।

गंभीर मरीजों को एक ही छत के नीचे सारी जांचे कराने की सुविधा के लिए वाजपेयी जी ने किंग जार्ज चिकित्सा विवि से जुड़े एक ट्रामा सेंटर की सौगात दी थी। इसका शिलान्यास उन्होंने 12 जनवरी 1999 को किया था। 25 दिसंबर 1999 को लखनऊ में मेडिकल कालेज में एक रैन बसेरा का लोकार्पण किया। पर बाद में रैन बसेरा से शिलान्यास का पत्थर भी हटा लिया गया। उसकी जगह पावर कारपोरेशन का स्पार्ट बिल्डिंग सेंटर बना दिया गया। यह काम भी बसपा-भाजपा गठबंधन सरकार के समय ही हुआ।

'गोमती मरी तो शहर मर जाएगा': अटल

अटल गोमती को लखनऊ की जीवन रेखा बताते नहीं थकते थे। वह कहते थे कि गोमती मरी तो शहर मर जाएगा। उन्होंने गोमती के लिए रिवर फ्रंट योजना भी शुरू की थी। 32.50 करोड़ रुपये की योजना का शिलान्यास वाजपेयी ने 21 मई 2003 को किया था।

10 जून 1999 को लखनऊ के दो सौ पार्कों के सुंदरीकरण कार्यक्रम का शिलान्यास किया। हालांकि तब जो पार्क विकसित हुए अब वह देखरेख के अभाव में फिर बदहाल हो गये हैं। उनके द्बारा जिस साफ्टवेयर टेक्नालॉज पार्क की नींव रखी गयी थी वह तैयार नहीं हो पाया बल्कि प्रमोटर कंपनी बीच में ही काम छोड़कर भाग गयी।

27 जून 2002 को वाजपेयी जी द्बारा शुरू की गयी परिक्रमा रेल सेवा भी अटल के अरमान पूरे नहीं कर सकी। लखनऊ में पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी के नाम पर चल रही दर्जन भर से ज्यादा योजनाएं जो पहले से ही अधर में लटकी थीं, अब ठप होने की स्थिति में आ गयी है।

Shivakant Shukla

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