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रणनीतिक चूक से योगी के एक मंत्री की छुट्टी तय, नहीं बचा कोई विकल्प !

यूपी में किसी भी सदन के सदस्य नहीं रहने वाले सीएम योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और डॉ. दिनेश शर्मा का तो उच्च सदन में जाना तय है।

tiwarishalini
Published on: 27 Aug 2017 5:25 AM GMT
रणनीतिक चूक से योगी के एक मंत्री की छुट्टी तय, नहीं बचा कोई विकल्प !
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लखनऊ: यूपी में किसी भी सदन के सदस्य नहीं रहने वाले सीएम योगी आदित्यनाथ, डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और डॉ. दिनेश शर्मा का तो उच्च सदन में जाना तय है। योगी सरकार में सीएम समेत पांच सदस्य हैं जो यूपी में किसी सदन के सदस्य नहीं हैं। अब जो हालात बने हैं उसमें योगी सरकार के पांच मंत्रियों में से एक को इस्तीफा देना ही होगा। स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री स्वतंत्र देव सिंह और राज्य मंत्री मोहसिन रजा को लेकर कयासों का दौर जारी है। इन पांचों मंत्रियों को 19 सितंबर से पहले किसी सदन का सदस्य बनना होगा। बीजेपी से रणनीतिक चूक हुई है। इसलिए उसकी भरपाई के लिए उसे एक मंत्री का इस्तीफा लेने के अलावा अब कोई विकल्प नहीं बचा है।

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रणनीतिक चूक

पिछले 19 मार्च को सत्ता ग्रहण करने के बाद ही बीजेपी अपने पांच मंत्रियों को सदन में एडजस्ट कराने के लिए दांव-पेंच खेल रही थी। इसी के तहत 29 जुलाई 2017 को सपा एमएलसी यशवंत सिंह और बुक्कल नवाब, बसपा एमएलसी ठाकुर जयवीर सिंह ने इस्तीफा दिया था। यशवंत सिंह और बुक्कल नवाब की सदस्यता 6 जुलाई 2022 को ख़त्म हो रही है जबकि जयवीर सिंह का कार्यकाल 5 मई 2018 को ख़त्म हो रहा है।

सपा की सरोजनी अग्रवाल ने 4 अगस्त 2017 को इस्तीफा दिया था। इनका कार्यकाल 30 जनवरी 2021 को ख़त्म हो रहा है। सपा के ही अशोक बाजपयी ने भी 9 अगस्त 2017 को इस्तीफा दिया था। इनका भी कार्यकाल 30 जनवरी 2021 को ख़त्म होगा।

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सपा से जीते अब बसपा के सदस्य अंबिका चौधरी ने भी इस्तीफा दिया है। चूंकि बीजेपी को 5 सीटें ही अपने मंत्रियों को सदन में जाने के लिए चाहिए थी लेकिन चुनाव की अधिसूचना सिर्फ 4 सीटों पर ही जारी हुई जबकि सीटें 6 थी । जयवीर सिंह और अम्बिका चौधरी का कार्यकाल 5 मई 2018 तक होने की वजह से इन सीटों पर अधिसूचना जारी नहीं हो सकी।

यहीं पर बीजेपी के रणनीतिकारों से चूक हुई जिसका खामियाजा अब योगी के एक मंत्री को इस्तीफा देकर चुकाना होगा। हालांकि, अभी कानपूर की सिकंदरा विधानसभा सीट से विधायक मथुरा पाल की मौत के बाद खाली हुई सीट पर भी उपचुनाव होना है, लेकिन अभी उसकी अधिसूचना भी नहीं जारी हुई है। जिसमें अभी समय लगेगा।

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स्वतंत्र को हटाया तो ...

इस्तीफा देने वालों में स्वतंत्र देव सिंह और मोहसिन रजा ही हैं। सीएम योगी आदित्यनाथ, केशव मौर्या और दिनेश शर्मा का विधान परिषद में जाना तय माना जा रहा है। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह साफ़ कर चुके हैं कि केशव मौर्य यूपी में ही रहेंगे। इसलिए वह फूलपुर सांसद पद से इस्तीफा देंगे जबकि सीएम योगी आदित्यनाथ गोरखपुर सांसद पद से इस्तीफा देंगे। स्वतंत्र देव सिंह से अगर इस्तीफा लिया भी जाता है तो उन्हें संगठन में बडी जगह दी जाएगी।

बीजेपी की रणनीतिक चूक को मैनेज करने के लिए यह कदम उठाया जाएगा। स्वतंत्र देव सिंह ने लम्बा समय संगठन में बिताया है। विधानसभा चुनावों से पहले भी चर्चा थी कि उन्हें प्रदेश अध्यक्ष बनाया जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

बीजेपी ने लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव पिछड़ी जाति पर फोकस कर लड़ा था। इसलिए माना जा रहा है कि स्वतंत्र देव सिंह इस्तीफा देंगे तो उन्हें संगठन में बडा पद दिया जाएगा ।

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रजा के विवादों की अड़चन

मोहसिन रजा को योगी सरकार में इकलौते मुस्लिम मंत्री की पदवी हासिल की थी, लेकिन 6 महीनों में मोहसिन रजा के काम कम विवाद ज्यादा सामने आए।

मोहसिन रजा पर आरोप है कि 2010 में पावर ऑफ अटॉर्नी अपनी मां जाहिदा बेगम के नाम करके जमीनें बेची। ये जमीनें उन्नाव के सफीपुर के मुख्य बाजार में हैं। मोहसिन रजा सफीपुर के ही रहने वाले हैं। सफीपुर में वक्फ की लगभग 505 गज जमीनें तीन बार में बेची जहां अब दुकाने हैं।

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यही नहीं शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी से भी उनकी तनातनी छिपी नहीं है। हालात यहां तक बिगड़े की मोहसिन रजा को शिया वक्फ बोर्ड ने वक्फ की जमीनों के मामले में तलब तक कर लिया था।

शिया मुसलमानों में भी मोहसिन रजा को लेकर नाराजगी है। इसलिए मोहसिन रजा एक कमजोर कड़ी माने जा रहे हैं। चर्चा यह भी है कि इनकी विदाई के बाद किसी दुसरे मुस्लिम नेता को बीजेपी मंत्री बना सकती है।

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