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रामलीला है इंडो‍नेशिया का राष्‍ट्रीय पर्व, अगर हमने इसमें खर्च किया सरकारी पैसा तो कहलाएंगे सांप्रदायिक: योगी  

sudhanshu
Published on: 22 Sep 2018 1:59 PM GMT
रामलीला है इंडो‍नेशिया का राष्‍ट्रीय पर्व, अगर हमने इसमें खर्च किया सरकारी पैसा तो कहलाएंगे सांप्रदायिक: योगी  
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गोरखपुर: ब्रह्मलीन महंत दिग्विजय नाथ और ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ की साप्ताहिक समारोह के दौरान श्री राम कथा के उद्घाटन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि इंडोनेशिया जैसा मुस्लिम देश जहां मुद्रा भगवान गणेश के नाम पर है, वहां की एयरलाइंस का नाम गरुड़ है। इसके साथ ही रामलीला वहां का राष्ट्रीय पर्व है। जिसे पूरे देश में सरकारी खर्चे पर मनाया जाता है। अगर हम यहां पर रामलीला को सरकारी खर्च पर आयोजित करेंगे, तो हमें सांप्रदायिक कहा जाएगा।

सीएम ने किया सबका अभिवादन

योगी आदित्यनाथ ने रामकथा में आये सभी लोगों और यजमानों का स्वागत और अभिनन्दन किया। उन्होंने कहा कि हर साल गोरक्षपीठ के महंत दिग्विजयनाथ और महंत अवेद्यनाथ की पुण्यतिथि पर यह कार्यक्रम होता है। दोनों महंत भारत के संतों और योगियों की परंपरा में चमकते हुई नक्षत्र हैं। इस साल बाल्मीकि कथा को सुनने का अवसर लोगों को मिलेगा, जिसका अलग ही महत्व है। ईश्वर के दरबार में जातीय भेदभाव नहीं है। ईश्वर के प्रति जैसी जिसकी दृष्टि होगी उसपर ईश्वर की वैसी ही कृपा बरसती है।

योगी आदित्यनाथ ने कहा कि दुनिया की कोई ऐसी भाषा नहीं है, जिसमें रामकथा उपलब्ध ना हो। यह इस बात को बताता है कि श्रीराम की यात्रा अयोध्या से श्रीलंका तक थी और उनकी यशगाथा को दुनिया तक पहुचाने का श्रेय बाल्मीकि जी को है।

इंडोनेशिया में होता है रामायण का पाठ

सीएम योगी ने कहा कि अयोध्या में 6 देशों की रामलीला में पता चला कि रावण की लंका में भी श्री रामलीला का आयोजन होता है। पीएम मोदी के आने से पहले राम को भुनाने का प्रयास किया गया। अयोध्या जाने से परहेज किया। दुनिया के अंदर सबसे बड़ा मुस्लिम देश इंडोनेशिया है पर वहां भी रामायण का पाठ होता है।

आज जब हम श्रीराम की कथा का श्रवण करने बैठे हैं, तो हमें यह जानना होगा कि बाल्मीकि जी ने जब सोचा कि किसके नाम पर कथा को लिखू, तो नारद जी ने उनको श्रीराम का नाम सुझाया। श्रीराम के प्रति भारत की सनातन आस्था है। यह किसी देश या क्षेत्र में बांटकर नहीं रख सकते हैं। हजारों सालों के बाद भी शासन की उत्तम व्यवस्था रामराज्य आज भी है। यह उत्तम इसलिए है कि राम राज्य में कोई दुःख नहीं है। राम के नाम से ही अराजकता दूर हो जाती है।

ब्रह्मलीन गोरक्षपीठाधीश्वर महंत दिग्विजयनाथ की 49 वीं और महंत अवेद्यनाथ की चौथी पुण्यतिथि पर आयोजित साप्ताहिक श्रद्धांजलि समारोह के तहत वाल्मिकि रामायण वाराणसी से आये के प्रसिद्ध संत और कथाव्यास जगदगुरु अनन्तानंद द्वाराचार्य स्वामी डॉ.रामकमल दास वेदान्ती संगीतमयी श्रीराम कथा सुना रहे हैं. कथा सात दिनों तक चलेगी।

वाराणसी के प्रसिद्ध संत और कथाव्यास जगदगुरु डा.राजकमल दास वेदान्ती सुना रहे वाल्मिकि रामायण पर आधारित श्रीराम कथा शोभायात्रा, मुख्य मंदिर में गुरु गोरक्षनाथ के पूजन से शुरू हुई। ब्रह्मलीन गोरक्षपीठाधीश्वर महंत दिग्विजयनाथ और ब्रह्मलीन गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ के समाधि स्थल से होते हुए श्री दिग्विजयनाथ स्मृति सभागार पहुंची जहां अखंड ज्योति की स्थापना की गई है।

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