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जानिए मायावती की बैठक में क्यों टूट गई बसपाइयों की उम्मीदें
बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने गुरूवार (10 अगस्त) को पार्टी की यूपी यूनिट के जोन इंचार्ज, मंडल, जिला, विधानसभा क्षेत्र और लोकसभा क्षेत्र प्रभारियों को बुलाया था।
लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने गुरूवार (10 अगस्त) को पार्टी की यूपी यूनिट के जोन इंचार्ज, मंडल, जिला, विधानसभा क्षेत्र और लोकसभा क्षेत्र प्रभारियों को बुलाया था। बड़ी उम्मीदों के साथ बसपाई बैठक में शामिल भी हुए। वसूली के आरोपों से गरमाए माहौल में यह चर्चा जोरों पर थी कि कांशीराम के मूवमेंट की दुहाई देने वाली पार्टी नेत्री आज उन्हें 'माया' के बंधनों से मुक्त कर देंगी। पर इसके उलट जो हुआ उसने बसपा नेताओं के होश उड़ा दिएं।
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पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, मायावती ने अपने करीबन दो घंटे के भाषण में मौजूद प्रतिनिधियों को अम्बेडकरवाद की दुहाई देते हुए भीतरघात से सतर्क रहने की नसीहत दी लेकिन पार्टी को 'माया' की जरूरत बताने से परहेज नहीं किया। एक नेता ने अपना नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि मायावती ने मंच से साफ कहा कि यदि माया के पास 'माया' नहीं रहेगी तो किसके पास रहेगी। यह सुनते ही बड़ी-बड़ी उम्मीदें पाले बैठक में पहुंचे नेताओं के होश उड़ गए। नेताओं की उम्मीदों के विपरीत उन्होंने आगामी 15 अगस्त तक विधानसभावार दिए गए टारगेट को पूरा करने का निर्देश दिया।
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पार्टी से निष्काषित नेता ने लगाया था ये आरोप
इसके पहले पार्टी से निष्कासित पूर्व मंत्री इंद्रजीत सरोज ने मायावती पर आरोप लगाते हुए कहा था कि उन्होंने विधानसभावार 9 से 22 लाख तक वसूली का टारगेट दिया है। इसके लिए विधानसभा स्तर पर रजिस्टर बनाए गए हैं। पार्टी के ज्यादातर प्रत्याशी बीते चुनाव में अपनी प्रतिष्ठ गवां चुके हैं। इसकी वजह से पार्टी के ज्यादातर प्रतिनिधि परेशान हैं।