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पीएम भूले अपना वादा, याद दिलाने पैदल चल पड़ा शख्‍स, तय किया 1350 किमी का सफर

sudhanshu
Published on: 14 Jun 2018 2:21 PM GMT
पीएम भूले अपना वादा, याद दिलाने पैदल चल पड़ा शख्‍स, तय किया 1350 किमी का सफर
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आगरा: जून माह की इस भीषण गर्मी ने सबकी हालत पस्‍त कर रखी है। जरूरी कामों को छोड़कर कोई घर से बाहर एक कदम नहीं निकलना चाह रहा है। लेकिन इससे उलट एक ऐसा शख्‍स भी है जो इस चिलचिलाती गर्मी में पीएम मोदी को अपना वादा याद दिलाने के लिए निकल पड़ा है। उड़ीसा से चले इस शख्‍स ने अब तक 1350 किलोमीटर की यात्रा कर ली है। गुरूवार को वह सूबे के आगरा जनपद पहुंचा। जहां उसकी हालत बिगड़ गई।

बेहोश होकर गिरा शख्‍स

उड़ीसा के रहने वाले मुक्तिकांत विश्‍वास ने बताया कि पीएम मोदी ने अपनी चुनावी जनसभा के दौरान उड़ीसा की जनता से विकास के वादे किए थे। लेकिन जमीनी स्‍तर पर ऐसा कुछ होता नहीं दिखा नहीं। इसीलिए दिल्‍ली जा रहा हूं। वहां जाकर पीएम मोदी को उनका वादा याद दिलाना ही इस पदयात्रा का उद्देश्‍य है।

राउरकेला के रहने वाले मुक्तिकांत विश्वास चिलचिलाती धूप और 45 डिग्री तापमान में पैदल ओडिशा से दिल्ली जा रहे हैं। वह 1550 किलोमीटर का सफर पैदल तय करके ओडिशा से दिल्ली सिर्फ पीएम मोदी से मिलने और उनके वादों को याद दिलाने जा रहे हैं। 2015 में पीएम ने ओडिशा की जनता से राउरकेला में ओवरब्रिज और सुपर स्पेशलिस्ट हॉस्पिटल बनाने का वादा किया था, जो 3 साल बाद भी वादा बनकर ही रह गया है। हाथों में तिरंगा लेकर मुक्तिकांत 1350 किलोमीटर पैदल चल कर आगरा पहुंचे हैं। उनका कहना है कि इस तरह वह पीएम मोदी को इस बात की याद दिलाना चाहते कि जो वादा उन्होंने किया था। वह आज तक पूरा नहीं हो सका है। आज भी ओडिशा के राउरकेला की जनता सुपर स्पेशलिस्ट हॉस्पिटल और ओवरब्रिज बनने की उम्मीद में बैठी है।

16 अप्रैल को शुरू हुई थी यात्रा

मुक्तिकांत 16 अप्रैल को ओडिशा से पैदल निकले थे। 58 दिन के बाद वह आगरा पहुंचे हैं।जहाँ तेज धूप के चलते मुक्ति बेहोश होकर गिर पड़े जिसके बाद स्थानीय नागरिको ने उन्हें स्थानीय हॉस्पिटल में भर्ती कराया जहाँ उनका इलाज चल रहा है। मुक्तिकांत ने कहा कि वो प्रधानमंत्री से मिलकर अपनी बात रखेंगे और उनको उनके वादे की याद दिलाएंगे, यदि पीएम नहीं मिले तो वो दिल्ली में ही धरने पर बैठेंगे, उन्होंने कहा कि वो इतनी धूप में सिर्फ इसलिए निकले हैं कि नेताओं को आम जनता की परेशानियों का एहसास हो सके।

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