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कहां चले गए मेरे अच्छे दिन: HC के बाद अब शर्मिला इरोम ने दिया नीतीश को झटका

Rishi
Published on: 1 Oct 2016 9:54 AM GMT
कहां चले गए मेरे अच्छे दिन: HC के बाद अब शर्मिला इरोम ने दिया नीतीश को झटका
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vinod kapoor vinod kapoor

लखनऊ: बिहार में पूर्ण शराब बंदी लागू कर क्लीन इमेज बना चुके वहां के सीएम नीतीश कुमार के लिए हाल के दिनों में सब कुछ अच्छा नहीं चल रहा है। पटना हाईकोर्ट ने 30 सितम्बर को उनके शराब बंदी कानून को असंवैधानिक करार दिया तो लगातार सोलह साल तक भूख हड़ताल कर पूरी दुनिया में चर्चा में आईं मणिपुर की शर्मिला चानू इरोम ने उनकी पार्टी जनतादल यू में शामिल होने से इंकार कर दिया। बिहार से सटे पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिलों में लगातार अपनी पैठ बना रहे नीतीश कुमार पूरे देश में पूर्ण शराब बंदी की वकालत करते रहे हैं। उन्होंने यूपी के सीएम अखिलेश यादव को भी इसे लागू करने की सलाह दी थी जिसे नकार दिया गया।

बिना बताए मिशन 2019 के मिशन में जुटे नीतीश कुमार आने वाले लोकसभा चुनाव में एक ऐसी इमेज के साथ जाना चाहते हैं जिसे देश का प्रबुद्ध वर्ग सराहे। इसीलिए शर्मिला के भूख हड़ताल खत्म करते ही उन्होंनें अपनी पार्टी के महासचिव अरूण श्रीवास्तव को मणिपुर भेजा । वैसे अरूण्र श्रीवास्तव पार्टी के उत्तर पूर्व राज्य के प्रभारी भी हैं। नीतीश कुमार ने शर्मिला को मणिपुर में पार्टी की कमान देनी चाहिए लेकिन उन्होंने आदर पूर्वक मना कर दिया।

कौन हैं शर्मिला चानू इरोम

लगातार सोलह साल तक भूख हड़ताल कर गिनीज बुक में अपना नाम दर्ज करा चुकी शर्मिला चानू इरोम अब सक्रिय राजनीति में आना और चुनाव लड़ना चाहती है । भारत सरकार की ओर से 1958 से अशांत उत्तर पूर्व के राज्यों में लागू आर्म्स फोर्स स्पेशल पॉवर एक्ट को खत्म करने कर मांग को लेकर साल 2000 से उन्होंने भूख हड़ताल शुरू की थी जिसे उन्होंनें इस साल 9 जुलाई में खत्म कर दिया। हालांकि केंद्र सरकार ने इस कानून को अभी तक वापस नहीं लिया है।

राजनीतिक दलों ने 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में शर्मिला से शिरकत करने और चुनाव लड़ने का आग्रह किया था जिसे उन्होंने ये कह कर इंकार कर दिया कि जेल में बंद किसी को चुनाव नहीं लड़ना चाहिए। उनकी भूख हड़ताल को सरकार ने ख्रुदकुशी की हरकत माना था और गिरफ्तार कर लिया था। उन्होंनें 2 नवम्बर 2000 से भूख हड़ताल शुरू की थी। वो लगातार 500 सप्ताह तक बिना खाने और पानी के रहीं। इसे दुनिया का अब तक का सबसे लंबा भूख हड़ताल माना गया। साल 2014 के विश्व महिला दिवस पर उन्हें महिला आयकॉन की उपाधि दी गई। हालांकि अदालत ने उन्हें 19 अगस्त 2014 को रिलीज कर दिया था लेकिन चार दिन बाद उन्हें फिर गिरफ्तार कर लिया ।

उनके अचानक भूख हड़ताल खत्म करने से लोग आश्चर्य में डाल दिया। शर्मिला ने भूख हड़ताल खत्म करने के बाद कहा कि वो सबसे पहले अपनी मां की हाथ का बना चावल खाना चाहती हैं। उत्तर पूर्व के राज्यों में चावल लोगों का मुख्य भोजन है ।

नीतीश यूपी चुनाव में शर्मिला को बनाना चाहते थे चेहरा

हालांकि शर्मिला को बहुत लोग नहीं जानते । यदि वो उत्तर पूर्व राज्य के बजाय पश्चिमी या उत्तर भारत के किसी राज्य की होतीं तो उनकी पुख्ता पहचान होती । नीतीश वोट के लिए नहीं बल्कि शर्मिला को एक आंदोलनकारी और लड़ने का जज्बा रखने वाली महिला के तौर पर पेश करना चाहते थे । शर्मिला अभी दिल्ली में हैं। जनतादल यू के नेताओं ने 1 अक्तूबर को भी उनसे बात की लेकिन उन्होंने नेताओं को कोई ठोस जवाब नहीं दिया । नीतीश अच्छी तरह जानते हैं कि यूपी में जाति और धर्म के नाम पर वोट दिए और लिए जाते हैं इसलिए उनका इस लिहाज से फायदा नहीं मिलेगा लेकिन सवाल इमेज का था ।

नीतीश की मुश्किल उनके सहयोगी दल भी

नीतीश की मुश्किल बिहार में सरकार में शामिल उनके सहयोगी दल भी हैं । कांग्रेस यूपी के चुनाव में उनसे कोई बात नहीं करना चाहती तो बिहार चुनाव में नीतीश कुमार के कारण ही राजनीतिक संजीवनी पा चुके लालू प्रसाद यादव ने साफ कर दिया है कि वो यूपी चुनाव में समाजवादी पार्टी के लिए प्रचार करेंगे और मदद भी ।

रालोद ने बढाया नीतीश के आगे दोस्ती का हाथ

राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष अजित सिंह ने अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए दोस्ती का हाथ बढाया है । पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अलावा पूर्वी यूपी के कुछ इलाके में रालोद का प्रभाव है । राजनीति के जानकार मानते हैं कि अजित सिंह हमेशा सत्ता के साथ रहे हैं ।केंद्र में मंत्री पद के लिए अजित सिंह कभी कांग्रेस तो कभी बीजेपी के साथ रहे । इस बार चुनाव को लेकर समाजवादी पार्टी से उनके तालमेल की बात पक्की हो चुकी थी लेकिन बाद में सब गडबड हो गया । इसीलिए रालोद के विधानसभा सदस्यों ने विधान परिषद और राज्यसभा के पिछले जुलाई में हुए चुनाव में सपा के पक्ष में मतदान किया था । अब चुनाव में नीतीश को रालोद का ही सहारा है । लेकिन ये कितना कारगर होगा ये कहा नहीं जा सकता ।

Rishi

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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