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शिवपाल की विधानसभा अध्यक्ष से मुलाकात, राजनीतिक चर्चा का बाजार गरम
लखनऊ : सपा नेता शिवपाल सिंह यादव की 4 अप्रैल को नवनिर्वाचित विधानसभा अध्यक्ष ह्दय नारायण दीक्षित से हुई लंबी वार्ता ने राज्य की राजनीति में नयी चर्चा छेड़ दी है। इसके पूर्व मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अर्पणा यादव तथा उनके पति प्रतीक यादव ने सीएम योगी आदित्यनाथ को अपनी गौशाला का भ्रमण कराया था। अब दीक्षित से शिवपाल की मुलाकात को भी यादव परिवार में चल रही बगावत के ही नजरिये से देखा जा रहा है।
विधानसभा अध्यक्ष से शिवपाल की मुलाकात को गोपनीय रखने का प्रयास किया गया परन्तु, स्थान की सार्वजनिकता ने इसकी कलई खोल दी। विधानसभा अध्यक्ष बनने के बाद भी दीक्षित अभी अपने पुराने दारूलशफा के ही आवास में रह रहे है। दीक्षित की कार्यशैली स्थानीय विधायकों से भी ज्यादा व्यस्त रहती है। दीक्षित के यहां फरियादियों की हमेशा भीड लगी रहती है।
दीक्षित के साथ शिवपाल की मुलाकात के सूत्रधार उन्नाव के ही भाजपा विधायक कुलदीप सिंह सेंगर रहे। वह शिवपाल के साथ ही दीक्षित के आवास पर पहुंचे। कुलदीप सेंगर पहले सपा से ही विधायक थे और शिवपाल के नजदीकियों में जाने जाते थे। सपा परिवार में अखिलेश यादव से तकरार बढïने के बाद कुलदीप तथा अन्य कई विधायकों ने पाला बदला।
वैसे तो शिवपाल का कहना था कि विधानसभा अध्यक्ष बनने के बाद वह दीक्षित जी को व्यक्तिगत तौर पर बधाई नही दे सका था, इसलिए अवकाश के दिन मिलने आया। शिवपाल ने दीक्षित को गुलदस्ता भेंट कर विधानसभा अध्यक्ष बनने की बधाई दी। बाद में दीक्षित और शिवपाल की लगभग 40 मिनट अन्दर के कक्ष में एकान्त वार्ता हुई।
राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि अखिलेश यादव से तकरार बढने के बाद शिवपाल और मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अर्पणा यादव अलग दल बनाकर भाजपा से गठजोड कर सकते है। शिवपाल ने दो दिन पूर्व ही सपा के खिलाफ नयी पार्टी बनाने का संकेत दिया था। वैसे भी यादवी कलह में अब किसी भी तरह की सुलह के संकेत खत्म हो गये है।
चर्चा है कि शिवपाल खेमा सपा के एक तिहाई विधायकों को अपने पाले में भी रहने की रणनीति बना रहा है। ऐसे में विधानसभा अध्यक्ष की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने अपने चचा शिवपाल यादव को नेता विपक्ष भी नही बनने दिया। इससे भी परिवार में कलह बढ़ी है। यह भी चर्चा है कि सीएम योगी आदित्यनाथ पिछली अखिलेश सरकार के कामों की जांच कराकर भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना चाहते है। इस में यादव परिवार के कई लोगों के नाम आ रहे है। इससे बचने के लिए भी यादव कुल नयी सरकार के प्रभावी लोगों से संबंध बनाने में जुटा है।
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