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UP Politics News : भाजपा की यह तिकड़ी चुनाव के पहले ऐसे लुभाएगी पिछड़ों को

UP Politics News: पिछड़ों के वोट बैंक को अपने पाले में करने के लिए कई जिलों में सम्मेलनों का आयोजन करने जा रही है।

Shreedhar Agnihotri
Written By Shreedhar AgnihotriPublished By Shraddha
Published on: 29 Aug 2021 1:31 PM IST
भाजपा की यह तिकड़ी चुनाव के पहले ऐसे लुभाएगी पिछड़ों को
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 मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (फाइल फोटो - सोशल मीडिया)

UP Politics News: उत्तर प्रदेश में एक तरफ जहां भाजपा सवर्णो को अपने पाले में करने के लिए तरह- तरह की रणनीति बना रही है तो वहीं दूसरी तरफ पिछड़ों के वोट बैंक को अपने पाले में करने के लिए अगले दो महीने तक कई जिलों में पिछड़े वर्ग के सम्मेलनों का आयोजन करने जा रही है। इन सम्मेलनों में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath) डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य (Deputy CM Keshav Prasad Maurya) और प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव (State President Swatantradev) शामिल होंगे। संभावना इस बात की है कि सम्मेलनों में केन्द्र सरकार में शामिल पिछड़े वर्ग के मंत्रियों को भी आमन्त्रित किया जाएगा।

इन सम्मेलनों में केन्द्र सरकार (Central Government) की पिछडे़ वर्ग के लिए किए गए विकास कार्यो के अलावा यूपी सरकार की तरफ से इस वर्ग के लिए घोषित योजनाओं को बताने का काम किया जाएगा। इसके पहले 2019 के लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) में भी भाजपा ने पिछड़ी जाति के लोगों को लुभाने के लिए लोधी किसान समाज सम्मेलन, भुर्जी समाज, निषाद, कश्यप, बिंद (मल्लाह), मोदनवाल (हलवाई) कुर्मी, पटेल, वर्मा, गंगवार गिरी गोस्वामी यादव समाज के साथ ही ओबीसी की अन्य कई जातियों तेली, साहू समाज, नाई, राठौर, विश्वकर्मा समाज सहित बघेल-पाल समाज के सम्मेलन कर इस वोट बैंक को साधने का काम कर चुकी है।

कई जिलों में पिछड़े वर्ग के सम्मेलनों का आयोजन करने जा रही है(कॉन्सेप्ट फोटो - सोशल मीडिया)


2017 के विधानसभा चुनाव में भी भाजपा ने इस वर्ग को लुभाने के लिए पार्टी ने राज्यभर में 100 पिछड़ा वर्ग सम्मेलन आयोजित किए थें। पार्टी की योजना है कि दो विधानसभा क्षेत्रों को मिलाकर कम से कम एक संयुक्त सम्मेलन जरूर हो। इस सम्मेलन को शुरू करने से पहले पार्टी राज्यस्तरीय नेताओं का एक कार्यशाला आयोजित किए थें जिसमें नेताओं और कार्यकर्ताओं को ठीक तरह से प्रशिक्षित किया गया था।

जहां तक बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी की बात है तो इन दोनो दलों ने दलितों और पिछडों पर एकछत्र राज्यकर इस वोट बैंक को कई सालों तक अपने पाले में संजोए रखा। समाजवादी पार्टी ने 1993 के चुनाव में पिछड़ों को अपने पक्ष में कर बसपा के साथ प्रदेश में सरकार बनाई। इसी वोट बैंक के सहारे 1996 में देश के रक्षामंत्री बने थें। पर अब मुलायम सिंह यादव समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष न होकर केवल संरक्षक की भूमिका में है। अखिलेश यादव की पकड़ अब इस वर्ग पर काफी कमजोर हुई है जिसका लाभ भाजपा लगातार उठा रही है।

जातिगत राजनीति से जकडे उत्तर प्रदेश में चुनाव को देखते हुए मोदी और योगी सरकार लगातार इस वोट बैंक पर सेंध लगाने के प्रयास में है। चाहे वह एसटी एससी कानून में संशोधन का मामला हो अथवा डॉ. अम्बेडकर की प्रतिमा के अलावा उनके नाम पर कई योजनाएं क्यों न हों। हाल ही में संसद में ओबीसी संशोधन बिल भी पास किया जा चुका है।

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