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गजब! क्वारंटाइन से इस्लाम का नाता, 200 साल है ये पुराना

इन दिनों जब से कोरोना वायरस अपने देश में आया है कुछ शब्द आपको रट गए होंगे जैसे जनता कर्फ्यू, लॉकडाउन, क्वारंटाइन आदि। लेकिन क्या आप लोग जानते हैं क्वारंटाइन शब्द कहां से आया है और इस्लाम में इसे क्या कहते हैं ये तो बिल्कुल नहीं पता होगा। तो चलिए आज इसी पर चर्चा करते हैं।

राम केवी
Published on: 15 April 2020 9:19 AM GMT
गजब! क्वारंटाइन से इस्लाम का नाता, 200 साल है ये पुराना
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देश में तब्लीघी जमात और उनके समर्थक लोगों द्वारा लॉकडाउन और क्वारंटाइन के उल्लंघन के तमाम मामले आ रहे हैं जिससे सरकार के कोरोना वायरस के नियंत्रण के प्रयासों पर असर पड़ रहा है जबकि खुद इस्लाम में क्वारंटाइन का दस्तावेजी साक्ष्य 1838 का बताया जाता है जबकि इतिहास इससे भी पुराना है। आइए जानते हैं क्या है क्वारंटाइन।

इन दिनों जब से कोरोना वायरस अपने देश में आया है कुछ शब्द आपको रट गए होंगे जैसे जनता कर्फ्यू, लॉकडाउन, क्वारंटाइन आदि। लेकिन क्या आप लोग जानते हैं क्वारंटाइन शब्द कहां से आया है और इस्लाम में इसे क्या कहते हैं ये तो बिल्कुल नहीं पता होगा। तो चलिए आज इसी पर चर्चा करते हैं।

कहां से आया क्वारंटाइन

क्‍वारंटाइन शब्‍द दरअसल क्‍वारंटेना (quarantena) से आया है, जो वेनशियन भाषा का शब्‍द है। इसका अर्थ 40 दिन होता है। 1348-1359 के दौरान प्‍लेग से यूरोप की 30 फीसद आबादी जब मौत के मुंह में समा गई थी। इसके बाद 1377 में क्राएशिया (city-state of Ragus) ने अपने यहां पर आने वाले जहाजों और उन पर मौजूद लोगों को एक द्वीप पर 30 दिनों तक अलग रहने का आदेश जारी किया था। उस समय इस अवधि को ट्रेनटाइन कहा गया।

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इस अवधि में ध्‍यान दिया जाता था कि किसी व्‍यक्ति में प्‍लेग के लक्षण तो नहीं हैं। 1448 में इस समय को बढ़ाकर 40 दिन यानी क्वारंटेना कर दिया गया। इसलिए जब तक ये अवधि तीस दिनों तक सीमित थी इसे ट्रेनटाइन कहा जाता था, जब ये समय सीमा बढ़ाकर 40 दिनों की हुई तो इसको क्‍वारंटाइन कहा जाने लगा।

यहां से ही इस शब्‍द की उत्‍पत्ति भी हुई। 40 दिनों के क्‍वारंटाइन का असर उस वक्‍त साफ दिखाई दिया था और इससे प्‍लेग पर काफी हद तक काबू पा लिया गया था। उस वक्‍त प्‍लेग के रोगी की लगभग 37 दिनों के अंदर मौत हो जाती थी।

7वीं शताब्‍दी की लिखी किताब में भी जिक्र

क्‍वारंटाइन का जिक्र सातवीं शताब्‍दी में लिखी गई गई एक किताब में भी मिलता है। इसको लेविटिकस (Biblical book of Leviticus) ने लिखा था। इसमें बीमार व्‍यक्ति को दूसरों से अलग करने का जिक्र किया गया है।

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इस किताब में शरीर पर सफेद दाग उभरने पर बीमार व्‍यक्ति को सात दिनों के लिए अलग कर दिया जाता था। सात दिनों के बाद मरीज की जांच की जाती थी यदि इस दौरान उसमें कोई फायदा न होने पर उसको दोबारा 7 दिनों के लिए अलग रखा जाता था।

इस्‍लामिक इतिहास में क्‍वारंटाइन

इस्‍लामिक इतिहास में चेचक उभरने पर मरीज को कुछ दिनों के लिए अलग रखने का जिक्र मिलता है। 706-707 में छठे अल वालिद ने सीरिया के दमश्‍क में अस्‍पताल का निर्माण करवाया था। उन्‍होंने आदेश दिया था कि चेचक के मरीजों को अस्‍पताल में दूसरों से अलग रखा जाए।

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1431 में इस बीमारी से ग्रसित मरीजों को अलग रखने की शुरुआत उस समय अनिवार्य तौर पर हुई जब ओटोमेंस (Ottomans) ने चेचक के लिए एड्रिन में अस्‍पताल (Ottomans built a leprosy hospital in Edirne)बनवाया था।

इस्‍लामिक इतिहास में पहली बार 1838 में क्‍वारंटाइन को दस्‍तावेज के तौर पर दर्ज किया गया था। क्‍वारंटाइन की वजह से प्‍लेग और फिर यूरोप में 1492 में फैला चेचक, 19वीं शताब्‍दी की शुरुआत में स्‍पेन में फैला येलो फीवर, 1831 में हैजा रोकने पर काफी मदद मिली।

राम केवी

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