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स्लम्स में तैयार हुए कोरोना वाॅरियर्स

जब कोरोना का प्रकोप पूरी दुनिया में छाया है, ऐसे समय में कुछ स्वयं सेवी संस्थाएं ऐसी भी हैं, जो जी जान से इस युद्ध में लड़ रही हैं। वे हर तरह से लोगों की मदद कर रही हैं। साथ ही लोगों की मदद के दम पर समाज के एक बड़े तबके को जागरूक भी कर रही हैं।

suman
Published on: 27 Jun 2020 4:12 AM GMT
स्लम्स में तैयार हुए कोरोना वाॅरियर्स
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लखनऊ: जब कोरोना का प्रकोप पूरी दुनिया में छाया है, ऐसे समय में कुछ स्वयं सेवी संस्थाएं ऐसी भी हैं, जो जी जान से इस युद्ध में लड़ रही हैं। वे हर तरह से लोगों की मदद कर रही हैं। साथ ही लोगों की मदद के दम पर समाज के एक बड़े तबके को जागरूक भी कर रही हैं। झुग्गी झोपड़ियों के गरीबों के हितार्थ कार्य करने वाली दिल्ली की गैर सरकारी संस्था सेंटर फाॅर अरबन एंड रीजनल एक्सलेंसी ने कोरोना वाॅयरस से जूझ रहे समाज में समस्याओं को कम करने के लिए काफी महत्वपूर्ण योग्यदान दिया है।

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क्योर ने मार्च के अंतिम सप्ताह में शुरू हुए लाॅकडाउन के बाद से जून के प्रथम सप्ताह तक देश के विभिन्न हिस्सो में सामान्य झुग्गिवासियों व आम लोगों को प्रशिक्षत कर कोरोना वाॅरियर के रूप में तैयार किया। क्योर दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उड़िसा और राजस्थान के शहरों के गरीबों के बीच काम करता है। यह संस्था देश के 148 स्लम्स में 1,08,000 झुग्गिवासियों के बीच कई प्रकार के सामाजिक कार्य करती हैं।

कोरोना की मार सबसे ज्यादा असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों पर पड़ी है। और दिल्ली सहित देश के सभी शहरों की झुग्गियों में असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले मजदूरों के परिवार ही रहते हैं, जिनको लाॅकडाउन के दौरान जीवनोयापन के लिए काफी संघर्ष करना पड़ रहा है। ऐसे लोगों के बीच काम करना सबसे ज्यादा कठिन है। झुग्गीवासियों को समझाना और उन्हें कोरोना के खिलाफ लड़ाई में तैयार करना सबसे ज्यादा कठिन काम है। क्योंकि, उनको कोरोना से ज्यादा बड़ी लड़ाई रोटी की लगती है। क्योर संस्था की मदद के दम पर उन्होंने कोरोना वायरस के प्रभाव को कम करने की भूमिका में अपना भी महत्वपूर्ण योग्यदान दिया।

दिल्ली के स्लम्स में क्योर की मदद से झुग्गीवासियों ने वाट्सअप ग्रुप बनाकर लोगों को कोरोना वायरस के बचाव की जानकारी देनी शुरू की। क्योर ने सात शहरों के 2,235 झुग्गिवासियों को जोड़कर 88 कम्यूनिटी ग्रुप बनाए। इस ग्रुप में प्रतिदिन वाश कार्यक्रम के तहत पानी और स्वच्छता में साझेदारी विषय को लेकर जागरूकता मैसेज भेजे जाते हैं। धीरे-धीरे यह ग्रुप इतना प्रभावशाली हो गया कि इस ग्रुप में राशन कार्ड बनवाने, आसपास के गरीबों व कम्यूनिटी किचन का आंकड़ा जुटा कर जरूरतमंद लोगों तक पहुंुचाने और दूसरे कई सरकारी योजनाओं की जानकारी गरीबों तक पहुंचाने लगे।

इसी तरह से आगरा में स्लम्स एरिया में गरीबों को राशन वितरण एवं सामुदायिक किचन चलाकर राशन का वितरण किया, जिससे दिहाड़ी मजदूरी पर जिंदा रहने वाले झुग्गीवासी लाॅकडाउन के दौरान उत्पन्न बेरोजगारी के संकट के कारण फांकाकशी से बच सके। क्योर से जुड़े राजीव कहते हैं कि आगरा के 8 गांवों के 133 परिवारों को राशन किट बांटा गया। शहर के स्लम्स एरिया में सहेली ग्रुप ने सामुदायिक किचन चलाकर 200 लोगों को प्रतिदिन भोजन प्रदान किया।

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हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला जिले में क्योर से जुड़ी महिलाओं ने मास्क बना कर बांटने का काम किया। यहां पर गांवों में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने मिलकर यह तय किया कि इस समय लोगों को सबसे ज्यादा जरूरत मास्क की है, जिससे कोरोना के फैलाव को रोका जा सके। इसलिए, समूह ने 6500 मास्क बनाकर बांटा। इसके अलावा जागरूकता के लिए बैनर और पोस्टर भी पूरे शहर में लगाए गए। जब देश लाॅकडाउन के प्रभाव से जूझ रहा है, ऐसे समय में कोरोना वाॅरियर्स को याद रखना हमारे लिए काफी जरूरी है।

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