एक उपेक्षित उपन्यासकार
पिछली सदी में एक साहित्यसेवी हुये थे। नाम था ''कान्त''। कुशवाहा कान्त। पाठक उनके असंख्य थे। सभी उम्र के। गत माह (9 दिसम्बर) उनकी 102वीं जयंती पड़ी थी। विस्मृत रही। अगले माह (29 फरवरी) उनकी जघन्य हत्या की सत्तरवीं बरसी होगी। भरी जवानी में वे चन्द प्रतिद्वंदियों की इर्ष्या के शिकार हुये थे