एक उपेक्षित उपन्यासकार
पिछली सदी में एक साहित्यसेवी हुये थे। नाम था ''कान्त''। कुशवाहा कान्त। पाठक उनके असंख्य थे। सभी उम्र के। गत माह (9 दिसम्बर) उनकी 102वीं जयंती पड़ी थी। विस्मृत रही। अगले माह (29 फरवरी) उनकी जघन्य हत्या की सत्तरवीं बरसी होगी। भरी जवानी में वे चन्द प्रतिद्वंदियों की इर्ष्या के शिकार हुये थे
खून के प्यासे जानी दुश्मन कैसे रिश्ता जोड़ बैठे, सच्चिदानंद राउतराय के जंगल में
इस जंगल का कोई ख़ास नाम नहीं। पूरा इलाका ही करमल कहलाता है। फिर भी स्थानीय लोग पास वाले हिस्से को बेरेणा-लता कहते हैं। नटवर फॉरिस्ट-गॉर्ड बनकर इधर आया है।
मशहूर साहित्यकार और वरिष्ठ हिंदी लेखक मुद्रा राक्षस का निधन
लखनऊ: मशहूर साहित्यकार और वरिष्ठ हिंदी लेखक मुद्रा राक्षस का सोमवार को निधन हो गया। 83 साल के मुद्रा राक्षस लंबे समय से बीमार चल रहे थे। मई में अचानक उनकी तबीयत बिगड़ जाने पर उन्हें बलरामपुर हॉस्पिटल में एडमिट करवाया गया था।हालत में सुधार न होने पर डाक्टरों ने उन्हें केजीएमयू रेफर कर दिया था। …
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