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Hyderabad Famous Forest: हैदराबाद का लोकप्रिय कांचा गचीबावली जंगल को क्यों बचाना है जरूरी? जानिए इसकी पूरी कहानी
Hyderabad Kancha Gachibowli Forest: यह जंगल सिर्फ एक हरित क्षेत्र नहीं, बल्कि हैदराबाद के पर्यावरणीय संतुलन का प्रमुख आधार है। आइए जानते हैं कि यह जंगल क्यों इतना महत्वपूर्ण है।
Hyderabad Kancha Gachibowli Forest (photo credit- social media)
Kancha Gachibowli Forest: तेजी से विकसित होते महानगर हैदराबाद में जहां एक ओर कंक्रीट के जंगल बढ़ते जा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कुछ प्राकृतिक धरोहरें आज भी शहर की सांसें बनाए हुए हैं। ऐसी ही एक अनमोल धरोहर है कांचा गचीबावली जंगल। यह जंगल सिर्फ एक हरित क्षेत्र नहीं, बल्कि हैदराबाद के पर्यावरणीय संतुलन का प्रमुख आधार है। बीते कुछ समय से यहां चल रहे अंधाधुंध निर्माण कार्यों और प्रस्तावित परियोजनाओं के विरोध में शहरवासियों, पर्यावरण कार्यकर्ताओं और युवाओं ने एकजुट होकर जबरदस्त विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। आइए जानते हैं कि यह जंगल क्यों इतना महत्वपूर्ण है, और इसे बचाने की लड़ाई क्यों जरूरी हो गई है।
कांचा गचीबावली जंगल: ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व
कांचा गचीबावली जंगल सिर्फ प्राकृतिक संसाधनों का भंडार नहीं, बल्कि यह क्षेत्र इतिहास की अनकही कहानियों का भी साक्षी है। यह जंगल हैदराबाद के सांस्कृतिक नक्शे पर एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है, जिसका पता इसके भीतर और आसपास मौजूद प्राचीन चिह्नों, लोककथाओं और मान्यताओं से चलता है।
1. मेगालिथिक अवशेष और शिला-चित्र:
जंगल के कई हिस्सों में ग्रेनाइट चट्टानों पर उकेरे गए रहस्यमयी चिह्न और मेगालिथिक पत्थर संरचनाएं पाई गई हैं, जो इस क्षेत्र में प्राचीन मानव बस्तियों और आदिम जातियों के निवास की ओर संकेत करती हैं।
2. कुतुबशाही युग की संभावित धरोहर:
इतिहासकारों के अनुसार, यह क्षेत्र कुतुबशाही शासनकाल में रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा हो सकता है। लोककथाओं में यह भी कहा गया है कि इस जंगल से होकर जाने वाली छिपी हुई सुरंगें और गोपनीय मार्ग गोलकुंडा किले से जुड़े थे, जिन्हें संकट काल में उपयोग किया जाता था।
3. वनदेवता और पूजा स्थल:
आसपास के ग्रामीणों और आदिवासी समुदायों में यह जंगल "वनदेवता की भूमि" के रूप में पूजनीय है। यहां आज भी कुछ स्थानों पर पूजा-पाठ और धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं, खासकर वर्षा ऋतु और त्योहारों के दौरान।
4. प्राकृतिक शरणस्थली और गुरिल्ला रणनीति:
पुराने समय में इस जंगल का इस्तेमाल छिपने और युद्ध के समय गुरिल्ला रणनीति के तहत भी किया गया, विशेषकर स्थानीय योद्धाओं द्वारा। जंगल की घनी झाड़ियों और चट्टानों के कारण यह क्षेत्र स्वाभाविक शरणस्थली बना रहा।
हैदराबाद में क्यों खास है कांचा गचीबावली जंगल?
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कांचा गचीबावली जंगल, हैदराबाद के हाई-टेक सिटी और गचीबावली क्षेत्र के समीप स्थित एक हरित क्षेत्र है जो लगभग 100 एकड़ से अधिक में फैला हुआ है। यह क्षेत्र शहर के सबसे घने और प्राकृतिक जंगलों में गिना जाता है। यहां कई दुर्लभ पेड़-पौधे, जीव-जंतु और पक्षियों की प्रजातियां पाई जाती हैं। यह क्षेत्र एक 'बायोडायवर्सिटी हॉटस्पॉट' माना जाता है।
कांचा गचीबावली जंगल, प्राकृतिक सौंदर्य की खूबियां
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1. घनी हरियाली:
कांचा गचीबावली जंगल में वर्ष भर हरे-भरे पेड़ों की भरमार रहती है, जिनमें नीम, इमली, पीपल, करंज जैसे देसी और अनगिनत औषधीय पेड़ शामिल हैं।
2. वन्यजीवों का बसेरा:
यह जंगल लोमड़ी, साही, खरगोश, सांपों की कई प्रजातियों और सैकड़ों प्रवासी एवं दुर्लभ स्थानीय पक्षियों का घर है।
3. रॉक फॉर्मेशन और ट्रेकिंग ट्रेल्स:
इस जंगल में कई प्राचीन ग्रेनाइट रॉक फॉर्मेशन हैं, जो ट्रेकिंग और रॉक क्लाइम्बिंग के शौकीनों को आकर्षित करते हैं। यही वजह है कि यहां प्रकृति प्रेमी विदेशी सैलानियों का आना जाना लगा रहता है।
4. प्राकृतिक जल स्रोत:
मानसून के दौरान यहां छोटे झरने और जलकुंड बनते हैं, जो स्थानीय भूजल स्तर को बनाए रखने में मदद करते हैं।
पर्यटन और पर्यावरणीय योगदान
यह जंगल स्थानीय और विदेशी पर्यटकों के लिए ट्रेकिंग, बर्ड वॉचिंग और शांतिपूर्ण प्रकृति भ्रमण का बेहतरीन स्थान है।
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शहरी प्रदूषण को कम करने और ऑक्सीजन प्रदान करने में इसकी भूमिका महत्वपूर्ण है। यह शहरी हीट आइलैंड इफेक्ट को भी कम करता है। यह जंगल आसपास के तापमान को स्थिर बनाए रखने में मदद करता है और मानसून में जल अवशोषण से बाढ़ की संभावना को भी घटाता है।
विवाद और विरोध: क्यों उठीं आवाज़ें
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कांचा गचीबावली जंगल से जुड़ा विवाद पिछले कुछ समय से हैदराबाद में सुर्खियों में है। इस विवाद की जड़ में जमीन का स्वामित्व, सरकारी अधिग्रहण, और बायोडायवर्सिटी की रक्षा से जुड़ी जटिलताएं हैं। आइए विस्तार से समझते हैं;-
क्या है कांचा गचीबावली जंगल से जुड़ा विवाद
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यह जंगल क्षेत्र गचीबावली और खानामेट के बीच स्थित है, जो हाईटेक सिटी और IT हब से सटा हुआ है। यहां की बेशकीमती जमीन पर कुछ निजी बिल्डरों और संस्थानों द्वारा निर्माण योजनाएं शुरू की जा रही थीं, जिससे जंगल का एक बड़ा हिस्सा खत्म हो सकता था।
यह क्षेत्र आधिकारिक रूप से "आरक्षित वन" घोषित नहीं है, जिस कारण इसे कानूनी संरक्षण नहीं मिल रहा था। पर्यावरणविदों का कहना है कि सरकारी रिकॉर्ड में यह जंगल के रूप में दर्ज होने के बावजूद, इस पर अर्बन डेवलपमेंट प्रोजेक्ट्स चलाए जा रहे थे। जिसके विरोध में लोकल प्रोटेस्ट और सोशल मूवमेंट के तहत स्थानीय नागरिकों, छात्रों, पर्यावरण कार्यकर्ताओं और शहरवासियों ने #SaveKanchanbaghForest, #SaveGachibowliForest जैसे अभियान चलाए। लोगों ने विरोध मार्च निकाला, वृक्षों को गले लगाया, और न्यायिक दखल की मांग की।
कोर्ट से क्या मिली राहत
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स्थानीय लोगों और प्रकृति प्रेमियों द्वारा विरोध और याचिकाओं के दर्ज होने के बाद, सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले का स्वतः संज्ञान लेते हुए तेलंगाना सरकार को कांचा गचीबावली क्षेत्र में सभी पेड़ कटाई और खुदाई गतिविधियों को तुरंत रोकने का निर्देश दिया। न्यायालय ने तेलंगाना उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार (न्यायिक) को स्थल का निरीक्षण कर उसी दिन एक अंतरिम रिपोर्ट प्रस्तुत करने का भी आदेश दिया
तेलंगाना हाईकोर्ट ने भी इस मामले का संज्ञान लिया और यहां स्थायी निर्माण कार्यों पर रोक लगाते हुए संबंधित विभागों को "स्थिति स्पष्ट करने" को कहा।
कोर्ट ने ग्रेटर हैदराबाद म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन (GHMC) और तेलंगाना फॉरेस्ट डिपार्टमेंट को नोटिस भेजकर पूछा कि यह क्षेत्र जंगल घोषित क्यों नहीं किया गया, जबकि यह जैवविविधता हॉटस्पॉट माना जाता है। कोर्ट ने यह भी कहा कि "पर्यावरण संतुलन की कीमत पर शहरीकरण को प्रोत्साहित नहीं किया जा सकता।"
क्या आगे हो सकता है?
अगर कोर्ट यह क्षेत्र "डेमार्केटेड अर्बन फॉरेस्ट" घोषित करवाता है, तो इसे स्थायी संरक्षण मिलेगा। इसके बाद यहां इको-टूरिज्म, प्राकृतिक शिक्षा केंद्र, और सिटी फॉरेस्ट पार्क जैसे विकास की संभावना बन सकती है, बिना जंगल को नुकसान पहुंचाए।
जनांदोलन बन चुका है अब विरोध प्रदर्शन
यह विरोध राजनीति से हटकर एक जनांदोलन बन चुका है, जहां बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक हिस्सा ले रहे हैं। इस जंगल को लेकर लोगों की स्थानीय लोगों की राय है कि, सरकार को चाहिए कि वह इस क्षेत्र को "Urban Forest Reserve" घोषित करे। स्थानीय स्कूल-कॉलेजों को यहां ‘नेचर एजुकेशन ट्रेल्स’ के लिए इस्तेमाल करने की अनुमति मिले। साथ ही पर्यटन और इको-ट्रेल को बढ़ावा देकर सतत विकास की दिशा में कदम उठाए जाएं। कांचा गचीबावली जंगल सिर्फ एक हरा-भरा भूभाग नहीं, बल्कि यह हैदराबाद की सांसों की डोरी है। यही वजह कि यहां के स्थानीय लोगों को इस बात का खौफ है कि, यदि इसे खो दिया, तो शहर में न केवल ऑक्सीजन की कमी होगी बल्कि जैव विविधता का एक बड़ा हिस्सा भी समाप्त हो जाएगा। यह जरूरी है कि विकास और पर्यावरण के बीच संतुलन बनाकर इस प्राकृतिक धरोहर को अगली पीढ़ियों के लिए बचाकर रखें।