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Pahalgam Baisaran Ghati: बायसरन- पहलगाम की वो जादुई घाटी, जहां गणेश के जन्म और शिव के क्रोध से जुड़ी है कहानी
Pahalgam Baisaran Ghati: बायसरन, प्रकृति की गोद में बसा एक छोटा-सा स्वर्ग है, वहीँ इस प्राकृतिक सौंदर्य के पीछे छुपे हैं पौराणिक रहस्य, धार्मिक आस्था और वो कहानी जो भगवान गणेश के जन्म से जुड़ी है।
Baisaran the Magical Valley of Pahalgam (Image Credit-Social Media)
Pahalgam Baisaran Ghati: खूबसूरती और प्रकृति का चोली दामन का साथ है। ऐसे ही प्रकृति की गोद में बसा एक छोटा-सा स्वर्ग है बायसरन। जहां मिलते हैं ऊंचे-ऊंचे देवदार के वृक्ष, हरे-भरे घास के मैदान और शांत हवा की सरसराहट। लेकिन इस प्राकृतिक सौंदर्य के पीछे छुपे हैं पौराणिक रहस्य, धार्मिक आस्था और वो कहानी जो भगवान गणेश के जन्म से जुड़ी है। जम्मू-कश्मीर का पहलगाम यूं तो अपने हरियाली और नदियों के लिए प्रसिद्ध है, लेकिन इसके करीब स्थित बायसरन एक ऐसी जगह है जो केवल एक टूरिस्ट डेस्टिनेशन नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक अनुभव भी है। आइए जानते हैं कि क्यों हजारों लोग हर साल यहां खिंचे चले आते हैं, और किस तरह यह जगह अमरनाथ यात्रा का महत्वपूर्ण पड़ाव बन चुकी है। अगर आप एक ऐसी जगह जाना चाहते हैं जहां प्राकृतिक सौंदर्य, धार्मिक आस्था, और मानसिक शांति एक साथ मिलें तो बायसरन आपकी अगली यात्रा होनी चाहिए। आइए जानते हैं इस पर्यटन स्थल से जुड़ी खूबियों के बारे में -
बायसरन में करें मिनी स्विट्ज़रलैंड का एहसास (Experience Mini Switzerland in Bizern)
बायसरन को अक्सर मिनी स्विट्ज़रलैंड कहा जाता है। यह पहलगाम से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक अद्भुत स्थल है। जो चारों तरफ से घने जंगलों और बर्फ से ढकी चोटियों से घिरा है। यहां तक पहुंचने के लिए आपको घोड़ों की सवारी करनी होती है, जो खुद में एक अनोखा अनुभव है। रास्ते में बहती लिद्दर नदी, फूलों से भरे घास के मैदान और शांत वातावरण आपको प्रकृति के सबसे करीब ले जाते हैं।
क्या खास है बायसरन में?
घुड़सवारी का रोमांच
पहलगाम से बायसरन तक का सफर घोड़े पर तय करना एक साहसी और रोमांचक अनुभव होता है। रास्ते में जंगल, चट्टानें और झरने इस यात्रा को और भी खास बनाते हैं।
प्राकृतिक सौंदर्य
बायसरन में पहुंचने के बाद लगता है जैसे समय थम गया हो। बर्फ से ढकी चोटियों के बीच बसा यह मैदान पर्यटकों को मानसिक शांति और आत्मिक ऊर्जा प्रदान करता है।
फोटोग्राफी और शूटिंग स्पॉट
बॉलीवुड की कई फिल्मों की शूटिंग यहां हो चुकी है। बर्फीले मैदान और खुले आसमान के नीचे यहां की तस्वीरें जीवनभर की याद बन जाती हैं।
पौराणिक कथा- गणेश जी का जन्म और शिव के क्रोध से जुड़ी
ममलेश्वर मंदिर न सिर्फ एक धार्मिक स्थल है, बल्कि इससे जुड़ी पौराणिक कथा भगवान गणेश के जन्म और शिव के क्रोध से जुड़ी है। शिवपुराण के अनुसार, एक दिन माता पार्वती ने उबटन से एक बालक को बनाया और उसमें प्राण डाल दिए। वही बालक आगे चलकर भगवान गणेश बने। गणेश जी को माता ने आदेश दिया कि कोई अंदर न आए और जब भगवान शिव वहां पहुंचे तो गणेश ने उन्हें रोका। क्रोधित शिव ने उनका सिर काट दिया। पार्वती जी के क्रोध और विलाप को देखकर देवताओं ने हस्तक्षेप किया और अंततः भगवान शिव ने एक हथिनी के बच्चे का सिर लाकर गणेश जी को पुनर्जीवित किया। कहा जाता है कि यह घटना ममलेश्वर मंदिर परिसर में ही घटी थी। इसलिए यह मंदिर भक्तों के लिए बेहद पवित्र माना जाता है।
अमरनाथ यात्रा में ममलेश्वर मंदिर की भूमिका
अमरनाथ यात्रा की शुरुआत पहलगाम से होती है और ममलेश्वर मंदिर पहला पड़ाव होता है। मान्यता है कि यहां भगवान शिव और पार्वती का निवास रहा है। यहीं से अमरनाथ की गुफा की यात्रा प्रारंभ होती है। यहां दर्शन के बिना यात्रा अधूरी मानी जाती है। मंदिर के पास बहता हुआ झरना, जिसे ‘शिवनदी’ कहा जाता है। श्रद्धालुओं को आत्मिक रूप से शुद्ध करता है।
बायसरन तक कैसे पहुंचें?
घोड़े की सवारी की सुविधा+ बायसरन तक जाने के लिए पहलगाम से घोड़े किराए पर लिए जा सकते हैं। ट्रेकिंग विकल्प- साहसिक पर्यटक बायसरन तक ट्रेकिंग भी कर सकते हैं, जो लगभग 1.5 से 2 घंटे में पूरी होती है। मौसम-मई से अक्टूबर तक का समय सबसे उपयुक्त होता है, क्योंकि इस दौरान बर्फ पिघल जाती है और घास के मैदान पूरी तरह हरे हो जाते हैं।
आसपास के अन्य दर्शनीय स्थल
अरु वैली+बायसरन से कुछ किलोमीटर आगे स्थित अरु वैली और भी ज्यादा शांत और सुंदर जगह है। यहां कैंपिंग और रिवर साइड वॉक का मजा लिया जा सकता है।
बेताब वैली- फिल्म बेताब की शूटिंग के कारण प्रसिद्ध हुई इस वैली में झरने, नदी और फूलों के बाग हैं। यह बायसरन से 7-8 किलोमीटर दूर है।
तुलियन लेक- ऊंची चोटियों के बीच स्थित यह झील साहसिक पर्यटकों के लिए एक सपना है। बायसरन से आगे बढ़कर यहां तक ट्रेकिंग की जा सकती है।
कहां ठहरें?
पहलगाम में होटल्स और होमस्टे की सुविधा उपलब्ध है। आप बायसरन के नज़दीक कैम्पिंग का अनुभव भी ले सकते हैं। कई ट्रेवल एजेंसियां अमरनाथ यात्रा के दौरान टेंट की व्यवस्था करती हैं।
बायसरन का आध्यात्मिक और मानसिक प्रभाव
यह जगह केवल देखने की नहीं, महसूस करने की है। यहां की हवा में कुछ ऐसा है जो मन को शांत कर देता है। कई ध्यान साधक और योग गुरु यहां मेडिटेशन के लिए आते हैं। बायसरन जाने वाले कई पर्यटक यह अनुभव साझा करते हैं कि यहां उन्हें एक अनजानी ऊर्जा और आंतरिक शांति की अनुभूति होती है।
बायसरन केवल एक पर्यटन स्थल नहीं, बल्कि प्रकृति और अध्यात्म का संगम है। पहलगाम से लेकर ममलेश्वर मंदिर तक और वहां से बायसरन की ओर बढ़ते हुए हर कदम आपको बाहरी दुनिया से दूर और आत्मा के करीब ले जाता है।
हालांकि आतंकी घटना के चलते 22 अप्रैल 2025 को पहलगाम के बायसरन घाटी में हुए आतंकवादी हमले के बाद, जिसमें 26 लोगों की जान गई थी, जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने सुरक्षा कारणों से कई पर्यटन स्थलों को अस्थायी रूप से बंद कर दिया था। इसमें बायसरन भी शामिल था, जो हमले का केंद्र बिंदु था। जबकि अब स्थिति धीरे-धीरे सामान्य हो रही है। हाल की रिपोर्टों के अनुसार, कश्मीर में पर्यटन गतिविधियां फिर से शुरू हो रही हैं। पर्यटक घाटी में लौटने लगे हैं। विशेष रूप से महाराष्ट्र और गुजरात जैसे राज्यों से पर्यटकों के समूह पहलगाम और गुलमर्ग जैसे लोकप्रिय स्थलों पर पहुंच रहे हैं जिससे पर्यटन क्षेत्र में धीरे-धीरे सुधार के संकेत मिल रहे हैं।
इसके अतिरिक्त, जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने हाल ही में पहलगाम में एक विशेष कैबिनेट बैठक आयोजित की, ताकि यह संदेश दिया जा सके कि आतंकवादी कृत्य सरकार को डराने में सफल नहीं होंगे और सामान्य स्थिति बहाल की जाएगी। उन्होंने उन पर्यटकों का भी आभार व्यक्त किया जो हाल की हिंसा के बावजूद क्षेत्र में लौटे हैं। हालांकि, बायसरन घाटी में पर्यटन गतिविधियां अभी पूरी तरह से बहाल नहीं हुई हैं। स्थानीय प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियां स्थिति की निगरानी कर रही हैं। सुरक्षा सुनिश्चित करने के बाद ही बायसरन को पर्यटकों के लिए पूरी तरह से खोलने का निर्णय लिया जाएगा।
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