Lakshadweep History: महासागर का ऐसा टापू जो कभी रहा बौद्ध धर्म का केंद्र, आइए जानते हैं लक्षद्वीप को

Lakshadweep Island History: लक्षद्वीप यानी "लाखों द्वीपों" का समूह जिसमे सिर्फ 36 टापू हैं यहाँ की ख़ूबसूरती आपको मंत्रमुग्ध कर देगी इसी वजह से इसे भारत का मिनी मालदीव कहा जाता है।

Akshita Pidiha
Published on: 10 Jun 2025 3:50 PM IST
Lakshadweep Island History
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Lakshadweep Island History

Lakshadweep Island History: हिंद महासागर के बीच में बसे लक्षद्वीप के टापू ऐसे हैं, जैसे किसी ने नीले समुद्र में चमचमाते मोती बिखेर दिए हों। भारत का ये छोटा सा स्वर्ग, जहां आसमान और समुद्र एक-दूसरे में घुल जाते हैं, हर किसी को अपनी ओर खींचता है। लक्षद्वीप यानी "लाखों द्वीपों" का समूह, हालांकि इसमें सिर्फ 36 टापू हैं, लेकिन इनकी खूबसूरती इतनी है कि इसे भारत का मिनी मालदीव कहा जाता है। साफ नीला पानी, रंग-बिरंगी मूंगा चट्टानें, चमकीली रेत और शांत जिंदगी- ये सब लक्षद्वीप को एक जादुई जगह बनाते हैं। लेकिन ये सिर्फ एक टूरिस्ट स्पॉट नहीं, बल्कि इतिहास, संस्कृति और प्रकृति का खजाना है।

लक्षद्वीप की कहानी

लक्षद्वीप, केरल के तट से करीब 200-400 किलोमीटर दूर, अरब सागर में बसा है। इन 36 टापुओं में से सिर्फ 10 पर लोग रहते हैं, जैसे कवरत्ती, अगत्ती, मिनिकॉय और अंडरोट। बाकी टापू या तो खाली हैं या सिर्फ पर्यटकों के लिए खोले जाते हैं। लक्षद्वीप का नाम संस्कृत और मलयालम से आया है, जिसका मतलब है "लाखों द्वीप"। लेकिन मजेदार बात ये है कि टापुओं की संख्या लाखों में नहीं, बल्कि सिर्फ कुछ दर्जन में है।


इन टापुओं का इतिहास बड़ा पुराना है। पुराणों में इन्हें "लक्षद्वीपम" कहा गया है। कुछ कहानियां बताती हैं कि भगवान राम के भाई लक्ष्मण ने यहां राज किया था। पुरातत्वविदों का मानना है कि 1500 ईसा पूर्व से यहां लोग रह रहे थे। बौद्ध काल में ये बौद्ध धर्म का केंद्र थे। बाद में ये चेरा, चोल और पांड्य राजवंशों के अधीन आए। 16वीं सदी में पुर्तगालियों ने यहां कदम रखा, फिर अंग्रेजों ने कब्जा किया। 1956 में भारत ने इसे केंद्र शासित प्रदेश बनाया। आज लक्षद्वीप भारत का एक गर्व है, जो अपनी सादगी और खूबसूरती से सबको लुभाता है।

नीले समुद्र का जादू

लक्षद्वीप की सबसे बड़ी खासियत है इसका साफ और नीला समुद्र। पानी इतना पारदर्शी है कि आप 40-50 फीट नीचे की मछलियों और मूंगा चट्टानों को देख सकते हैं। कवरत्ती और अगत्ती जैसे टापुओं के बीच में लैगून हैं, जो शांत और उथले होते हैं। इनमें तैरना ऐसा है, जैसे किसी नीले शीशे में उतर रहे हों।

स्नॉर्कलिंग और स्कूबा डाइविंग यहां की जान हैं। बंगारम और कदमत जैसे टापुओं पर आप समुद्र की गहराइयों में रंग-बिरंगी मछलियां, कछुए और मूंगा चट्टानें देख सकते हैं। एक टूरिस्ट, प्रिया, जो पिछले साल लक्षद्वीप गई थी, बताती है, “मैंने स्नॉर्कलिंग की और ऐसा लगा जैसे किसी एक्वेरियम में तैर रही हूँ। नीले, हरे, पीले रंग की मछलियां मेरे पास से गुजर रही थीं। ये जिंदगी का सबसे खूबसूरत अनुभव था।”


लक्षद्वीप का समुद्र सिर्फ खूबसूरत नहीं, बल्कि जैव-विविधता से भी भरा है। यहां 600 से ज्यादा प्रजातियों के मूंगा और 1000 से ज्यादा मछलियां पाई जाती हैं। लेकिन जलवायु परिवर्तन की वजह से मूंगा चट्टानें खतरे में हैं, जिसके लिए भारत सरकार संरक्षण की कोशिश कर रही है।

लक्षद्वीप की जिंदगी और संस्कृति

लक्षद्वीप के लोग बड़े प्यारे और मेहमाननवाज हैं। यहां की 70,000 की आबादी में ज्यादातर मुस्लिम हैं, जो मलयालम और महल (महलद्वीप की भाषा) बोलते हैं। इनकी जिंदगी समुद्र के इर्द-गिर्द घूमती है। मछली पकड़ना, नारियल की खेती और पर्यटन उनकी कमाई का बड़ा जरिया है।

यहां की संस्कृति में केरल और अरब का मिश्रण दिखता है। लोग सादा खाना खाते हैं, जैसे मछली करी, नारियल चावल और समुद्री खाने की चटनी। उनके नाच-गाने में समुद्र की लहरों का रंग झलकता है। लावा डांस और कोलकली जैसे लोक नृत्य देखने लायक हैं। हर साल ईद और मिलाद-उन-नबी बड़े धूमधाम से मनाए जाते हैं।

मजेदार बात ये है कि लक्षद्वीप में अपराध लगभग न के बराबर है। लोग इतने भरोसेमंद हैं कि कई बार घरों में ताला भी नहीं लगता। एक स्थानीय, हसन, बताता है, “हमारी जिंदगी समुद्र के साथ है। हम मेहमानों को परिवार की तरह मानते हैं।” ये सादगी लक्षद्वीप को और खास बनाती है।

पर्यटन का मजा

लक्षद्वीप को भारत का छिपा हुआ रत्न कहा जाता है, क्योंकि यहां पहुंचना आसान नहीं। सिर्फ भारतीय पर्यटकों को ही यहां आने की इजाजत है, वो भी परमिट लेकर। कोच्चि से जहाज या फ्लाइट से आप अगत्ती या कवरत्ती पहुंच सकते हैं। लेकिन ये मुश्किलें इसके बाद की खूबसूरती के सामने कुछ भी नहीं।


कवरत्ती लक्षद्वीप की राजधानी है और सबसे ज्यादा घूमा जाने वाला टापू। यहां की मस्जिदें, समुद्र तट और मरीन एक्वेरियम देखने लायक हैं। अगत्ती का हवाई अड्डा और नीला लैगून सैलानियों का दिल चुरा लेता है। बंगारम टापू उन लोगों के लिए है, जो शांति चाहते हैं। यहां सिर्फ कुछ कॉटेज हैं और चारों ओर समुद्र। मिनिकॉय टापू अपनी लाइटहाउस और टूना मछली के लिए मशहूर है।

यहां पानी के खेल जैसे कायाकिंग, विंडसर्फिंग और जेट स्कीइंग का मजा लिया जा सकता है। लेकिन लक्षद्वीप की असली खूबसूरती इसकी शांति में है। समुद्र किनारे बैठकर सूर्यास्त देखना ऐसा है, जैसे दुनिया की सारी चिंताएं गायब हो जाएं।

लक्षद्वीप का रणनीतिक महत्व

लक्षद्वीप सिर्फ एक टूरिस्ट स्पॉट नहीं, बल्कि भारत की सुरक्षा के लिए भी बहुत जरूरी है। हिंद महासागर में ये टापू भारत का गेटवे हैं। यहां से भारत समुद्री रास्तों पर नजर रखता है। डिएगो गार्सिया, जो चागोस द्वीप समूह में है, से लक्षद्वीप ज्यादा दूर नहीं। भारत ने हाल के सालों में लक्षद्वीप में नौसेना की तैनाती बढ़ाई है, ताकि हिंद महासागर में चीन की बढ़ती ताकत का जवाब दिया जा सके।

2024 में जब ब्रिटेन ने चागोस को मॉरीशस को सौंपा, तो भारत ने इसमें बड़ा रोल निभाया। लक्षद्वीप की तरह, चागोस भी हिंद महासागर में अहम है। भारत की कूटनीति ने दिखाया कि वो इस इलाके में शांति और सहयोग चाहता है। लक्षद्वीप भारत की इस ताकत का प्रतीक है।

चुनौतियां और संरक्षण

लक्षद्वीप की खूबसूरती को बचाना आसान नहीं। जलवायु परिवर्तन की वजह से समुद्र का स्तर बढ़ रहा है, जिससे टापुओं को खतरा है। मूंगा चट्टानें भी खराब हो रही हैं। भारत सरकार ने लक्षद्वीप को पर्यावरण के हिसाब से संवेदनशील क्षेत्र घोषित किया है। यहां प्लास्टिक पर बैन है और पर्यटकों की संख्या सीमित रखी जाती है।


स्थानीय लोग भी पर्यावरण को बचाने में जुटे हैं। कवरत्ती में सोलर पावर का इस्तेमाल बढ़ रहा है, ताकि बिजली की जरूरत पूरी हो। लेकिन बड़ी चुनौती है ढांचागत विकास। टापुओं पर अस्पताल, स्कूल और इंटरनेट की कमी है। भारत सरकार अब लक्षद्वीप को टूरिज्म और विकास का हब बनाने की योजना बना रही है, लेकिन इसे प्रकृति के साथ तालमेल रखकर करना होगा।

लक्षद्वीप की अनोखी बातें

लक्षद्वीप में कई ऐसी बातें हैं, जो इसे जादुई बनाती हैं:

- यहां का पानी इतना साफ है कि रात में समुद्र में प्लवक (चमकने वाले जीव) चमकते हैं, जैसे तारे पानी में उतर आए हों।

- मिनिकॉय की लाइटहाउस 1885 में बनी थी और आज भी काम करती है। इसके ऊपर से समुद्र का नजारा लाजवाब है।

- लक्षद्वीप में शराब पूरी तरह बैन है, सिवाय बंगारम टापू के, जहां पर्यटकों को छूट है।

- यहां की टूना मछली दुनिया भर में मशहूर है। इसे बनाने का स्थानीय तरीका अनोखा है।

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