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Maharishi Parashar Rishi Temple: महर्षि पराशर ऋषि मंदिर, जानिए पाताल लोक तक गहरी रहस्यमयी पराशर झील का अद्भुत इतिहास

Maharishi Parashar Rishi Temple: हिमाचल प्रदेश में स्थित महर्षि पराशर ऋषि का मंदिर और उससे सटा हुआ प्राकृतिक सौंदर्य आपको बेहद आकर्षित करेगा...

Jyotsna Singh
Published on: 13 Jun 2025 5:19 PM IST
Maharishi Parashar Rishi Temple History and Mystery of Parashar Lake
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Maharishi Parashar Rishi Temple History and Mystery of Parashar Lake

Maharishi Parashar Rishi Temple: देवभूमि के नाम से लोकप्रिय हिमाचल प्रदेश, भारत का वह भू-भाग है जहां प्रत्येक घाटी, हर एक नदी और पर्वत अपनी-अपनी पौराणिक कथा कहता है। इन्हीं पवित्र स्थलों में एक अत्यंत विशेष और दिव्य स्थल है महर्षि पराशर ऋषि का मंदिर और उससे सटा हुआ प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर पराशर झील। जो न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र है, बल्कि ऐतिहासिक, पौराणिक और पर्यटन की दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखता है।आइए जानते हैं महर्षि पराशर स्थल से जुड़ी रोचक जानकारियों के बारे में -

कौन थे महर्षि पराशर- जिन वेदज्ञ महापुरुष की अमिट पहचान है ये स्थल


पराशर ऋषि का नाम वेदों, पुराणों और महाभारत के अध्यायों में श्रद्धा से लिया जाता है। वे महर्षि वशिष्ठ के पुत्र और वेदव्यास के पिता थे। उनकी साधना, ज्ञान और तपस्या का केंद्र हिमालय की गोद में स्थित यह स्थल था। जिसे आज पराशर झील और मंदिर के नाम से जाना जाता है। ऐसा माना जाता है कि उन्होंने यहीं वर्षों तक कठोर तप कर दिव्य ज्ञान की प्राप्ति की थी और कई महत्वपूर्ण ग्रंथों की रचना भी की थी।

पराशर मंदिर- 13वीं शताब्दी की स्थापत्य कला का चमत्कार

हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में 2730 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर लगभग 13वीं शताब्दी में निर्मित हुआ था। कहा जाता है कि इसे पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान बनाया था। पगोड़ानुमा शैली में बना यह मंदिर लकड़ी की अद्वितीय कारीगरी का उदाहरण है। इसकी छतें, दीवारें और गर्भगृह की बनावट बर्फबारी वाले क्षेत्रों में निर्माण कला की अद्भुत समझ को दर्शाती हैं। मंदिर की दीवारों पर की गई नक्काशी और छतों पर की गई कलाकृति न केवल धार्मिक भावनाओं को अभिव्यक्त करती हैं बल्कि उस युग की स्थापत्य कुशलता का भी प्रमाण हैं। मंदिर में पराशर ऋषि की एक लकड़ी की मूर्ति है, जिसकी पूजा यहां विधिपूर्वक की जाती है।

पराशर झील- रहस्यमयी जलधारा और तैरता हुआ टापू


पराशर मंदिर के समीप स्थित यह झील जितनी सुंदर है उतनी ही रहस्यमयी भी है। इसका सबसे बड़ा आकर्षण है झील के बीचों-बीच स्थित एक 'फ्लोटिंग टापू' जो अपनी स्थिति समय-समय पर बदलता रहता है। वैज्ञानिक इसे एक फ्लोटिंग वेजिटेशन मास (floating vegetation island) कहते हैं। लेकिन स्थानीय जनश्रुतियों के अनुसार, यह ऋषि पराशर की दिव्यता का चमत्कार है। कहा जाता है कि भगवान कमरूनाग ने अपने गदा से इस स्थान को बनाया था और यहीं झील उत्पन्न हुई। कुछ किवंदंतियां कहती हैं कि इस झील की गहराई अब तक नहीं मापी जा सकी है जिससे इसका रहस्य और गहराता है।

प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिक ऊर्जा का केंद्र है ये स्थल

यह क्षेत्र पूरी तरह से हरे-भरे घास के मैदानों, बर्फ से ढके पर्वतों और नील गगन के नीचे बसा हुआ है। गर्मियों में यहां का वातावरण बेहद सुहावना होता है और सर्दियों में यह स्थल बर्फ की सफेद चादर में लिपटा होता है। यह झील और मंदिर परिसर पर्यटकों, ट्रेकर्स, फोटोग्राफरों और आध्यात्मिक साधकों सभी के लिए स्वर्ग के समान है। कहा जाता है कि जो साधक पराशर मंदिर में आकर मन को शांत करता है। उसे आंतरिक शांति की अनुभूति होती है। यहां का वातावरण चिंतन, ध्यान और आत्मचिंतन के लिए अत्यंत अनुकूल है। इस स्थल की वायु में एक दिव्यता महसूस होती है जो व्यक्ति को भीतर से छू जाती है। अगर आप कुछ समय के लिए किसी शांत और सुकून भरी जगह की तलाश में हैं तो पराशर मंदिर स्थल आपके लिए बेहतरीन विकल्प साबित होता है।

कैसे पहुंचे पराशर झील और मंदिर


  • पराशर झील और मंदिर, हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले से लगभग 49 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हैं।
  • यहां सद निकटतम रेलवे स्टेशन जोगिंदरनगर है।
  • निकटतम हवाई अड्डा भुंतर (करीब 80 किमी दूर) पड़ता है। मंडी से यहां के लिए टैक्सी, बस या ट्रेकिंग का विकल्प मौजूद है। सड़क मार्ग से आने वाले पर्यटक सुंदर हरी-भरी घाटियों, पहाड़ी रास्तों और हिमालय की ऊंची चोटियों का नज़ारा करते हुए यहां तक पहुंच सकते हैं।

पर्यटन की दृष्टि से महत्व

  • पराशर झील और मंदिर आज हिमाचल पर्यटन का एक प्रमुख आकर्षण बन चुके हैं। यहां हर साल हजारों की संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक आते हैं।
  • फोटोग्राफर्स के लिए यह क्षेत्र शानदार प्राकृतिक पृष्ठभूमि प्रदान करता है।
  • ट्रेकिंग प्रेमियों के लिए मंडी से पराशर तक का ट्रेक रोमांचकारी है।
  • धार्मिक पर्यटकों के लिए यह स्थान आध्यात्मिक चेतना से परिपूर्ण है।
  • पर्यावरण प्रेमी झील के आसपास की दुर्लभ वनस्पतियों और जैव विविधता का आनंद ले सकते हैं।

त्योहार और धार्मिक आयोजन

पराशर मंदिर में हर साल 'पराशर मेला' का आयोजन किया जाता है। इस अवसर पर स्थानीय निवासी, साधु-संत और पर्यटक एकत्र होते हैं। यह मेला धार्मिक आस्था का सजीव प्रतीक होता है और यहां का लोक-संगीत, नृत्य और परंपराएं हिमाचली संस्कृति की झलक पेश करती हैं।

संरक्षण की आवश्यकता

हालांकि यह स्थल पर्यटकों के लिए अत्यंत आकर्षक है, लेकिन बढ़ती आवाजाही के कारण प्राकृतिक संतुलन बिगड़ने का खतरा भी बना रहता है। इसलिए स्थानीय प्रशासन और पर्यावरण प्रेमियों द्वारा समय-समय पर स्वच्छता अभियान, प्लास्टिक प्रतिबंध और पर्यावरण जागरूकता अभियान चलाए जाते हैं।


पराशर झील और मंदिर केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि यह हिमाचल प्रदेश की आध्यात्मिक चेतना, सांस्कृतिक धरोहर और प्राकृतिक वैभव का अद्वितीय संगम है। यहां आकर व्यक्ति को केवल प्राकृतिक सौंदर्य ही नहीं बल्कि आत्मिक सुकून, सांस्कृतिक समृद्धि और ऐतिहासिक गहराई का भी अनुभव होता है। अगर आप एक बार यहां आ गए, तो यह भूमि आपको बार-बार बुलाएगी।

यात्रा सुझाव

  • झील क्षेत्र में प्लास्टिक या कूड़ा न फैलाएं।
  • मंदिर परिसर में श्रद्धा बनाए रखें।
  • मौसम के अनुसार कपड़े लेकर जाएं।
  • ट्रेकिंग के दौरान स्थानीय गाइड की मदद लें।

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