Shimla Haunted Tunnel: खौफनाक है शिमला का टनल नंबर 33, जाने भूतिया अनुभवों की सच्चाई

Shimla Haunted Tunnel Number 33 Story: क्या आप जानते हैं कि शिमला की टनल नंबर 33 का क्या रहस्य है और क्या है यहाँ की अंग्रेज इंजीनियर की भटकती आत्मा का सच।

Akshita Pidiha
Published on: 10 Jun 2025 1:59 PM IST
Shimla Haunted Tunnel Number 33 Story
X

Shimla Haunted Tunnel Number 33 Story

Shimla Haunted Tunnel Number 33 Story: शिमला का नाम सुनते ही मन में बर्फीली वादियों, पुरानी इमारतों और ठंडी हवा की तस्वीर उभरती है। हिमाचल प्रदेश की ये खूबसूरत पहाड़ी जगह न सिर्फ अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए मशहूर है, बल्कि कुछ रहस्यमयी कहानियों के लिए भी। इनमें सबसे ज्यादा चर्चा होती है टनल नंबर 33 की, जो शिमला-कालका रेलवे लाइन पर बारोग में बनी है। इसे लोग भूतिया टनल कहते हैं। कोई कहता है कि यहाँ एक अंग्रेज इंजीनियर की आत्मा भटकती है, तो कोई इसे बस अफवाह बताता है। इस टनल की कहानी इतनी मशहूर है कि यहाँ आने वाले पर्यटक इसे देखने का मज़ा लेते हैं, लेकिन कुछ लोग डर के मारे इसके पास से गुजरने से भी कतराते हैं। आइए, इस टनल की कहानी को करीब से जानते हैं, इसके पीछे के इतिहास, लोगों के अनुभवों और सच्चाई को समझते हैं।

टनल नंबर 33 की कहानी की शुरुआत

टनल नंबर 33 का इतिहास 19वीं सदी के आखिर से शुरू होता है, जब अंग्रेज भारत में रेलवे लाइनें बिछा रहे थे। शिमला तब अंग्रेजों की गर्मियों की राजधानी थी और कालका से शिमला तक रेलवे लाइन बनाना उनके लिए बड़ा प्रोजेक्ट था। इस रेलवे लाइन में 103 टनल बनाई गई थीं, और टनल नंबर 33 उनमें से एक थी। ये बारोग नाम की जगह पर है, जो शिमला से करीब 50 किलोमीटर दूर है।


इस टनल को बनाने की जिम्मेदारी दी गई थी कर्नल बारोग नाम के एक अंग्रेज इंजीनियर को। कहानी कुछ ऐसी है कि 1898 में जब टनल बन रही थी, तब बारोग ने दो हिस्सों से टनल खोदने का प्लान बनाया था। एक हिस्सा पहाड़ के इस तरफ से, दूसरा उस तरफ से। मकसद था कि दोनों तरफ से खोदकर बीच में मिल जाएँ। लेकिन बारोग का हिसाब गड़बड़ हो गया। दोनों छोर सही तरीके से नहीं मिले। ये गलती इतनी बड़ी थी कि अंग्रेज सरकार ने बारोग पर भारी जुर्माना लगाया और उनकी खूब बेइज्जती हुई।

कहते हैं कि बारोग इस सदमे को बर्दाश्त नहीं कर पाए। एक दिन वो अपने कुत्ते के साथ जंगल में टहलने गए और वहीं खुद को गोली मार ली। उनकी मौत के बाद टनल का काम रुका, लेकिन बाद में एक स्थानीय साधु, भालकू, की मदद से टनल को सही तरीके से बनाया गया। आज जो टनल नंबर 33 है, वो वही है जो भालकू की सलाह पर बनी। लेकिन बारोग की आत्मा की कहानी यहीं से शुरू होती है। लोगों का मानना है कि उनकी आत्मा आज भी इस टनल में भटकती है।

टनल के भूतिया किस्से

टनल नंबर 33 को लेकर कई कहानियाँ मशहूर हैं। कुछ लोग कहते हैं कि रात में टनल के पास से गुजरने पर अजीब सी आवाज़ें सुनाई देती हैं, जैसे कोई फुसफुसा रहा हो। कुछ ने दावा किया कि उन्होंने टनल के अंदर एक अंग्रेज साहब की छाया देखी, जो सफेद कपड़ों में और हैट लगाए दिखता है। कुछ का कहना है कि टनल में चलते वक्त उनके कंधे पर किसी ने हाथ रखा, लेकिन पीछे मुड़कर देखा तो कोई नहीं था।


स्थानीय लोग बताते हैं कि बारोग की आत्मा यहाँ अपनी गलती का पछतावा करती है। कुछ कहते हैं कि वो टनल की रखवाली करता है, ताकि कोई और गलती न हो। कुछ पर्यटकों ने यह भी बताया कि टनल में उनके कैमरे अचानक बंद हो गए या तस्वीरों में धुंधली सी छाया दिखी। यह सब सुनकर डर तो लगता है, लेकिन साथ ही उत्सुकता भी बढ़ती है कि आखिर सच क्या है।

एक मशहूर किस्सा है एक ट्रेन ड्राइवर का, जिसने कहा कि रात में ट्रेन टनल से गुजर रही थी तो उसने इंजन की लाइट में एक आदमी को देखा, जो टनल की दीवार के पास खड़ा था। जब ट्रेन रुकी और वो उसे देखने गया, तो वहाँ कोई नहीं था। ऐसे किस्सों ने टनल नंबर 33 को और रहस्यमय बना दिया।

स्थानीय लोगों का नजरिया

बारोग के स्थानीय लोग इस टनल को लेकर मिली-जुली बातें करते हैं। कुछ पुराने लोग मानते हैं कि बारोग की आत्मा सचमुच यहाँ है, लेकिन वो किसी को नुकसान नहीं पहुँचाती। उनके लिए ये टनल सिर्फ भूतिया कहानी नहीं, बल्कि उनके इतिहास का हिस्सा है। गाँव के बुजुर्ग बताते हैं कि भालकू साधु, जिन्होंने टनल को पूरा करने में मदद की, उनकी आत्मा भी यहाँ की रक्षा करती है।

वहीं, नई पीढ़ी इन कहानियों को ज्यादा तवज्जो नहीं देती। उनके लिए यह टनल एक टूरिस्ट स्पॉट है, जहाँ लोग सेल्फी लेने और रोमांच की तलाश में आते हैं। कुछ स्थानीय गाइड तो पर्यटकों को डराने के लिए इन कहानियों को और मसालेदार बना देते हैं। मसलन, वो कहते हैं कि टनल में रात को अकेले मत जाना, वरना बारोग साहब आपको अपने साथ ले जाएँगे। ये सब सुनकर पर्यटक हँसते भी हैं और डरते भी हैं।

वैज्ञानिक नजरिया और सच्चाई

अब सवाल यह है कि क्या टनल नंबर 33 सचमुच भूतिया है? विज्ञान की नजर से देखें तो इन कहानियों के पीछे कई तार्किक कारण हो सकते हैं। टनल पुरानी है, और इसका ढाँचा ऐसा है कि हवा के बहने से अजीब सी आवाज़ें पैदा होती हैं। ये आवाज़ें रात में और डरावनी लग सकती हैं। टनल के अंदर की नमी और ठंडक भी लोगों के दिमाग में अजीब सा एहसास पैदा कर सकती है।


कई बार, जब लोग किसी जगह को भूतिया मान लेते हैं, तो उनका दिमाग वहाँ कुछ असामान्य होने की उम्मीद करने लगता है। इसे मनोविज्ञान में प्लेसीबो इफेक्ट की तरह देखा जा सकता है। अगर आपको पहले से बताया जाए कि टनल भूतिया है, तो छोटी सी आवाज़ या छाया भी आपको डरावनी लग सकती है।

कुछ वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि पुरानी जगहों पर इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फील्ड्स (EMF) ज्यादा हो सकते हैं, जो इंसान के दिमाग पर असर डालते हैं और अजीब सा एहसास कराते हैं। टनल नंबर 33 में ऐसे किसी फील्ड की मौजूदगी की कोई पुष्टि नहीं हुई, लेकिन यह एक संभावना हो सकती है।

पर्यटकों का आकर्षण

टनल नंबर 33 आज शिमला-कालका रेलवे का एक मशहूर टूरिस्ट स्पॉट बन चुका है। लोग यहाँ न सिर्फ टनल की कहानी सुनने आते हैं, बल्कि आसपास की खूबसूरती का मज़ा भी लेते हैं। बारोग का इलाका हरे-भरे जंगलों और पहाड़ों से घिरा है। टनल के पास एक छोटा सा रेलवे स्टेशन है, जो अपने आप में बहुत खूबसूरत है। पर्यटक यहाँ ट्रेन से उतरकर टनल तक पैदल जाते हैं और उसका रहस्यमय माहौल महसूस करते हैं।

कई लोग टनल के अंदर जाकर तस्वीरें लेते हैं, और कुछ तो रात में यहाँ रुकने की हिम्मत करते हैं। टूर गाइड्स भी इस टनल को खूब बढ़ा-चढ़ाकर पेश करते हैं। वो बताते हैं कि अगर तुम टनल में बारोग साहब का नाम पुकारोगे, तो शायद वो जवाब दें। ये सब मजेदार लगता है, लेकिन सच कितना है, यह कोई नहीं जानता।

टनल नंबर 33 सिर्फ एक भूतिया कहानी नहीं, बल्कि शिमला की सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत का हिस्सा है। यह टनल उस दौर की याद दिलाती है जब अंग्रेज भारत में अपनी छाप छोड़ रहे थे। साथ ही, ये भालकू जैसे स्थानीय लोगों की सूझबूझ को भी दिखाती है, जिन्होंने अपनी समझ से इस टनल को पूरा किया।


स्थानीय लोग इस टनल को एक तरह से सम्मान देते हैं। उनके लिए ये सिर्फ डरावनी कहानी नहीं, बल्कि उनके गाँव की शान है। कुछ लोग मानते हैं कि बारोग की आत्मा अगर यहाँ है भी, तो वो कोई बुरा काम नहीं करती। बल्कि, वो इस टनल को सुरक्षित रखने में मदद करती है।

टनल नंबर 33 की लोकप्रियता बढ़ने के साथ कुछ चुनौतियाँ भी सामने आई हैं। ज्यादा पर्यटकों के आने से टनल और आसपास के इलाके में कचरा बढ़ रहा है। कुछ लोग दीवारों पर अपने नाम लिख देते हैं, जिससे इसकी पुरानी बनावट को नुकसान हो रहा है। रेलवे और स्थानीय प्रशासन इसे बचाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन पर्यटकों को भी जिम्मेदारी लेनी होगी।

इसके अलावा, भूतिया कहानियों को बढ़ावा देने से कुछ लोग डर के मारे यहाँ आने से बचते हैं। ये टनल और बारोग जैसे छोटे स्टेशनों के लिए नुकसानदायक हो सकता है। इसलिए जरूरी है कि इसकी कहानी को रोचक लेकिन संतुलित तरीके से पेश किया जाए।टनल नंबर 33 एक ऐसी जगह है जो इतिहास, रहस्य और प्रकृति का अनोखा मेल है। यह सिर्फ एक भूतिया टनल नहीं, बल्कि एक कहानी है जो हमें अतीत से जोड़ती है। बारोग की आत्मा हो या न हो, इस टनल का माहौल अपने आप में जादुई है। यहाँ की ठंडी हवा, जंगल की खामोशी और ट्रेन की सीटी का मेल आपको एक अलग दुनिया में ले जाता है।

अगर आप शिमला जाएं, तो इस टनल को जरूर देखें।हो सकता है आपको कोई छाया दिखे, या शायद बस एक खूबसूरत अनुभव मिले। सच जो भी हो, टनल नंबर 33 की कहानी हमेशा आपके साथ रहेगी। यह एक ऐसी जगह है जो डराती भी है, लुभाती भी है और सोचने पर मजबूर करती है कि क्या वाकई कुछ अनदेखा हमारे बीच है।

Start Quiz

This Quiz helps us to increase our knowledge

Admin 2

Admin 2

Next Story