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पाकिस्तान चुनाव: भारत के साथ संबंध ही नहीं बल्कि ये मुद्दे भी तय करेंगे चुनाव परिणाम

Aditya Mishra
Published on: 24 July 2018 1:06 PM GMT
पाकिस्तान चुनाव: भारत के साथ संबंध ही नहीं बल्कि ये मुद्दे भी तय करेंगे चुनाव परिणाम
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दिल्ली: पाकिस्तान में 2018 आम चुनाव का प्रचार दो महीने चलने के बाद मंगलवार की शाम को शोर खत्म हो गया। चुनावी मैदान में उतरे सभी राजनीतिक दलों ने इस बार चुनाव प्रचार में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है। हर राजनीतिक दल ये चाहता है कि कैसे भी करके वह ये चुनाव जीत जाये। इसके लिए अलग –अलग ढंग से वोटरों को अपनी ओर आकर्षित करने की तमाम कोशिशें भी की गई। बुधवार को चुनाव के बाद आगे ये तय हो पायेगा कि पाकिस्तान का अगला पीएम कौन होगा।

newstrack.com आज आपको बताने जा रहे है कि पाकिस्तान के लोग इस बार के चुनाव को कैसे देखते है। वे कौन –कौन से ऐसे मुद्दे है जो इस बार के चुनाव में हावी रहने के साथ ही नतीजों पर असर डालेंगे।

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भ्रष्टाचार

इस चुनाव में पाकिस्तान में भ्रष्टाचार सबसे प्रमुख मुद्दा बना हुआ है। पाकिस्तान के सभी प्रमुख राजनेता या तो भ्रष्टाचार को खत्म करने का वादा कर रहे हैं या भी खुद भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे हैं। इसका एक उदाहरण है पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और उनकी बेटी मरियम नवाज, जो भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते फिलहाल जेल में बंद हैं। यहीं नहीं पाकिस्तान की संघीय जांच एजेंसी ने मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों के चलते पूर्व राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी को भगोड़ा घोषित कर दिया था। पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के मुखिया इमरान खान इस मुद्दे पर काफी मुखर होकर बोल रहे हैं। इमरान खान ने यहां तक दावा किया है कि वह सत्ता में आने के कुछ दिन बाद मंत्री स्तर से भ्रष्टाचार के खात्मे की शुरुआत करेंगे।

आतंकवाद

आतंकवाद हमेशा से ही पाकिस्तान और इसके पड़ोसी देशों के लिए एक समस्या बना रहा है। चुनावों में राजनेता आतंकियों के निशाने पर बने रहे हैं। हाल ही में पाकिस्तान में एक रैली के दौरान आतंकियों ने 120 से ज्यादा लोगों के साथ आवामी नेशनल पार्टी (एएनपी) के उम्मीदवार की हत्या कर दी थी। यहीं नहीं कई और नेता भी चुनाव प्रचार के दौरान आतंकियों का शिकार बने। इस चुनाव में कई ऐसे संगठन भी चुनावी मैदान में हैं जिनकी पहचान आतंकवादी संगठन के रूप में है।

मुंबई हमले का मास्टरमाइंड हाफिज सईद ने दूसरे पंजीकृत दल के बैनर दले 265 उम्मीदवारों को चुनावी मैदान में उतारा है जिसमें उसका बेटा और दामाद भी शामिल है। हाफिज सईद की पार्टी को पाकिस्तानी चुनाव आयोग ने मान्यता देने से इंकार कर दिया था जिसके बाद वह दूसरी पार्टी के बैनर तले चुनाव लड़ रहा है। सईद का बेटा हाफिज तल्हा सईद सरगोधा की एनए-91 सीट से चुनावी मैदान में है जो लाहौर से लगभग 200 किमी. दूर है। यहीं नहीं कई और आतंकी संगठन भी दूसरे दलों के बैनर दले अपने प्रत्याक्षियों को चुनाव लड़ा रहे हैं।

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अर्थव्यवस्था

पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था की हालत इस समय काफी कराब है। देश भीषण आर्थिक संकट से जूझ रहा है। 2017 में पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार 16.4 अरब डॉलर का था जो इस वर्ष घटकर मात्र 9.66 अरब डॉलर रह गया है। बुरी तरह से चरमराई पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था चीन के कर्ज तले दबती जा रही है। पाकिस्तान में अर्थव्यवस्था की हालत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पाकिस्तानी रुपये की कीमत अब एक अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 123 रुपये हो गई है।

भारत के साथ संबंध

भारत के साथ पाकिस्तान के आपसी संबंध का मुद्दा एक ऐसा पेचीदा मुद्दा है जो शायद हर चुनाव में बने रहता है। आतंकवादी सरगना हाफिज सईद अपनी चुनावी रैलियों में पाक राजनेताओं का लगातार भारत पिट्ठू बता रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ भले ही चुनाव नहीं लड़ रहे लेकिन उनकी पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग (नवाज) जीत के लिए बार-बार मोदी का नाम जमकर वोट मांग रही है।

हाल ही में नवाज के भाई शहबाज शरीफ ने एक चुनावी रैली में कहा था कि मोदी के पास ऐसी कौन सी जादू की छड़ी है जिसकी बदौलत वह सभी मुल्कों को अपना कायल बना लेते हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री रहे शाहबाज शरीफ ने कहा था कि भारत जी-20 में पहुंच गया और पाकिस्तान आज भी केवल तमाशा देख रहा है। इमरान, नवाज और बिलावल तीनों ही नेता भारत के साथ स्थिर रिश्तों की वकालत करते हुए नजर आ रहे हैं।

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