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अब कौन करेगा रूबी का कन्यादान? शादी से 10 दिन पहले पटरियों पर बिखरी खुशियां
कानपुर: ऊपर तस्वीर में आप शॉल ओढ़े जिस लड़की को हैरान-परेशान हालात में देख रहे हैं, उसकी आंखे सिर्फ अपने पापा को खोज रही हैं। भीड़ में, मलबे में, लाशों के बीच रूबी को सिर्फ अपने पापा चाहिए, लेकिन इस लड़की की तलाश है कि खत्म ही नहीं हो रही। एक हादसे ने उसकी सारी खुशियों पर ग्रहण लगा दिया है।
रूबी की 1 दिसंबर को शादी होने वाली है। मम्मी, पापा और भाई-बहनों के साथ वह बनारस जा रही थी, लेकिन नहीं पता था कि खुशियों का यह सफर आधी रात के बाद खौफनाक मंजर में तब्दील होने वाला है। पूरा परिवार पलकों पर बेटी की शादी के सपने सजाकर ट्रेन में बैठा था। सोचा था काशी पहुंचकर अपनी प्यारी बिटिया के लिए बनारसी साड़ियां खरीदेंगे। धूमधाम से शादी होगी और दुआओं के साथ विदाई। ऐसे न जाने कितने सपने और आने वाली खुशियों को अपने दामन में छिपाकर पूरा परिवार सो गया।
रूबी और उसके परिवार को कहां पता था कि रात 3 बजकर 10 मिनट पर एक तेज आवाज के बाद सारे सपने मलबे में दफन हो जाएंगे। खुशियां खामोशी की चादर ओढ़ लेंगी और चेहरा सवालों का घर बन जाएगा। बोगियां जब पटरी से उतरीं तो मंजर ऐसा था कि उसे देखकर रूबी सहम गई। उसकी बहन खुशी तो उसे मिल गई, लेकिन पूरा परिवार गुम हो गया। काफी देर तक खोजने के बाद उसे पता चला कि उसकी घायल मां गायत्री देवी गुप्ता हॉस्पिटल में भर्ती हैं, लेकिन एक और बहन अर्चना, भाई अभिषेक और पापा रामप्रसाद गुप्ता का कुछ पता नहीं है।
रूबी अपनी बहन खुशी के साथ फोन पर अपने पापा, बहन और भाई की फोटो दिखाकर सबसे पूछ रही है कि क्या आपने इन्हें कहीं देखा है। प्लीज मुझे कहीं से मेरे पापा वापस ला दो। इंदौर से हंसी-खुशी ट्रेन में बैठा यह परिवार बनारस पहुंचने से पहले ही पटरियों पर बिखर गया।