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Mother's Day: वक्त बदला, जमाना बदला, नहीं बदली तो ममता, क्योंकि मैं तेरी मां हूं....

Rishi
Published on: 12 May 2017 7:06 PM IST
Mothers Day: वक्त बदला, जमाना बदला, नहीं बदली तो ममता, क्योंकि मैं तेरी मां हूं....
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Ruchi Mahawar

लखनऊ: मैं 'मां' हूं। मेरा नाम छोटा-सा है, लेकिन मुझमें सिमटी है पूरी कायनात। मेरे पास ममता के आंचल के सिवा और कुछ नहीं। अपनों के लिए कुर्बान हो जाना मेरी फितरत है। बच्चों के लिए मिट जाना मेरी आदत है। ये छोटी-सी गोद ही मेरा पूरा जहां है। अपने बच्चों को जरा-सी तकलीफ में देख मेरा कलेजा फट जाता है। घबरा जाती हूं कि कहीं उसे कुछ हो न जाए। दर्द उसे होता है, महसूस मुझे होता है, क्योंकि मैं एक मां हूं।

मेरे पास देने के लिए दुआ है। जिंदा रहने की यही एक वजह है। सोचती हूं बड़ा होकर छू ले वो आसमान, लेकिन उसे नहीं पता मेरी दुनिया तो वही है। जब कभी भूख से वो रोया है, मैं भी चैन से कहां सोई हूं। जब भी दर्द में वो चिल्लाया है, रूह मेरी भी तड़पी है। निंदिया रानी जब उसकी आंखों से ओझल हुई है, तब लोरियों ने मेरे होठों को अपना घर बनाया है, क्योंकि मैं एक मां हूं।

मुझे समझ आती है तो सिर्फ प्यार की भाषा। दुनियादारी की चादर में लिपटे अल्फाज मेरे दिल तक नहीं पहुंचते। शायद इसीलिए मैं कुछ कहे बिना तुझे समझ लेती हूं। तेरी तोतली बोली सब समझा जाती है मुझे। मासूम सा चेहरा तेरे दिल का हाल बयां कर देता है। तेरी भूख, प्यास हर जरूरत बड़े प्यार से पूरी करती हूं मैं। कुदरत की इस खास नियामत से सिर्फ मुझे बख्शा गया है, क्योंकि मैं एक मां हूं।

मुझे याद है जब तूने पहला कदम बढ़ाया था। डरते-डरते प्यार से मेरी तरफ देखा था। जब गिरने लगे थे तुम, रोना आने ही वाला था, लेकिन मैंने तेरी उंगली थाम तुझे हंसाया था। तेरी एक मुस्कुराहट पर निसार है ये सारी जिंदगी। तुझे जी भरके देख लूं तो लगे झोली में है हर खुशी। जिंदगी की धूप में मेरा आंचल छांव बनकर तुझे ढकता रहे, यही ख्वाहिश है मेरी, क्योंकि मैं एक मां हूं।

वक्त बदल गया, समय गुजर गया और तू मुझे भूल गया। अब तुम कहते हो कि मैं तुम्हें समझ ही नहीं सकती। मैंने तुम्हारे लिए किया ही क्या है। मेरी बातें अब तुझे चुभती हैं। मेरा प्यार तुम्हें पिंजरा लगता है। मेरी गोद तु्म्हें काटती है। मेरा दर्द तुम्हें मजाक लगता है, क्योंकि अब मैं बूढ़ी हो गई हूं ना। तूझे अब मेरी जरूरत कहां रही। भूल गए तुम कि घर का आंगन तेरी हंसी के बिना आज भी मुझे अधूरा लगता है। तू मुझे भले ही बोझ समझे, इन बूढ़ी आंखों की रोशनी बनने से इनकार कर दे, लेकिन मेरे लिए तुम हमेशा इन आंखों का तारा रहोगे। तू मुझे भूल जा, दर्द और तकलीफ के भंवर में अकेला छोड़ जा, लेकिन इन होठों पर दुआ कभी बद्दुआ नहीं बनेगी, क्योंकि मैं तेरी मां हूं।

मां के दिल को समझ पाना हर किसी के बस की बात नहीं। इसे समझता है वही मां जिसके पास नहीं। जाकर पूछो हाल-ए-दिल उन बच्चों से, जिनकी तकदीर में मां का प्यार नहीं। तरस गए जिनके होंठ किसी को मां लफ्ज कहकर पुकारने के लिए, उसी मां को मार दी तूने ठोकर इस झूठे जमाने के लिए। जिंदगी की चंद सांसे बची हैं मेरे पास, आंखों में बसा है तेरे लौटने का इंतजार।

अगर नहीं आया लौटकर तो भी मेरा दिल यही कहेगा, जहां भी रहे, तू सलामत रहे, जिंदगी तेरी, मेरी दुआओं से आबाद रहे। इससे ज्यादा देने को कुछ और अब रहा नहीं। तू कैसा भी हो, भुला नहीं सकती, क्या करूं मेरे बच्चे, क्योंकि मैं तेरी मां हूं।

Rishi

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आशीष शर्मा ऋषि वेब और न्यूज चैनल के मंझे हुए पत्रकार हैं। आशीष को 13 साल का अनुभव है। ऋषि ने टोटल टीवी से अपनी पत्रकारीय पारी की शुरुआत की। इसके बाद वे साधना टीवी, टीवी 100 जैसे टीवी संस्थानों में रहे। इसके बाद वे न्यूज़ पोर्टल पर्दाफाश, द न्यूज़ में स्टेट हेड के पद पर कार्यरत थे। निर्मल बाबा, राधे मां और गोपाल कांडा पर की गई इनकी स्टोरीज ने काफी चर्चा बटोरी। यूपी में बसपा सरकार के दौरान हुए पैकफेड, ओटी घोटाला को ब्रेक कर चुके हैं। अफ़्रीकी खूनी हीरों से जुडी बड़ी खबर भी आम आदमी के सामने लाए हैं। यूपी की जेलों में चलने वाले माफिया गिरोहों पर की गयी उनकी ख़बर को काफी सराहा गया। कापी एडिटिंग और रिपोर्टिंग में दक्ष ऋषि अपनी विशेष शैली के लिए जाने जाते हैं।

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