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दर्दनाक दास्तां: ऐसी औलाद से बेऔलाद होना अच्छा, शायद यही कह रही है 102 साल की बूढी मां

102 साल की बूढ़ी गुलशन बाई आज अपनी कोख को गाली देती हैं कि उसने एक ऐसे बेटे को जन्मा जिसने उसे दर-दर की ठोकरें खाने को छोड़ दिया है। इस बूढी मां की कहानी किसी की भी आखों में नमी ले आती है। गुलशन मध्य प्रदेश के रतलाम जिले की रहने वाली हैं। 5 दिन से यह मां यहां के रेलवे स्टेशन पर भटक रही है। पैर में घाव हैं जिनमें कीड़े पड़ गए थे। इलाज कराने कानपुर छोटे भाई के पास ले जाने के नाम पर बेटे ने अवध एक्सप्रेस में अपना और मां का टिकट कराया लेकिन कानपुर के बजाए गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर उतार दिया और उनके पास रखे 4,000 रुपए लेकर भाग गया।

tiwarishalini
Published on: 27 Nov 2016 5:17 AM IST
दर्दनाक दास्तां: ऐसी औलाद से बेऔलाद होना अच्छा, शायद यही कह रही है 102 साल की बूढी मां
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untitled-3 स्टेशन पर बैठी बूढ़ी मां

गोरखपुर: 102 साल की बूढ़ी गुलशन बाई आज अपनी कोख को गाली देती हैं कि उसने एक ऐसे बेटे को जन्मा जिसने उसे दर-दर की ठोकरें खाने को छोड़ दिया है। इस बूढी मां की कहानी किसी की भी आखों में नमी ले आती है। गुलशन मध्य प्रदेश के रतलाम जिले की रहने वाली हैं। 5 दिन से यह मां यहां के रेलवे स्टेशन पर भटक रही है। पैर में घाव हैं जिनमें कीड़े पड़ गए थे। इलाज कराने कानपुर छोटे भाई के पास ले जाने के नाम पर बेटे ने अवध एक्सप्रेस में अपना और मां का टिकट कराया लेकिन कानपुर के बजाए गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर उतार दिया और उनके पास रखे 4,000 रुपए लेकर भाग गया।

गुलशन बाई के दुखों की दास्तां

गुलशन बाई के पति नूर की मौत काफी समय पहले हो चुकी है और वह अपने बड़े बेटे सलीम के साथ रतलाम में रहती थी। कुछ दिनों पहले गुलशन के बाएं हाथ में फोड़ा निकल आया था और बिना इलाज के उसमें इन्फेक्शन हो गया था, घाव में कीड़े पड़ गए थे। सलीम ने गुलशन से कहा चलो तुम्हे छोटे भाई चांद के पास कानपुर ले चलता हूं। वो अच्छे से इलाज करा देगा। पहले से ही साजिश रच चुका सलीम बूढ़ी मां को गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर छोड़ गया और उनके 4,000 रुपए लेकर रफू चक्कर हो गया।

जीआरपी वालों ने भी नहीं दिया ध्यान

5 दिनों तक गुलशन भूखी प्यासी स्टेशन पर भटकती रहीं। इस दौरान जीआरपी और आरपीएफ के जवानों ने भी उनकी कोई सहायता नहीं की। कुछ यात्रियों ने गुलशन के बारे में जीआरपी के जवानों को बताया भी लेकिन उन्होंने उसे अस्पताल पहुंचाना जरुरी नहीं समझा।

रोटी बैंक के वॉलंटियर बने फ़रिश्ते

‘रोटी बैंक’ के वॉलंटियर आजाद पांडे और गौरव ने जब इस बूढी महिला को भूखी, प्यासी और दर्द से तड़पते देखा तो डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल में इलाज के लिए एडमिट कराया। जब इस महिला का सामान टटोला गया तो उसके नाती का नंबर मिला। गौरव ने उससे बात की तो पता चला की वो आगरा में रहता है। नाती की भी माली हालत सही नहीं है लेकिन उसने गौरव से कहा कि उसकी नानी को आगरा कैंट रेलवे स्टेशन तक भिजवा दें वहां से वह उन्हें अपने घर ले जाएगा।

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