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सर्वेक्षण: समय के साथ चुनाव प्रक्रिया में महिलाओं की भागीदारी में हुई उल्लेखनीय वृद्धि
लखनऊ: लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं के 33 प्रतिशत आरक्षण का ज्यादातर राजनीतिक पार्टियां भले ही विरोध करें, लेकिन चुनावों में उनके वोट देने की संख्या और प्रतिशत में लगातार इजाफा हो रहा है। साल 2000 से 2014 तक हुए चुनाव के आंकडों पर नजर डालें, तो सामने आएगा कि महिलाएं अब मतदान में ज्यादा भागीदारी कर रही हैं।
विधानसभा के 2012 के चुनाव में महिलाओं ने 60 प्रतिशत मतदान किया था। यही कारण है कि अखिलेश यादव की सरकार यूपी में बन गई। यदि महिलाएं वोट नहीं करतीं, तो संभवत: अखिलेश सीएम नहीं बन पाते।
लगातार बढ़ती रही संख्या
बिहार विधानसभा चुनाव में भी महिलाओं ने लंबी कतार लगाकर नीतीश कुमार के पक्ष में मतदान किया था। सिर्फ वोट देने का ही मामला नहीं, महिलाएं चुनाव लड़ने में भी तेजी से कदम बढा रही हैं। यूपी में विधानसभा के 1962 के चुनाव में मात्र 39 महिलाएं मैदान में थीं, जबकि 2012 में इनकी संख्या बढकर 583 हो गई। साल 1962 में 1,000 पुरुष मतदाता के अनुपात में महिला वोटर 828 थी। यह अनुपात 2012 में 850 के उपर चला गया।
इन मंडलों में हुआ सर्वेक्षण
ताजा सर्वेक्षण के अनुसार, सीएम अखिलेश यादव महिलाओं के बीच लगातार लोकप्रिय हो रहे हैं। खासकर 'वुमेन पावर लाइन' को लेकर उनकी लोकप्रियता में इजाफा हुआ है। सर्वेक्षण आगरा मंडल के मथुरा, आगरा, फिरोजाबाद और मैनपुरी में किया गया।
90 प्रतिशत महिलाओं की पहली पसंद अखिलेश
सर्वेक्षण में यह पूछा गया था कि सीएम के तौर पर महिलाओं की पहली पसंद कौन, का जवाब अखिलेश के पक्ष में आया। नब्बे प्रतिशत से ज्यादा महिलाओं ने अखिलेश को अपनी पहली पसंद बताया ।