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सपा सरकार के कार्यकाल में अपर महाधिवक्ता नियुक्त हुए कमल सिंह यादव ने दिया इस्तीफा
सपा सरकार के कार्यकाल में अपर महाधिवक्ता नियुक्त हुए कमल सिंह यादव ने शनिवार (15 अप्रैल) को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।
इलाहाबाद: सपा सरकार के कार्यकाल में अपर महाधिवक्ता नियुक्त हुए कमल सिंह यादव ने शनिवार (15 अप्रैल) को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। गवर्नर को भेजे गए इस्तीफे में उन्होंने उसकी वजह निजी बताई है। माना जा रहा है कि प्रदेश में सत्ता परिवर्तन के बाद उन्होंने यह इस्तीफा दिया है।
कमल सिंह यादव समाजवादी पार्टी से भी जुड़े रहे हैं। वह दो बार इलाहाबाद के जिलाध्यक्ष भी रह चुके हैं। अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने प्रदेश सरकार की ओर से कई महत्वपूर्ण मुकदमों की पैरवी की।
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जिला पंचायत के त्रिस्तरीय चुनाव के खिलाफ हाईकोर्ट में दाखिल सैंकड़ों याचिकाओं में कमल सिंह यादव ने प्रभावी पैरवी की और सरकार को सफलता दिलवाई। कमल सिंह यादव जनवरी 2014 में अपर महाधिवक्ता नियुक्त किया गया था।
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आवेदन तिथि समाप्त होने के बाद जाति प्रमाणपत्र जमा मामले में सुनवाई जारी
इलाहाबाद: सरकारी नौकरियों में जाति प्रमाण पत्र आवेदन की तिथि समाप्त होने के बाद जमा किए जाने के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट की फुलबेंच में सुनवाई जारी है। इस प्रकरण पर दो खंडपीठों के बीच मत भिन्नता के चलते मामला फुल बेंच को रेफर किया गया है। चीफ जस्टिस डीबी भोंसले, जस्टिस दिलीप गुप्ता और जस्टिस यशवंत वर्मा की बेंच सुनवाई कर रही है।
मामले पर राज्य सरकार का पक्ष रहे स्थायी अधिवक्ता रामानंद पांडेय ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा गिजरोया केस में पारित निर्णय इस मामले में लागू नहीं होगा। यदि आवेदन की तिथि बीतने के बाद जाति प्रमाण पत्र स्वीकार किया जाएगा तो इसका अर्थ होगा कि चयन प्रक्रिया कभी समाप्त नहीं होगी। आवेदन की अंतिम तिथि इसलिए रखी जाती है ताकि सभी आवेदन फॉर्म प्राप्त होने के बाद उनकी जांच कर वैध अभ्यर्थियों को परीक्षा के लिए बुलाया जा सके। यदि अंतिम तिथि के बाद भी जाति प्रमाण पत्र जमा होते रहे तो उनकी जांच का मौका नहीं मिलेगा।
याचीगण का पक्ष रख रहे अधिवक्ता का कहना था कि इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि जाति प्रमाण पत्र कब जमा किया गया। गिजरोया केस में सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जाति प्रमाण पत्र अंतिम तिथि के बाद जमा किए जा सकते हैं। पीठ इस प्रकरण पर कई प्रश्नों पर विचार कर रही है। एक प्रश्न यह भी है कि क्या केंद्रीय सेवा और राज्य सेवा में कोई फर्क है। विज्ञापन की शर्त के अनुसार, आवेदन करना कितना आवश्यक है।
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केंद्रीय पुलिस में ओबीसी का आवेदन स्वीकार करने का निर्देश
इलाहाबाद: केंद्रीय पुलिस बलों के पांच हजार से अधिक सब-इंस्पेक्टर पदों पर भर्ती मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने ऐसे ओबीसी अभ्यर्थियों का आवेदन स्वीकार करने का निर्देश दिया है, जिन्होंने अपना जाति प्रमाणपत्र अंतिम तिथि बीत जाने के बाद जमा किया है। कोर्ट ने कहा है कि ऐसे अभ्यर्थियों का चयन इस याचिका पर होने वाले अंतिम निर्णय पर निर्भर करेगा। केंद्रीय पुलिस बलों की भर्ती कर्मचारी चयन आयोग द्वारा की जा रही है। धीरज कुमार यादव और कई अन्य ने इस मामले में याचिका दाखिल की है। याचिका पर जस्टिस पीकेएस बघेल सुनवाई कर रहे हैं।
याचिकाओं पर पक्ष रख रहे अधिवक्ता ने बताया कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में 5,770 सब-इंस्पेक्टर और सहायक सब-इंस्पेक्टर पदों पर भर्ती के लिए 09 जनवरी 2016 को विज्ञापन निकाला गया था। याचीगण ने सब इंस्पेक्टर केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल, सहायक सब-इंस्पेक्टर, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल और सब-इंस्पेक्टर दिल्ली पुलिस के लिए आवेदन किया था। प्रारंभिक और मुख्य लिखित परीक्षा और शारीरिक परीक्षा में वह उत्तीर्ण हो गए। अंतिम चयन के लिए दस्तावेजों का सत्यापन 05 अप्रैल 2017 से प्रारंभ किया गया है, जो एक मई तक चलेगा।
इस बीच आयोग ने याचीगण को नोटिस जारी कर कहा है कि जिन अभ्यर्थियों का जाति प्रमाण पत्र 06 फरवरी 2013 से 03 अगस्त 2016 के बीच जारी किए गए हैं, उन्हीं के चयन पर विचार किया जाएगा। इसके बाद बने जाति प्रमाण पत्र देने वालों का अभ्यर्थन निरस्त कर दिया जाएगा।
याचीगण का कहना है कि बाद में बने जाति प्रमाण पत्र की स्वीकार्यता का मामला अभी फुलबेंच में लंबित हैं। कोर्ट ने याचीगण का अभ्यर्थन निरस्त करने पर रोक लगाते हुए चयन में शामिल करने का निर्देश दिया है। उनका चयन याचिका के अंतिम निर्णय पर निर्भर करेगा।