Condition of Government Hospitals: लखनऊ में बीमार से ज्यादा सरकारी अस्पतालों को इलाज की ज़रुरत

Condition of Government Hospitals in Lucknow: लखनऊ के सरकारी अस्पतालों में बाथरूम साफ़ नहीं है और सभी जगह गन्दगी के कारण मरीज़ो को बीमारी का दर सताता रहता है। सरकारी अस्पतालों में एक रूपए के पर्चे पर इलाज, जांच से लेकर दवा तक फ्री। यह सुनने में भले ही सुकून भरा लगे लेकिन हालत इससे एकदम परे है।

Condition of Government Hospitals: लखनऊ में बीमार से ज्यादा सरकारी अस्पतालों को इलाज की ज़रुरत
Condition of Government Hospitals in Lucknow (Photo: Social Media))
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Condition of Government Hospitals in Lucknow: सरकारी अस्पतालों में एक रूपए के पर्चे पर इलाज, जांच से लेकर दवा तक फ्री। यह सुनने में भले ही सुकून भरा लगे लेकिन हालत इससे एकदम परे है। घंटो लगी लम्बी कतारों को देख कर मरीज़ो का दर्द और बढ़ जाता है। लखनऊ के प्रतिष्ठित अस्पतालों में लम्बी कतार के साथ-साथ वहाँ के बाटरूम और प्रतीक्षालय की स्तिथि इतनी गंभीर है की मरीज़ को अपनी पुरानी बीमारी के साथ ही गन्दगी के कारण नयी बीमारी का सामना करना पड़े।
 
शहर के प्रमुख डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल, बलरामपुर अस्पताल के भी बुरे हाल है। प्रबंधन की लापरवाही का यह नतीजा है कि शहर में इतने अस्पताल होने के बावजूद कर्मचारियों की कमी बनी ही रहती है और सभी बाथरूमों में सफाई का नामोनिशान नहीं है।

बाथरूम गन्दी, सब जगह कचरा
सरकारी अस्पतालों में जहाँ देखिये वहाँ गन्दगी का अम्बार लगा हुआ है। पीने के पानी के पास गन्दगी पसरी हुई है। जहाँ तहाँ कचरा पड़ा हुआ है। गंदगी का आलम ये है कि प्रतीक्षालय से लेकर वार्ड तक गंदगी फैली हुई है। सफाईकर्मियों द्वारा केवल एक समय पर सफाई कर अपनी उपस्थिति लगा दी जाती है।

अस्पतालों में बाथरूम की संख्या कम 
सभी सरकारी अस्पताल में प्रतिदिन लगभग 8000 से 10,000 मरीज आते है लेकिन बाथरूम की संख्या बहुत ही कम होने के कारण लोगो को कतार में लगना पड़ता है। कहीं कहीं मरीज़ो को कूड़ा और उसके कारण आ रही बदबू का भी सामना करना पड़ता है। बाथरूम में न तो कोई साबुन है ना फ्लश सही से काम करते हैं।

गन्दगी बन रही बीमारियों का कारण 
शहर के सरकारी अस्पतालों की गन्दगी बीमायियों का एक बड़ा कारण बन रही है| दिखाने आये तीमारदारों को यूरिन इन्फेक्शन, हेपेटाइटिस- ए इन्फेक्शन, नोरोविरुस इन्फेक्शन आदि के संक्रमण का डर सताता रहता है। न्यूज़ट्रैक द्वारा अस्पतालों में आये मरीज़ और उनके तीमारदारों से बात करने पर पता चला की अत्यंत आवश्यक होने पर ही बाथरूम का इस्तेमाल किया जाता है और सभी घर से अपना भोजन पानी लाते है।

क्वीन मैरी अस्पताल, चौक में तीमारदार सोनू कहते है “अस्पताल में क्षमता से बहुत अधिक मरीज़ है। अधिक भीड़ और पंखे तक न काम करने के कारण इस गर्मी भरे मौसम में निर्जलीकरण का सामना करना पढता है और कचरे के खुले डब्बे भी गन्दगी एवं बीमारी का कारण बनते है”। श्यामा प्रसाद मुख़र्जी सिविल अस्पताल, हज़रतगंज में राम प्रसाद कहते है “अस्पताल का बाथरूम बेहद गन्दा है | न तो वहाँ फ्लश काम करते है और साबुन की तो व्यवस्था है ही नहीं। आस पास कचरा होने की वजह से सब जगह यह मक्खी, मक्छरो के रहने का स्थान बन जाता है ”।

अस्पताल कर्मचारियों से की गयी बातचीत 
वीरांगना झलकारी बाई अस्पताल, हजरतगंज में कर्मचारियों से की गई बातचीत के बाद किसी भी समस्या से बचने के लिये केवल एक डॉक्टरों वाला साफ बाथरूम और कमरा ही दिखाया गया और मरीजों वाले बाथरूम को देखने की मनाही कर लौटा दिया गया। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में अस्पतालों की इतनी बुरी हालत के बावजूद सरकार इस पर चुप्पी साधे हुए है और व्यवस्था को ठीक करने के कोई प्रयास नज़र नहीं आ रहे है।