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एक और भाजपा विधायक ने अपनी तोड़ी चुप्पी, इस मामले को उठाया
एमएलसी देवेन्द्र सिंह ने एक पत्र मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार तिवारी को लिखा है जिसमें उन्होंने कहा कि जहां हर जगह कटौती हो रही है वहीं अबतक अधिकारियों के वेतन में कटौती क्यों नहीं की जा रही है।
श्रीधर अग्निहोत्री
लखनऊ: अपनी उपेक्षा से नाराज चल रहे भाजपा विधायकों का गुस्सा थमने का नाम नही ले रहा है। अब एक और भाजपा विधायक ने अफसरशाही को लेकर सवाल उठाए हैं। इस बार मामला भाजपा के एमएलसी देवेन्द्र प्रताप सिंह का है। जिन्होंने विधायकों की तरह ही अधिकारियों के भी वेतन में कटौती करने की बात कही है। देवेन्द्र प्रताप सिंह पूर्व में समाजवादी पार्टी से एमएलसी रह चुके हैं।
अफसरों के वेतन से कटौती न किए जाने को लेकर उठाया सवाल
एमएलसी देवेन्द्र सिंह ने एक पत्र मुख्य सचिव राजेन्द्र कुमार तिवारी को लिखा है जिसमें उन्होंने कहा कि जहां हर जगह कटौती हो रही है वहीं अबतक अधिकारियों के वेतन में कटौती क्यों नहीं की जा रही है। भारतीय जनता पार्टी के विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) देवेंद्र प्रताप सिंह ने कोरोना महामारी से बचाव में अफसरों के वेतन से कटौती न किए जाने को लेकर सवाल उठाते हुए लिखा है कि कोरोना वायरस की जंग में सफलता पूर्वक लड़ने के लिए सभी जनप्रतिनिधियों सांसद, विधायक, विधान परिषद सदस्यों ने अपने वेतन से 30 प्रतिशत की कटौती को स्वीकृति प्रदान की है।
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वहीं राष्ट्रीय संकट की इस घड़ी में देश के प्रति जनता के प्रति क्या नौकरशाहों की जवाबदेही नहीं है। एमएलसी देवेंद्र प्रताप सिंह ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर इस बात की अपेक्षा की कि नौकरशाहों के मुखिया होने के कारण क्या आप अपने संगठन को राष्ट्रधर्म का पालन करने के लिए प्रेरित करेंगे ?
कर्मचारी संगठन भी चल रहा है नाराज
इससे पहले भारतीय जनता पार्टी के कुछ अन्य विधायकों ने अपनी विधायक निधि से दी गई सहायता राशि को वापस करने और स्वास्थ्य विभाग में भ्रष्टाचार को लेकर तमाम तरह के सवाल उठाकर बागी तेवर अपना चुके हैं। जबकि सरकारी कर्मचारियों के कई भत्तों को राज्य सरकार ने रोकने का फैसला किया है। इसको लेकर भी कर्मचारी संगठन नाराज चल रहे हैं।
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राजनीतिक क्षेत्र में एमएलसी देवेन्द्र प्रताप सिंह की पहचान अपने खुले स्वभाव के तौर पर शुरू से होती रही है। जब वह समाजवादी पार्टी में भी थें तब भी अपने इसी स्वभाव के कारण कई बार पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठाते रहते थें। जिसके कारण उनका कई बार राजनीतिक तौर पर नुकसान भी हुआ।