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Baghpat News: सम्पूर्ण समाधान दिवस बना दिखावा, अफसरों ने मोबाइल में उलझा छोड़ दिया जनता का दर्द!

Baghpat News: जिलाधिकारी बागपत अस्मिता लाल की अध्यक्षता में चल रहे इस समाधान दिवस में जनता की फरियाद सुनने के बजाय अफसर अपने-अपने मोबाइल फोन में व्यस्त नज़र आए।

Paras Jain
Published on: 9 Jun 2025 12:31 PM IST
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Baghpat News: उत्तर प्रदेश सरकार की मंशा रही है कि सम्पूर्ण समाधान दिवस आम जनता की समस्याओं को सुनने और उनका समयबद्ध समाधान करने का एक प्रभावी मंच बने। लेकिन बागपत जनपद के बड़ौत तहसील में सोमवार को आयोजित समाधान दिवस में अफसरों का जो रूप सामने आया, उसने न सिर्फ सरकार की इस पहल को मजाक बना दिया, बल्कि प्रशासनिक संवेदनशीलता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।

जिलाधिकारी बागपत अस्मिता लाल की अध्यक्षता में चल रहे इस समाधान दिवस में जनता की फरियाद सुनने के बजाय अफसर अपने-अपने मोबाइल फोन में व्यस्त नज़र आए। कोई व्हाट्सएप पर चैट करता दिखा, तो कोई इंस्टाग्राम पर रील्स देखता नजर आया, और कुछ तो यूट्यूब पर वीडियो में डूबे थे। ऐसे में सवाल यह उठता है कि जब समस्याएं सुनने के नाम पर अधिकारी मोबाइल में उलझ जाएं, तो जनता कहां जाए?

क्या है समाधान दिवस की मंशा?

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा हर माह तहसील स्तर पर सम्पूर्ण समाधान दिवस आयोजित किया जाता है ताकि आम जनता अपनी शिकायतें सीधे उच्च अधिकारियों के समक्ष रख सके और उन्हें समयबद्ध तरीके से निस्तारित किया जा सके। इसका उद्देश्य प्रशासन को ज़मीनी स्तर पर उत्तरदायी और पारदर्शी बनाना है। लेकिन बड़ौत में हुआ उल्टा! समाधान दिवस में पहुंची जनता अधिकारियों से न्याय और समाधान की उम्मीद लेकर आई थी, लेकिन यहां का दृश्य बिल्कुल विपरीत था। अधिकारी आपसी वार्तालाप और मोबाइल फोन में व्यस्त थे, जिससे फरियादियों को या तो अनसुना किया गया या जल्दबाज़ी में औपचारिकता निभा कर चलता कर दिया गया। ऐसे में “जब अधिकारी ही गंभीर न हों, तो समाधान कैसे मिलेगा?”

प्रशासनिक शिष्टाचार की अनदेखी

डीएम, एसडीएम समेत तमाम वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे, बावजूद इसके किसी ने मोबाइल पर व्यस्त सहकर्मियों को टोकने की जहमत तक नहीं उठाई। इससे साफ है कि या तो लापरवाही को मौन स्वीकृति मिली हुई है या फिर समस्या की गंभीरता को नजरअंदाज किया जा रहा है। सरकार की मंशा को पलीता लगाने वाले ऐसे गैर-जिम्मेदार अफसरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए ताकि भविष्य में समाधान दिवस वाकई में “समाधान” का दिन बन सके, न कि “औपचारिकता और दिखावे” का।

सम्पूर्ण समाधान दिवस आम जनता की आखिरी उम्मीद होती है, और जब इस मंच पर ही उपेक्षा मिले, तो यह व्यवस्था के लिए गंभीर चेतावनी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कई बार अफसरों को चेतावनी दे चुके हैं कि जनता की सुनवाई में लापरवाही बर्दाश्त नहीं होगी। ऐसे में बागपत के बड़ौत में अधिकारियों की यह कार्यशैली कहीं न कहीं सरकार की नीयत पर भी सवाल उठाने का मौका दे रही है। अब देखना यह होगा कि डीएम अस्मिता लाल इस पूरे प्रकरण को कितनी गंभीरता से लेती हैं और क्या कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई होती है या यह मामला भी बाकी शिकायतों की तरह “फाइलों” में ही दबकर रह जाएगा।

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Shalini singh

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