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बीजेपी को बचाना है तो सरकार और सगंठन में बदलाव जरूरी: बीजेपी नेता
पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं बीजेपी के संस्थापक सदस्य 98 वर्षीय संघप्रिय गौतम ने अपनी ही पार्टी, केंद्र और राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाकर बीजेपी के राजनीतिक गलियारे में सनसनी फैला दी है। संघप्रिय गौतम ने न्यूजट्रैक से बताचीत में कहा है कि बीजेपी को बचाने के लिए सरकार और संगठन में बदलाव जरुरी है।
मेरठ: पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं बीजेपी के संस्थापक सदस्य 98 वर्षीय संघप्रिय गौतम ने अपनी ही पार्टी, केंद्र और राज्य सरकार पर गंभीर आरोप लगाकर बीजेपी के राजनीतिक गलियारे में सनसनी फैला दी है। संघप्रिय गौतम ने न्यूजट्रैक से बताचीत में कहा है कि बीजेपी को बचाने के लिए सरकार और संगठन में बदलाव जरुरी है। बदलाव के बाद ही पार्टी कार्यकर्ता जो कि हताश, उदास और निराश हैं। उसका खून फिर संचालित होगा और वह फिर काम में जुट जाएगा। बीजेपी नेता के मुताबिक यदि उनकी मांग नहीं मानी जाती है, तो फिर नरेंद्र मोदी का प्रधानमंत्री बनना आसान नहीं होगा।
'सरकार ने जनता से किए वादे अभी तक नहीं किए पूरे'
संघप्रिय गौतम का कहना है कि 2014 में हमने तीन बातों को लेकर कांग्रेस सरकार हटा कर अपनी सरकार बनाई थी। पहली कालाधन वापस लाएंगे, दूसरी महंगाई खत्म करेंगे और तीसरी भ्रष्टाचार खत्म करेंगे, लेकिन अफसोस है कि सरकार में आने के बाद अभी तक भी एक पाई कालाधान वापस नहीं आया और न महंगाई खत्म हुई। उन्होंने कहा कि जहां तक बात भ्रष्टाचार और घोटाले की है तो पीएनबी का घोटाला हुआ, राफेल हमारे सिर पर लग गया। यूपी में अभी हाल ही में प्रदेश के हेल्थ मिनिस्टर ने खुद कहा था कि सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार मेरे विभाग में है। संघप्रिय गौतम के मुताबिक 13 दिसंबर को सरकार और पार्टी को लेकर एक खुला पत्र लिखा था जिसके बाद ही नितिन गडकरी ने चुनावी हार के लिए पार्टी सेनापति को जिम्मेदार बताते हुए संगठन में बदलाव की बात कही थी। यही नही एक वरिष्ठ नेता ने यह तक कह दिया कि अगला पीएम मराठा हो सकता है।
'राजनाथ सिंह को बनाया जाए यूपी का सीएम'
अपने ही संगठन एवं सरकार से नाराज संघप्रिय गौतम की माने तो मोदी मंत्र और अमित शाह का चक्रव्यूह हाल में पांच राज्यों के चुनाव में निष्प्रभावी हो गया। राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में पार्टी की सरकार चली गई। गौतम ने कहा कि इनकी हार की जिम्मेदारी नरेंद्र मोदी और अमित शाह को खुद लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सीएम योगी को हटाकर राजनाथ सिंह को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री, शिवराज सिंह चौहान को बीजेपी का राष्ट्रीय अध्यक्ष और नितिन गडकरी को उपप्रधानमंत्री बनाया जाना चाहिए।
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एक समय पार्टी के कद्दावर नेताओं में शुमार एवं दलित चेहरा रहे संघप्रिय गौतम फिलहाल वह मुख्यधारा से अलग हैं। संघप्रिय गौतम पार्टी द्वारा देश के ज्वलंत मुद्दों को भूलकर धार्मिक मुद्दों को उठाए जाने से खफा हैं। पांच राज्यों में हार के बाद उनको लगता है कि फिलहाल मोदी और शाह का जादू बेअसर होने लगा है।
'बीजेपी के कई निर्णयों को बताया विवेकहीन'
संघप्रिय गौतम अपनी नाराजगी और पार्टी-सरकार का ग्राफ गिरने की वजह का खुलासा करते हुए कहते हैं, संविधान को बदलने की बात करना, संविधान से छेड़छाड़ करना, योजना आयोग को नीति आयोग में बदलना, सुप्रीम कोर्ट, आरबीआई, सीबीआई आदि संवैधानिक संगठनों में दखलंदाजी, आर्थिक क्षेत्र में लिए निर्णय ने बुद्धिजीवियों, संविधान प्रेमियों और लोकतंत्र की हामियों पर असर डाला। मणिपुर और गोवा में जोड़-तोड़ की राजनीति से सरकार बनाना, उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाना, कर्नाटक में एक दिन की सरकार बनाना विवेकहीन निर्णय रहे।
गौतम के मुताबिक उन्होंने बीते साल 13 दिसंबर को पार्टी के नाम एक खुला पत्र भी लिखा था जिसमें कहा है कि नौजवानों को रोजगार मुहैया नहीं कराना, किसानों का कर्जा माफ नहीं करना, गन्ना मूल्य का भुगतान नहीं करना, किसानों को लागत मूल्य अनुसार उपज के दाम नहीं दिलाना, इन चीजों का काफी नकारात्मक असर पड़ा। भ्रष्टाचार, महंगाई और कालाधन जैसे मुद्दों को छोड़कर धर्म, मंदिर-मस्जिद, शहरों के नामकरण, गोकशी के नाम पर भीड़ हिंसा को बढ़ावा मिलना, ऐसे मुद्दे हैं जिनकी वजह से जनता का विश्वास उठ गया।
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साथ ही देश में जाट आरक्षण, पटेल आरक्षण, गुर्जर आरक्षण, ब्राह्मण आरक्षण, मराठा आरक्षण और एससी-एसटी ऐक्ट को लेकर दलित आंदोलन होने लगे। पाकिस्तान सीमा पर हर दिन जवानों को मार रहा है और हम केवल शहीद कहकर संतोष कर रहे, ये सब ऐसे सवाल है जिनसे आम आदमी की आस सरकार से उठने लगी है।
'बीजेपी का सत्ता में आना और मोदी का पीएम बनना जरूरी'
गौतम ने कहा कि बीजेपी का सत्ता में आना और मोदी का पीएम बनना तो जरूरी है, लेकिन साथ ही सरकार और संगठन में बदलाव जरूरी है। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को धार्मिक कार्य में लगाकर उनकी जगह गृहमंत्री राजनाथ को सीएम बनाना चाहिए। अमित शाह को राज्यसभा में कमान संभालनी चाहिए। राष्ट्रीय अध्यक्ष की बागडोर शिवराज सिंह चौहान को सौंपी जानी चाहिए। इस बदलाव से वर्करों में विश्वास बढ़ेगा।
गौतम ने कहा कि मैं अकेला संपष्टवादी नेता रहा हूं। गौतम के मुताबिक पार्टी के निर्माण में चार लोंगो का हाथ रहा है। अटल बिहारी वाजपेयी, प्रमोद महाजन,कल्याण सिंह और चौथा में यानी संघप्रिय गौतम । संगठन को मजबूत बनाने में लौह पुरुष आडवाणी। संघप्रिय गौतम की माने तो पार्टी के तमाम बुजुर्ग नेता भले ही खुलकर कुछ नही कहते हो। लेकिन अगर आप उनसे बाते करें तो वह अपना दर्द जरुर बंया करेंगे।
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संघप्रिय गौतम के सगठन एवं सरकार में बदलाव की मांग पर भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता डॉ चन्द्र मोहन ने ज्यादा कुछ नहीं कहते हुए सिर्फ इतना ही कहा कि कहा कि गौतम बुजुर्ग नेता है।फिलहाल वह कई सालों से राज ति मेंरिय नही हैं। ऐसे में उनके बयान को गंभीरता से नही लेना चाहिए।