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जानिए कौमी एकता दल के सपा में विलय को लेकर बसपा में क्यों है बेचैनी ?
लखनऊ: विधानसभा चुनाव के ठीक पहले कौमी एकता दल (कौएद) के सपा में विलय की खबरों से बसपा असहज है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि कौएद के सपा में विलय की घोषणा एक-दो दिन में हो सकती है। उधर बसपा अब तक मान रही थी कि कौएद फिर पार्टी से नाता जोड़ेगी, लेकिन उसके पहले कौएद मुखिया अफजाल अंसारी से सपा नेताओं की बातचीत ने बसपा को बेचैन कर दिया।
अब तक कौएद नेताओं में इस बात को लेकर चर्चा चल रही थी कि पार्टी सपा के साथ चुनावी समझौता करे या फिर विलय और इस बीच बस पा नेता कौएद के मामले में विचार के लिए पार्टी सुप्रीमो मायावती तक बात पहुंचा रहे थे। पर अब कौएद की सपा में विलय पर मुहर लगती नजर आ रही है। इससे जुड़े हर घटनाक्रम पर बसपा नेताओं की नजर है।
पूर्वांचल में सियासी लाभ के समीकरण
-माना जा रहा है कि इससे अल्पसंख्यक समुदाय के वोट बैंक में और मजबूती आएगी।
-मुख्तार अंसारी का प्रभाव मऊ के अलावा गाजीपुर, आजमगढ़ और वाराणसी में भी।
-वर्ष 2010 में बसपा से निकाले जाने के बाद भी मायावती को लेकर अंसारी बंधुओं के तेवर नहीं रहे तल्ख।
यह हो सकता है साइड इफेक्ट
-मुख्तार विरोधियों का छूट सकता है साथ।
-कृष्णानन्द राय गुट, एमएलसी बृजेश सिंह गुट और अन्य मुख्तार विरोधी रहेंगे विरोध में।
पूर्वांचल के नेताओं ने मुख्तार को सपा में लाने को की पैरवी
-राज्यसभा सांसद नीरज शेखर अंसारी बंधुओं को पार्टी में लाने की करते रहे हैं वकालत।
-बलराम यादव, अंबिका चौधरी, नारद राय ने भी दिया साथ।
-अब पर्यटन मंत्री ओम प्रकाश सिंह की सहमति भी चर्चा का विषय।
-अब तक ओम प्रकाश सिंह की वजह से नहीं बन पा रही थी बात।
ओम प्रकाश सिंह की मौन सहमति के मायने
-ब्लॉक प्रमुख और एमएलसी चुनाव में अंसारी बंधुओं का ओम प्रकाश सिंह ने किया विरोध।
-आगामी लोकसभा चुनाव में गाजीपुर से मैदान में उतर सकते हैं ओम प्रकाश।
-अपने बड़े बेटे रितेश सिंह को दे सकते हैं अपने निर्वाचन क्षेत्र की जिम्मेदारी।
-इसमें काम आएगा अंसारी बंधुओं का साथ।