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Bulandshahr News: यूजीसी नेट अंग्रेजी प्रश्न-पत्र निरस्त करने की मांग, कुमार विश्वास के भाई ने केंद्रीय मंत्री को लिखा पत्र
Meta Keywords: प्रख्यात कवि कुमार विश्वास के बड़े भाई और सीसीएस यूनिवर्सिटी मेरठ में अंग्रेजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. विकास शर्मा ने इस प्रश्न-पत्र को गलत बताते हुए इसे निरस्त करने और पुनः परीक्षा कराने की मांग की है।
यूजीसी नेट अंग्रेजी प्रश्न-पत्र निरस्त करने की मांग, कुमार विश्वास के भाई ने केंद्रीय मंत्री को लिखा पत्र (Photo- Newstrack)
Bulandshahr News: बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश: जून 2025 में आयोजित असिस्टेंट प्रोफेसर पात्रता परीक्षा (यूजीसी नेट) के अंग्रेजी विषय के प्रश्न-पत्र को लेकर बड़े सवाल उठने लगे हैं। प्रख्यात कवि कुमार विश्वास के बड़े भाई और सीसीएस यूनिवर्सिटी मेरठ में अंग्रेजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. विकास शर्मा ने इस प्रश्न-पत्र को गलत बताते हुए इसे निरस्त करने और पुनः परीक्षा कराने की मांग की है। उन्होंने इस संबंध में देश के केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को एक विस्तृत पत्र भेजा है। पत्र में उन्होंने परीक्षा को निरस्त करने की मांग के साथ यह भी कहा है कि अस्पष्ट और भ्रामक प्रश्न-पत्र देना सरासर अनुचित है।
भ्रामक, आधारहीन, अस्पष्ट प्रश्न-पत्र निरस्त कर कराएं पुनः परीक्षा:
प्रो. डॉ. विकास शर्मा ने यूजीसी, नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) और केंद्रीय शिक्षा मंत्री को भेजे अपने पत्र में जून 2025 की अंग्रेजी विषय की यूजीसी नेट परीक्षा के प्रश्न-पत्र पर कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने इस प्रश्न-पत्र को पूर्णतया भ्रामक व आधारहीन करार दिया है। डॉ. शर्मा का कहना है कि यह प्रश्न-पत्र छात्रों को हतोत्साहित करने वाला है और उन्हें अपने भविष्य के प्रति अनिश्चितता में जीने का नकारात्मक संदेश देता है।
उन्होंने पत्र में स्पष्ट रूप से कहा है कि अंग्रेजी का पाठ्यक्रम स्वयं में अस्पष्ट है। उनके अनुसार, पाठ्यक्रम में केवल 'गद्य, काव्य, नाटक व उपन्यास' लिखा हुआ है, जो इस व्यापक विषय के पाठ्यक्रम के अनुसार सही नहीं है। एक स्पष्ट और विस्तृत पाठ्यक्रम के अभाव में, ऐसे भ्रामक प्रश्न-पत्र छात्रों के लिए न्यायसंगत नहीं हैं। यही कारण है कि प्रो. विकास शर्मा ने जून 2025 के नेट अंग्रेजी विषय के प्रश्न-पत्र को तत्काल निरस्त करने की मांग की है। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी मांग की है कि अंग्रेजी का पाठ्यक्रम नए सिरे से और अधिक व्यवस्थित तरीके से तैयार किया जाए ताकि भविष्य में ऐसी समस्याएं उत्पन्न न हों।
प्रोफेसर विकास शर्मा के इस कदम से देश भर के उन हजारों छात्रों को बल मिलेगा जो इस परीक्षा में बैठे थे और प्रश्न-पत्र की गुणवत्ता को लेकर चिंतित थे। उनकी मांग पर केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय क्या कदम उठाता है, यह देखना महत्वपूर्ण होगा। यह मामला राष्ट्रीय स्तर पर यूजीसी नेट परीक्षाओं की गुणवत्ता और पारदर्शिता पर एक नई बहस छेड़ सकता है।
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