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सह-अभियुक्तों के बरी होने पर अभियोजन के खिलाफ मुकदमा रद्द नहीं होगा: हाईकोर्ट

सह अभियुक्तों के साथ जिनका विचारण नहीं हुआ, उन्हें बरी सह अभियुक्तों के समान लाभ नहीं मिल सकता। यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने राधादेवी व 2 अन्य की याचिका पर दिया है। याचियों का कहना था कि कानपूर देहात के बिल्हापुर थाने में दहेज उत्पीड़न व मारपीट के आरोप में परिवार के 5 लोगों के खिलाफ 15 जून 14 को आशा देवी ने एफआईआर दर्ज करायी।

SK Gautam
Published on: 9 Aug 2019 4:48 PM GMT
सह-अभियुक्तों के बरी होने पर अभियोजन के खिलाफ मुकदमा रद्द नहीं होगा: हाईकोर्ट
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प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि सह अभियुक्तों के बरी होने के आधार पर अन्य अभियुक्तों के खिलाफ चार्जसीट व आपराधिक मुकदमा रद्द नहीं किया जा सकता। ऐसे मामले में कोर्ट धारा 482 की अंतर्निहित शक्तियों का प्रयोग नहीं कर सकती।

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सह अभियुक्तों के साथ जिनका विचारण नहीं हुआ, उन्हें बरी सह अभियुक्तों के समान लाभ नहीं मिल सकता। यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने राधादेवी व 2 अन्य की याचिका पर दिया है। याचियों का कहना था कि कानपूर देहात के बिल्हापुर थाने में दहेज उत्पीड़न व मारपीट के आरोप में परिवार के 5 लोगों के खिलाफ 15 जून 14 को आशा देवी ने एफआईआर दर्ज करायी।

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पति लक्ष्मण व जेठ राम नरेश को आरोप साबित न होने पर कोर्ट ने दोषमुक्त कर दिया। राधा देवी (ननद) मीनू (जेठानी) व पान कुमार (सास) ने याचिका दाखिल कर सह अभियुक्तों के दोषमुक्त होने के आधार पर उनके खिलाफ चार्जसीट व मुकदमा रद्द करने की मांग की। कहा कि उनके खिलाफ मुकदमा न चलाया जाय। तमाम न्यायिक निर्णयों का हवाला देते हुए कोर्ट ने हस्तक्षेप से इंकार कर दिया।

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