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Chandauli News: जंगल, ज़मीन और ज़िंदगी: नौगढ़ जिलास्तरीय समाधान दिवस में उभरी पीड़ा और समस्याओं की परतें

Chandauli News: रुंधे गले से उसने कहा,"हमार पति मारत -पीटत हउवन, अब घर से भगा देहले बा। पेट में बच्चा बा, अब अकेले हम कैसे जिम्मेदारी उठाईं? माई-बाऊ कब तक मदद करिहें?

Sunil Kumar
Published on: 9 Jun 2025 6:13 PM IST
District Level Complete Solution Day held on Monday
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सोमवार को जिला स्तरीय सम्पूर्ण समाधान दिवस का हुआ आयोजन (Photo- Newstrack)

Chandauli News: जिले के वनांचल क्षेत्र में स्थित नौगढ़ तहसील सभागार में सोमवार को जिला स्तरीय सम्पूर्ण समाधान दिवस का आयोजन किया गया। जिलाधिकारी चंद्र मोहन गर्ग और पुलिस अधीक्षक आदित्य लांग्हे की अध्यक्षता में यह कार्यक्रम आयोजित हुआ, जहां वनांचल क्षेत्र की समस्याएं सुनी गईं और उनका मौके पर निराकरण करने का प्रयास किया गया।

एक फरियाद जो सब पर भारी पड़ी

कार्यक्रम के दौरान एक भावुक क्षण तब सामने आया जब मझगाईं गांव की गर्भवती महिला इंद्रकला अपने दो बच्चों के साथ अपनी व्यथा लेकर अधिकारियों के सामने पहुँची। रुंधे गले से उसने कहा,"हमार पति मारत -पीटत हउवन, अब घर से भगा देहले बा। पेट में बच्चा बा, अब अकेले हम कैसे जिम्मेदारी उठाईं? माई-बाऊ कब तक मदद करिहें? अब आप ही कुछ करीं साहब!"

यह दृश्य सभागार में मौजूद सभी लोगों को स्तब्ध कर गया। यह महज एक महिला की पीड़ा नहीं थी, बल्कि ग्रामीण महिलाओं की जमीनी हकीकत का एक करुण चित्रण था।

108 समस्याएं, सिर्फ 8 का समाधान

समाधान दिवस के दौरान कुल 108 प्रार्थना पत्र प्राप्त हुए, जिनमें से 8 मामलों का निस्तारण मौके पर ही किया गया। यह आंकड़ा प्रशासन की कोशिशों और जमीनी सच्चाई के बीच के फासले को दर्शाता है।

जंगल और जलाशयों पर कब्जे से उपजी असंतुलना

क्षेत्र की प्रमुख समस्याओं में जंगल और जलाशय की ज़मीन पर अवैध कब्जे सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरी। कई मामलों में पट्टे खारिज होने के बावजूद भूमि पर कब्जा कायम है, जिससे आये दिन झगड़े और तनाव की स्थिति बनी रहती है।

बिजली, सिंचाई और राजस्व विभाग की शिकायतें भी आम

स्थानीय लोगों ने बिजली आपूर्ति, सिंचाई व्यवस्था और राजस्व विभाग से जुड़ी समस्याएं भी सामने रखीं। ये समस्याएं वर्षों से लंबित हैं और समाधान की प्रतीक्षा में हैं।

अधिकारियों की मौजूदगी तो रही, पर समाधान अधूरा

कार्यक्रम में जिलास्तरीय अधिकांश अधिकारी मौजूद रहे, लेकिन समस्या का वास्तविक समाधान तभी संभव है जब निर्णय धरातल पर अमल में लाए जाएं।

यह समाधान दिवस सिर्फ कागज़ों पर हल नहीं, लोगों की ज़िंदगी में बदलाव लाने का जरिया बन पाए – यही उम्मीद है।

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