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छत्तीसगढ़ में नियमों की अनदेखी, दीनदयाल उपाध्याय पर करीब छह करोड़ की किताबों की खरीद

तमाम तरह के घपलों-घोटालों के आरोपों में घिरी छत्तीसगढ़ सरकार के लिए बिना टेंडर के करोड़ों रुपये में खरीदी गई किताब नई मुसीबत का सबब बन गई है। यह किताब पंडित दीनदयाल उपाध्याय पर है जिन्हें लोगों तक पहुंचाने के लिए सरकार विभिन्न तरीके अपना रही है। इनमें गोष्ठियों से लेकर प्रवचन तक शामिल हैं।

tiwarishalini
Published on: 28 July 2017 5:52 PM IST
छत्तीसगढ़ में नियमों की अनदेखी, दीनदयाल उपाध्याय पर करीब छह करोड़ की किताबों की खरीद
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लखनऊ: तमाम तरह के घपलों-घोटालों के आरोपों में घिरी छत्तीसगढ़ सरकार के लिए बिना टेंडर के करोड़ों रुपये में खरीदी गई किताब नई मुसीबत का सबब बन गई है। यह किताब पंडित दीनदयाल उपाध्याय पर है जिन्हें लोगों तक पहुंचाने के लिए सरकार विभिन्न तरीके अपना रही है। इनमें गोष्ठियों से लेकर प्रवचन तक शामिल हैं।

इस तरह के प्रयास केंद्र की एनडीए सरकार और सत्ताधारी भाजपा की ओर से दीनदयाल जन्म शताब्दी कार्यक्रम के तहत पूरे देश में व्यापक पैमाने पर किए जा रहे हैं। छत्तीसगढ़ में शुरू से ही यह इसलिए भी ज्यादा विवादास्पद हो गया है क्योंकि एक आईएएस अधिकारी ने फेसबुक पर यह टिप्पणी कर बवाल मचा दिया था कि पंडित दीनदयाल का योगदान क्या था।

इसके बाद सरकार ने उक्त अधिकारी को न केवल दंडित किया बल्कि अधिकारियों के लिए सोशल मीडिया में टिप्पणी को लेकर आचारसंहिता तक बना डाली।

सवाल-इतनी मोटी किताबें कौन पढ़ेगा

छत्तीसगढ़ सरकार ने दीनदयाल उपाध्याय के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने का व्यापक कार्यक्रम तैयार किया है। किताब खरीद भी उसी कार्यक्रम का एक हिस्सा है। लोगों के बीच यह चर्चा भी हो रही है कि सरकार आईएएस अधिकारी के सवालों का जवाब नहीं दे सकी थी।

इसलिए किताब खरीदकर दीनदयाल उपाध्याय के बारे में लोगों को बताना चाहती है। लोग यह सवाल भी कर रहे हैं कि जिस राज्य में बच्चों को पढऩे के लिए किताबें नहीं मिल पातीं और उन्हें हिन्दी लिखना-पढऩा नहीं आता वहां इतनी मोटी किताबें कौन और कैसे पढ़ेगा। भाजपा एकात्म मानववाद के प्रणेता माने जाने वाले दीनदयाल के विचारों को स्थापित करने में लगी हुई है। केंद्र सरकार इसे अमली जामा पहनाने में लगी है।

इसे इस रूप में देखा जा सकता है कि सरकारी प्रचार में दीनदयाल उपाध्याय की फोटो वाला लोगो बहुत सारी जगहों पर मिल जाएगा। भाजपा शासित अन्य राज्यों की तरह छत्तीसगढ़ सरकार भी पार्टी व केंद्र सरकार के कार्यक्रमों को मजबूती के साथ लागू करने में लगी हुई है। कुछ माह पहले इसी के तहत प्रवचन के कार्यक्रम आयोजित किए गए थे जिसमें दीनदयाल उपाध्याय के व्यक्तित्व व कृतित्व पर विस्तार से बताया गया था। अब किताबें खरीदी जा रही हैं।

छह करोड़ की किताबें खरीदी गई

करीब छह करोड़ रुपये की इन किताबों की खरीद पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग ने की है। यह किताबें 15 खंडों में दीनदयाल उपाध्याय संपूर्ण वाड्मय के नाम से हैं। इसमें उपाध्याय के कार्यों, जनसंघ की यात्रा, 1965 में भारत-पाक युद्ध, ताशकंद समझौता और गोवा की स्वतंत्रता जैसी महत्वपूर्ण घटनाओं तथा जनसंघ की यात्रा को रेखांकित किया गया है।

15 खंडों की कीमत 6000 रुपये है। राज्य की 10900 से ज्यादा पंचायतों में किताबें बांटने का काम शुरू भी हो चुका है। राजनीतिक और वैचारिक आलोचना तक कोई बहुत समस्या नहीं थी। विवाद तब बढ़ा जब पता चला कि किताबों की खरीद बिना टेंडर के की गयी है।

नियमों के मुताबिक 50 हजार से ऊपर खर्च होने की स्थिति में टेंडर निकालने का प्रावधान है, जिसका पालन नहीं किया गया। दलील दी गई कि सब कुछ शासन के निर्देश पर हुआ है। पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्रालय को 25 सितंबर को उपाध्याय की जन्म शताब्दी मनाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। इसके लिए आनन-फानन समिति गठित की गई और प्रत्येक ग्राम पंचायत में एक पुस्तक देने का फैसला किया गया।

कांग्रेस ने खरीद को बताया भ्रष्टाचार

इस बाबत अपर मुख्य सचिव पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्रालय एमके राउत ने जानकारी दी कि बिना टेंडर पुस्तक छपवाना कोई गलत नहीं है। इसके लिए पांच करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। शेष राशि 8 करोड़ रुपये से अन्य कार्यक्रम होंगे।

25 सितंबर को गांवों में लोगों को पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जीवनी के बारे में बताया जाएगा। सांस्कृतिक कार्यक्रम और पोस्टर, बैनर आदि पर बाकी पैसे खर्च होंगे। बिना टेंडर किताब खरीदने का मामला सार्वजनिक होने पर पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री अजय चंद्राकर ने कह दिया कि समिति में कैसे क्या हुआ है इसकी उन्हें कोई जानकारी नहीं है। प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने कहा है कि अगर किताब खरीद पर स्थिति स्पष्ट नहीं की गई तो विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।

आईएएस को भारी पड़ी थी दीनदयाल पर टिप्पणी

पंडित दीनदयाल उपाध्याय पर छत्तीसगढ़ के कंाकेर में जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालक अधिकारी शिव तायल ने पिछले साल फेसबुक पर एक पोस्ट लिखी थी।

तायल ने लिखा था कि कोई तो मुझे बताए आखिर दीनदयाल उपाध्याय की उपलब्धियां क्या हैं? मुझे ऐसा कोई चुनाव याद नहीं जो उन्होंने जीता हो और न ही उनकी अपनी कोई विचारधारा रही। वेबसाइटों में एकात्ममानववाद पर उपाध्याय के सिर्फ चार लेक्चर मिलते हैं। वह भी पहले से स्थापित विचार थे।

इतिहासकार रामचंद्र गुहा की पुस्तक ‘मेकर्स आफ मार्डर्न इंडिया’ में आरएसएस के तमाम बड़े लोगों का जिक्र है, लेकिन उसमें उपाध्याय कहीं नहीं हैं। मेरी अकादमिक जानकारी के लिए कोई तो पंडित उपाध्याय के जीवन पर प्रकाश डाले। इस पोस्ट के बाद काफी बवाल मचा था। तब प्रदेश भाजपा प्रवक्ता श्रीचंद सुंदरानी ने भी कहा था कि तायल को फिर से प्रशिक्षण के लिए भेजे जाने की जरूरत है। एक अन्य भाजपा नेता सच्चिदानंद उपासने ने तायल पर मानहानि का मुकदमा करने की चेतावनी दी थी। राज्य सरकार ने तायल को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया था। बाद में तायल ने न केवल माफी मांगी बल्कि पोस्ट भी डिलीट कर दी थी। इतना ही नहीं, तायल को सरकारी पद भी खोना पड़ा था।



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Excellent communication and writing skills on various topics. Presently working as Sub-editor at newstrack.com. Ability to work in team and as well as individual.

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