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VIDEO: खैाफजदा हैं जवाहरबाग से बाल सुधार गृह लाए गए 23 परिवार के बच्चे

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Published on: 6 Jun 2016 9:04 AM GMT
VIDEO: खैाफजदा हैं जवाहरबाग से बाल सुधार गृह लाए गए 23 परिवार के बच्चे
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मथुरा: जवाहरबाग में 2 जून को हुई कंस लीला को शायद ही भूल पाएं ।जवाहरबाग मे रहने वाले २३ परिवार के बच्चो को फिरोजाबाद के बाल सुधार गृह लाया गया है। बच्चों के चेहरों पर खैाफ साफ झलक रहा है, हंसी तो इनसे कोसो दूर है।

जवाहरबाग की जंग में दो पुलिस अधिकारी की मौत हुई ।वहीं कई कब्जा करने वाले भी मारे गए । कई परिवारों को पुलिस ने जेल भेज दिया। लेकिन जवाहरबाग की जंग में सबसे ज्यादा नुकसान उन मासूमो का हुआ जिन्होंने पढने और खेलने की उम्र तड़ातड़ चलती गोलियों और खूनी संघर्ष को अपनी आँखों से देखा।

बच्चों ने कहा डर गए थे हम

विशाल नामक बच्चे का कहना है कि दो तीन-दिन पहले हम आए थे और तभी से लड़ाई छिड़ गई। बहुत से लोग घायल हुए और पुलिसवालों को भी चोट लग गई। जब ज्यादा गोली चलने लगी तो हम वहां से बाहर निकल गए। दोनों तरफ से गोली चली। पुलिसवालों ने भी गोली चलाई और इधर से भी गोली चली। हमारे सामने एक दो लोग मर गए। बहुत डर लगा और हम वहां से भाग गए जहां PAC वाले थे।

माता पिता की कमी खल रही

खैाफ के साये से निकले ये मासूम आप बीती बता रहे हैॆं कि उन्होंने वो खूनी मंजर किस तरह देखा। अब 23 बच्चे बाल सुधार गृह में है लेकिन इन्हें अपने माता पिता की कमी खल रही है जो अब जेल मे हैं। गुमशुम बच्चे ये भी नहीं समझ पा रहे हैं कि इनका कसूर क्या था जिसकी ये सजा मिल रही है। बच्चों का ये भी कहना कि उन्होंने रामवृक्ष यादव को एक बार ही देखा।

योगेश नाम के एक बच्चे ने बताया कि दोनों ओर से गोली चल रही थी। इधर से भी और उधर से भी ।एक दो पुलिस वालो को गोली लग गयी थी लेकिन अन्दर काफी लोग घायल हो गए थे ।कुछ कब्जाधारी गोली लगने से मर भी गए थे ।

अंदर जो आदमी था वह वहां से निकल गया था। जब गोलियां चल रही थी तब हम राफ्ती के अन्दर थे ।एक महीना हो गया था। कहा गया था की एक बार आ के देख लो फिर चले जाना लेकिन हमे फिर आने नहीं दिया गया।

सुबह खाने में मिलती थी खिचड़ी

बच्चों ने बताया कि उन्हें सुबह खाने में खिचड़ी और शाम को चार पांच बजे खाना मिल जाता था। हमारे मां बाप अब मथुरा जेल में हैं। जब गोली चली तो लोग पेड़ पर नहीं नीचे ही थे। जब गोली चली तो मैंने कब्जाधारियों को गोली मारते नहीं देखा पुलिस वालो को गोली मारते देखा । हम थे वहां पर तो 5,6 लोगो को मरते देखा वहां कब्जाधारियों ने आग नहीं लगाई थी। वहां पुलिस ने आग लगाई थी

दोनों तरफ से गोली चलती रही और लोग मरते रहे लेकिन ये बच्चे सारा दोष पुलिस को ही दे रहे हैं । पुलिस ने ही शुरुआत की थी । अब ये बच्चे बल सुधार में है और अपने माता पिता और अपने साथ वालो को याद करते करते है।

रत्नेश का कहना कि हम लोग वहीं थे। जब वो आग लगाने लगे तो हम वहां से तहसील की तरह भाग आए जहां पुलिस वाले थे। उन्होंने हमें पकड कर वहीं बैठा दिया। हमने रामवृक्ष यादव को पहली बार देखा।

उन्होंने हमसे लड़ने के लिए नहीं कहा। जब अफरा तफरी मची तो मैंने किसी को नहीं मरते देखा लेकिन सुना जा रहा है 250 लोग मारे गए हैं। हम दो तीन महीने अन्दर रहे। हम वहां पढते थे। खाने में हमें सुबह खिचड़ी देते थे हम वहां पर 2,3 हजार लोग थे।

ज्ञान सिंह ने कहा

फिरोजाबाद के बाल सुधार गृह के इंचार्ज ज्ञान सिंह ने कहा कि ये सारे बच्चे मथुरा से आये है । प्रशासन ने सारे बच्चो की यहां व्यवस्था की है। 23 बच्चे यहाँ आये हैं। इन बच्चों के खाने पीने की व्यवस्था हम कर रहे हैं । इनके मां बाप जो जेल में है उनको सूचना दे दी गयी है। जब वो आएंगे तो उन्हें बच्चे दे दिये जाएंगे।

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