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गोरक्षपीठ से निकली विजय शोभा यात्रा, जानिए क्या बोले CM योगी ?
अधर्म, अन्याय एवं अत्याचार के नकारात्मक एवं विध्वंशकारी बुराईयों पर धर्म, सत्य एवं न्याय के विजय का पर्व है विजयादशमी। धर्म-अधर्म, न्याय-अन्याय एवं सत्य-असत्य में यह युद्ध सदैव से चलता आया है। यही देवासुरसंग्राम है।
गोरखपुर: अधर्म, अन्याय एवं अत्याचार के नकारात्मक एवं विध्वंशकारी बुराईयों पर धर्म, सत्य एवं न्याय के विजय का पर्व है विजयादशमी। धर्म-अधर्म, न्याय-अन्याय एवं सत्य-असत्य में यह युद्ध सदैव से चलता आया है। यही देवासुरसंग्राम है। जिसमें विजयश्री सदैव सात्विक, सकारात्मक व रचनात्मक शक्ति को प्राप्त होती है। मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम उसी सात्विक, सकारात्मक एवं रचनात्मक धर्म रूपी शक्ति के प्रतीक हैं। भगवान श्रीराम का व्यक्तित्व सनातन हिन्दू धर्म का प्रतीक है जो सदैव हमें इन बुराईयों से लड़ने की प्रेरणा देता है।
ये बातें गोरक्षपीठाधीश्वर महंत और यूपे के सीएम योगी आदित्यनाथ ने विजयादशमी के अवसर पर ऐतिहासिक रामलीला मैदान में मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम, जगत जननी मां सीता, लक्ष्मण के राजतिलक के अवसर पर उपस्थित श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि चुनौतियों से पलायन का नाम जीवन नहीं हो सकता। चुनौतियों से जूझते हुए अधर्म, अत्याचार, अन्याय का मर्दन करते हुए जो अपना मार्ग प्रशस्त करते हैं, सदैव उन्हीं की जय होती है एवं समाज उन्हीं को अपना प्रेरणा पुरूष मानता है। भगवान श्रीराम ने वही आदर्श हम सबके सम्मुख रखा, वे पारिवारिक कलह से व्यथित नहीं हुए, चैदह वर्षो का बनवास उनके लिए वनों में भ्रमण करने अथवा समय व्यतीत करने का जरिया मात्र नहीं बना, अपितु भारत के धर्म के प्रति, ऋषि परम्परा का संरक्षण तथा सुरसा की तरह फैल रहे रावण के राक्षसी साम्राज्य को मिटाने का एक सशक्त माध्यम भी बनें। लेकिन उन्होंने इसके लिए समाज के सकारात्मक ऊर्जा को एकत्र किया, संगठित हिन्दू शक्ति के बल पर उस कालखण्ड के सबसे बड़े आतंक के पर्याय रावण व उसके राक्षसों का समूल नष्ट करके सनातन हिन्दू धर्म की पुनः प्रतिष्ठा किया। जिसमें हर नागरिक को पूर्ण सम्मान एवं सुरक्षा थी तथा समृद्धि के पर्याप्त अवसर थे। हमें मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम के उस आदर्श को अंगीकार करना है- जो देश के प्रत्येक हरिजन को, गिरजन को गले से लगाता है एवं धर्म के स्वरूप ऋषि परम्परा को संरक्षण प्रदान करता है साथ ही समाज की नकारात्मक और विध्वन्सकारी प्रवृत्तियों को शक्ति से कुचलने का कार्य करता है।
यह सम्भव है क्योंकि शारदीय नवरात्रि के नौ तिथियों में जगत जननी मां भगवती दुर्गा की सात्विक उपासना के उपरान्त हिन्दू समाज के जिन चार वर्णो के आठ भुजाओं की प्रतीक जगत जननी भगवती माँ दुर्गा हैं, उनका अनुष्ठान, मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान श्रीराम जैसी शक्ति प्रदान करने की क्षमता रखता है। भगवान श्रीराम भारत में ही नही अपितु विश्व के अनेक देशों में पूजे जाते है क्योकि श्रीराम का चरित्र हमें यदि धर्म की रक्षा की प्रेरणा देता है तो दुष्टो का संहार करने का भीं। आज पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित अलगाववाद, आतंकवाद, नक्सलवाद रावण की तरह खतरनाक हो गया है। हमे संकल्पित होकर इसका समूल नष्ट करना होगा। हमारे धार्मिक आयोजन रूढ़िवादिता पर आधारित नही अपितु यह वैज्ञानिक है एवं पर्यावरण की रक्षा करने वाले है। इनका कार्य पूरे राष्ट्र को एक सूत्र में बांधने का है। हम संकल्पित होकर हर समाज विरोधी, राष्ट्र विरोधी तत्वों का डट कर सामना करें यही विजयादशमी का संदेश है।
इससे पूर्व श्रीनाथ जी के मन्दिर में गोरक्षपीठाधीश्वर महन्त योगी आदित्यनाथ अपने योगियों, सन्तों की टोली के साथ गये तथा श्रीनाथ जी का विशेष अनुष्ठान व पूजन सम्पन्न किया। श्रीगोरखनाथ मन्दिर में सभी देवी-देवताओं तथा गौशाला के गायों की पूजा सम्पन्न कर परम्परागत रूप से दोपहर 01.00 बजे से 03.00 बजे तक स्थानीय भक्तों द्वारा महन्त योगी आदित्यनाथ महाराज जी का तिलकोत्सव कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। जिसके बाद शाम 04.00 बजे श्री गोरखनाथ मंदिर गोरखपुर में भव्य शोभा-यात्रा प्रारंभ हुई।
शोभा-यात्रा में सबसे आगे अखाड़ा के लोग, उसके पीछे स्थानीय श्रद्धालुजन का समूह चल रहा था। माइक से विजय शोभा-यात्रा से गोरक्षपीठ एवं नाथ सम्प्रदाय संबंधी भक्तिमय नारे लगाए जा रहे थे। शोभा-यात्रा में सन्तों, कार्यकर्ताओं एवं श्रद्धालुओं के हाथ में नाद, ध्वज, दण्ड, परम्परागत अस्त्र-शस्त्र भी मौजूद थे। शोभा-यात्रा शान्तिमय तरीके से जयश्रीराम नारे लगते हुए पुराना गोरखपुर स्थित मानसरोवर मन्दिर पहुँची, वहाँ पर भगवान शंकर सहित सभी विग्रहों का पूजन एवं आरती सम्पन्न हुयी। तदुपरान्त शोभा-यात्रा श्री रामलीला मैदान पहुँची, वहाँ गोरक्षपीठाधीश्वर ने भगवान श्रीराम का राजतिलक किया तथा उपस्थित जनसमूह को सम्बोधित किया। शोभा-यात्रा पुराना गोरखपुर होते हुए श्रीगोरखनाथ मन्दिर में वापस आयी। इसके बाद श्रीगोरखनाथ मन्दिर में सन्तों, ब्राह्मणों, निर्धन-नारायण एवं सामान्यजन का बृहद् सहभोज भंडारा आयोजित हुआ।