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हिंडन नदी किनारे पक्षी विहार की जमीन प्राइवेट बिल्डरों को देने पर कोर्ट सख्त, जवाब तलब
गाजियाबाद अर्थला पक्षी विहार के लिए अधिगृहीत जमीन प्राइवेट बिल्डरों को रिहायशी कॉलोनी बनाने के लिए देने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कड़ा रूख अपनाया है
इलाहाबाद: गाजियाबाद अर्थला पक्षी विहार के लिए अधिगृहीत जमीन प्राइवेट बिल्डरों को रिहायशी कॉलोनी बनाने के लिए देने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कड़ा रूख अपनाया है और मुख्य सचिव से 26 जुलाई तक हलफनामा मांगा है। कोर्ट पूछा है कि अधिगृहीत जमीन में पक्षी विहार न बनाने पर क्यों न जमीन गांव सभा अर्थला को वापस कर दी जाए।
दरअसल, गांवसभा की बंजर जमीन और हिंडन नदी किनारे की झील को पक्षी विहार बनाने के लिए अधिगृहीत किया गया था लेकिन इसे आवास विकास परिषद ने हाउसिंग प्रोजेक्ट के लिए तैयार किया और मोहन मेकिंग लि. और गौरसन इंडिया लि. को रिहायशी कॉलोनी बनाने के लिए बेच दी।
कोर्ट ने मुख्य सचिव से पूछा है कि अधिगृहीत जमीन का उद्देश्य पूरा नहीं हुआ तो क्यों न गांव सभा को जमीन वापस की जाए। राज्य सरकार की तरफ से समय मांगा गया। याचिका की सुनवाई 26 जुलाई को होगी।
यह आदेश जस्टिस अरूण टंडन और जस्टिस ऋतुराज अवस्थी की खंडपीठ ने सुलेमान डबास की याचिका पर दिया है। कोर्ट ने 3 जुलाई 2017 को ही मुख्य सचिव से पूछा था कि क्यों न जमीन गांवसभा को वापस की जाए। कोर्ट ने कहा कि अधिगृहीत जमीन प्राइवेट बिल्डरों को देना धोखा है।
7 साल बीत गए और राज्य सरकार ने कोई कार्यवाही नहीं की। कोर्ट ने मुख्य सचिव से मूल दस्तावेज देखकर जमीन की वापसी करने को कहा थ। इसके साथ ही यह भी कहा था कि डीएम और आवास विकास परिषद के लापरवाह अधिकारियों की जवाबदेही तय कर कार्रवाई की जाए। कोर्ट को बताया गया कि जांच की जा रही है और रिपोर्ट आते ही कार्रवाई की जाएगी।