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अगर बनवाना चाहते हैं घर तो एबीसी से पहले समझिए ईसीबीसी
अनुराग शुक्ला
अनुराग शुक्ला की स्पेशल रिपोर्ट
लखनऊ। यदि आप अगले साल जनवरी से सूबे में अपना घर बनाने की सोच रहे हों तो आपको इनर्जी कन्जर्वेशन बिल्डिंग कोड (ईसीबीसी) को सीमेंट और गारे से पहले समझना होगा। ईसीबीसी के तहत ऊर्जा की बचत के लिए कामर्शियल और रिहायशी भवनों को इस तरह से बनाया जाना अनिवार्य किया गया है कि उसमें हजारों यूनिट बिजली की हर दिन बचत हो सके।
प्रदेश के अतिरिक्त ऊर्जा और नवीनीकृत ऊर्जा विभाग की एजेंसी उत्तर प्रदेश नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विकास अभिकरण (यूपीनेडा) को ईसीबीसी लागू करने का जिम्मा दिया गया है। अतिरिक्त ऊर्जा मंत्री ब्रजेश पाठक के मुताबिक इनर्जी कन्जर्वेशन बिल्डिंग कोड (ईसीबीसी)-2017 लागू होने से ऊर्जा की खपत में 40 प्रतिशत कमी होगी जबकि निर्माण लागत में 5 से 10 प्रतिशत की वृद्धि होगी। सरकार का मानना है कि लोगों को अगर मकानों की कीमत में कुछ बढ़ोतरी सहनी पड़ती है तो बिजली के बिल में कटौती और ऊर्जा पर खपत होने वाली लंबी अवधि में बचत से इससे बहुत ज्यादा फायदा होगा। इसलिए यूपी सरकार इस कोड को हर हाल में लागू करेगी।
किन पर प्रभावी होगा ईसीबीसी
भारत सरकार के बिजली विभाग के ब्यूरो आफ इनर्जी इफिशिएन्सी यानी बीईई ने सभी प्रदेशों के लिए ईसीबीसी-2017 जारी किया है। भाजपा नीत केंद्र सरकार की इस योजना को राज्य की पूर्व सपा सरकार ने लागू नहीं किया। यह नियम सरकारी, कामर्शियल और आवासीय भवनों पर लागू होगा।
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सरकार ने कर ली है पूरी तैयारी
ईसीबीसी को लागू करने के लिए सरकार की नामित एजेंसी यूपीनेडा हर तरह का प्रशिक्षण कराएगी और सरकारी एजेंसियों जैसे लोकनिर्माण विभाग, राजकीय निर्माण निगम को इस दिशा में सक्षम बनाएगी। प्रमुख सचिव, अतिरिक्त ऊर्जा आलोक कुमार के मुताबिक ईसीबीसी लागू होने के बाद इंजीनियर, आर्किटेक्ट, सरकारी और प्राइवेट निर्माण एजेंसियों को क्षमता विकास यूपीनेडा से कराना होगा। साथ ही ईसीबीसी से संबंधित सरकारी विभागों/एजेंसियों की ट्रेनिंग भी जल्द शुरू कर दी जाएगी।
व्यवसाय से जुड़े लोग कहते हैं
रियल एस्टेट के कामकाज से जुड़े व्यवसायी कहते हैं कि कि यह बहुत ही अच्छा कदम है और इसका स्वागत किया जाना चाहिए। प्रापर्टी एक्सपर्ट राहुल सिंह के मुताबिक यह एक ऐसा कदम है जिसका स्वागत किया जाना चाहिए। अगर देश में इनर्जी एफीशिएंट बिल्डिंग बनती है तो बिल्डर का भी फायदा होगा और ग्राहक का भी, लेकिन इसे लागू करने में बहुत सतर्कता की जरुरत है। रेरा के यूपी में लागू होने में बहुत सी व्यवहारिक दिक्कतें आ रही हैं। अभी तक रेरा की अथारिटी तक तो बन नहीं सकी है। एैसे में अगर ईसीबीसी ठीक से लागू न हुआ तो प्रदेश में रियल एस्टेट की कमर टूट सकती है।
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2030 तक 300 बिलियन यूनिट की बचत होगी
ईसीबीसी को हासिल करने के लिए इनर्जी कन्जर्वेशन बिल्डिंग एनवलप, भवनों में इनर्जी एफीशिएंट कम्फर्ट सिस्टम एण्ड कन्ट्रोल्स, इनर्जी एफीशिएंट प्रकाश एवं कन्ट्रोल, वी.आर.वी तकनीक, प्रकाश के लिए डबल ग्लेज्ड ग्लास का उपयोग, दिन के समय भवन के अन्दर प्रकाश हेतु स्काई पाइप का उपयोग जैसी तकनीक का इस्तेमाल किए जाने का प्रावधान है। इस तरह की तकनीक का इस्तेमाल करने वाली इमारतें अगर अपनी बिजली खपत में 25 फीसदी कमी करेंगी तो उन्हें ईसीबीसी कम्प्लाएंट, 35 फीसदी कम करने पर ईसीबीसी प्लस और 50 फीसदी करने पर सुपर ईसीबीसी ग्रेडिंग मिलेगी।
एक सर्वे के मुताबिक 2030 में 300 बिलियन यूनिट की बचत की जाएगी। ऊर्जा के उपयोग में 50 फीसदी तक कमी लाना और पीक आवर में डिमांड को देश में 15 गीगावाट तक कम करना इस कोड का लक्ष्य है। अगर आज की दरों पर इसकी गणना की जाए तो 3500 करोड़ रुपये की बचत होगी। साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर 2030 तक कार्बन उत्सर्जन में 25 करोड़ टन की कमी लाने के लक्ष्य से लागू किए जा रहे ईसीबीसी का पालन न करने पर ऊर्जा कंपनियों को यह अधिकार होगा कि वह बिजली का कनेक्शन काट दें।
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क्या है ईसीबीसी
दरअसल, ईसीबीसी देश में बिजली की खपत और कार्बन उत्सर्जन को कम करने का एक कोड है। इस कोड में हर राज्य को अपनी क्षेत्रीय जरुरतों के मद्देनजर बदलाव की थोड़ी बहुत सुविधाएं उपलब्ध कराई गयी हैं। इसी के तहत उत्तरांचल में ईसीबीसी की अनिवार्यता 500 वर्गमीटर से ज्यादा बड़े भवनों पर ही लागू है जबकि उत्तर प्रदेश में 100 किलोवाट से ज्यादा के कनेक्शन वाले प्रोजेक्टों पर यह बिल्डिंग कोड लागू होगा। इसकी शर्तें निम्नवत हैं।
- पानी गरम करने के लिए सोलर वाटर हीटर संयत्र लगाना पड़ेगा। गीजर नहीं रख सकते।
- सभी नए भवनों में बिजली के परंपरागत बल्ब, ट्यूबलाइट व पंखों का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।
-सिर्फ बीईई के प्रमाणित कम बिजली की खपत वाले सीएफल, एलईडी, और ऊर्जा की बचत करने वाले पंखों और उपकरण का इस्तेमाल किया जाएगा।
- भवनों को इस तरह डिजाइन किया जाएगा कि सूर्य की रोशनी अधिक से अधिक आ सके। भवनों का निर्माण कुछ इस तरह करना होगा कि सुबह 10 से 4 के बीच रोशनी के लिए बिजली न जलाई पड़े। इसके लिए भवनों के खिडक़ी-दरवाजे, रोशनदान निर्धारित मानक के अनुरूप होंगे ताकि रोशनी आ सके।
- अब आप ठंडक पाने के लिए मनमुताबिक एसी नहीं लगा पाएंगे। आपका यही कोड बताएगा कि कमरे की साइज के मुताबिक आप कितने टन का एसी इस्तेमाल करें।
- व्यवसायिक इमारतों की बाहरी दीवारों, छत, ग्लास स्ट्रक्चर, लाइटिंग, हीटिंग, वेंटिलेशन और एयर कंडिशनिंग के लिए मिनिमम इफिशिएंसी मानक तय किए गए हैं।